Solar Didi Yojana Bihar : बिहार की महिलाओं की जिंदगी बदल रही है सौर ऊर्जा, किसानों को भी मिल रहा फायदा
Solar energy is changing the lives of women of Bihar, farmers are also getting benefits

Solar Didi Yojana Bihar : बिहार की महिलाओं की जिंदगी बदल रही है सौर ऊर्जा, किसानों को भी मिल रहा फायदा
बिहार में सौर ऊर्जा का कमाल देखने को मिल रहा है, जहां “सोलर दीदी योजना” न सिर्फ महिलाओं को financial independence दे रही है, बल्कि छोटे किसानों के लिए भी वरदान साबित हो रही है। आज के समय में जब climate change और rising costs हर किसी के लिए सिरदर्द बने हुए हैं, ये योजना एक उम्मीद की किरण लेकर आई है। मुजफ्फरपुर की देवकी देवी जैसी महिलाएं इस योजना के जरिए न सिर्फ अपनी जिंदगी संवार रही हैं, बल्कि आसपास के किसानों को सस्ती सिंचाई की सुविधा देकर उनकी तकदीर भी बदल रही हैं। ये कहानी है मेहनत, हिम्मत और सौर ऊर्जा के जादू की, जो गाँव-गाँव तक पहुंच रही है।
“सोलर दीदी योजना” ने बिहार के ग्रामीण इलाकों में एक नई क्रांति की शुरुआत की है। ये योजना न केवल women empowerment को बढ़ावा दे रही है, बल्कि छोटी जोत वाले किसानों को भी राहत पहुंचा रही है। देवकी देवी, जो कभी अपने परिवार के गुजारे के लिए संघर्ष करती थीं, आज सोलर दीदी बनकर हर महीने 20-25 हजार रुपये कमा रही हैं। उनकी कहानी से प्रेरणा लेकर बोचहा प्रखंड की 106 महिलाएं सोलर पंप के जरिए सैकड़ों एकड़ खेतों की सिंचाई कर रही हैं। ये महिलाएं न सिर्फ अपनी कमाई कर रही हैं, बल्कि किसानों को डीजल और बिजली के महंगे खर्च से भी बचा रही हैं। तो आइए, इस योजना की गहराई में उतरते हैं और देखते हैं कि ये कैसे सबकी जिंदगी में बदलाव ला रही है।
देवकी देवी की कहानी हर उस महिला के लिए मिसाल है, जो अपने दम पर कुछ करना चाहती है। उनके पास खुद की सिर्फ पांच धुर जमीन थी, लेकिन सोलर दीदी योजना से जुड़ने के बाद आज वो 25 एकड़ खेतों की सिंचाई करती हैं। जीविका समूह के जरिए उन्हें इस योजना की जानकारी मिली। फिर 10 प्रतिशत ब्याज पर लोन लेकर उन्होंने सोलर पंप लगवाया। अब उनका पंप हर दिन 8-9 घंटे चलता है, जिससे उन्हें 800-900 रुपये की रोजाना कमाई होती है। यानी महीने के हिसाब से 18-25 हजार रुपये आसानी से उनके हाथ में आ जाते हैं। वो कहती हैं, “पहले घर चलाना मुश्किल था, लेकिन अब मैं कर्ज भी चुका रही हूँ और अच्छी कमाई भी कर रही हूँ।” ये सोलर दीदी योजना का ही कमाल है कि आज वो आत्मनिर्भर बन गई हैं।
किसानों के लिए भी ये योजना किसी तोहफे से कम नहीं। पहले जहाँ उन्हें डीजल पंप से सिंचाई के लिए 200 रुपये प्रति घंटा खर्च करने पड़ते थे, वहीं अब सोलर दीदी के जरिए सिर्फ 100 रुपये में ज्यादा पानी मिल रहा है। इससे न सिर्फ उनकी लागत कम हुई है, बल्कि वो अब परंपरागत फसलों की जगह नकदी फसलें जैसे सब्जियाँ उगा रहे हैं। मुजफ्फरपुर के बोचहा प्रखंड में ये बदलाव साफ दिखता है, जो सौर ऊर्जा से सिंचाई करने वाला पहला प्रखंड बन गया है। यहाँ के किसान शैलेन्द्र बताते हैं, “पहले हम सिर्फ धान और गेहूं उगाते थे, या मजदूरी करते थे। लेकिन अब सस्ते पानी की वजह से अपने खेत में सब्जियाँ उगा रहे हैं।” इससे उनकी आमदनी भी बढ़ी है और खेती का तरीका भी बदला है।
इस योजना की शुरुआत बोचहा में दो जीविका दीदियों से हुई थी, लेकिन आज 106 सोलर दीदियाँ यहाँ सौर ऊर्जा का जादू बिखेर रही हैं। सैकड़ों एकड़ खेतों की सिंचाई के जरिए ये महिलाएं न सिर्फ अपनी जिंदगी को रोशन कर रही हैं, बल्कि पूरे इलाके की तस्वीर बदल रही हैं। स्थानीय मुखिया सरोज सहनी कहते हैं, “सोलर पंप से हमारे पंचायत के किसानों को बहुत फायदा हुआ है। सोलर दीदियों को नकद आमदनी मिल रही है और किसानों को सस्ता पानी। अब तो हमारा इलाका सब्जी उत्पादन का हब बन गया है।” ये बदलाव सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी है, क्योंकि महिलाएँ अब घर की चारदीवारी से निकलकर समाज में अपनी पहचान बना रही हैं।
इस योजना का एक और पहलू है जो इसे खास बनाता है – पर्यावरण को फायदा। डीजल पंपों की जगह सौर ऊर्जा का इस्तेमाल होने से प्रदूषण कम हो रहा है। साथ ही, बिजली की कटौती या डीजल की बढ़ती कीमतों की चिंता भी खत्म हो गई है। महिला किसान ऊषा देवी बताती हैं, “पहले पानी की कमी की वजह से गर्मी में फसल नहीं उगा पाते थे। लेकिन अब सोलर पंप की वजह से मक्का जैसी फसलें भी लहलहा रही हैं।” सोलर दीदी योजना ने न सिर्फ उनकी खेती को आसान बनाया, बल्कि उनकी जिंदगी में भी नई उम्मीद जगाई है।
इस योजना को चलाने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। ट्रेनर आरती कुमारी कहती हैं, “कई बार महिलाओं के पति उन्हें बाहर काम करने की इजाजत नहीं देते। बहुत समझाने के बाद वो तैयार होते हैं।” लेकिन एक बार जब परिवार का सपोर्ट मिल जाता है, तो इन सोलर दीदियों का हौसला आसमान छूने लगता है। देवकी देवी का कहना है कि सोलर पंप का कर्ज चुकाने के साथ-साथ वो अपने बच्चों की पढ़ाई पर भी खर्च कर पा रही हैं। किसानों का भरोसा भी इस योजना पर बढ़ रहा है, क्योंकि कई बार वो एडवांस में पैसे दे देते हैं। ये आपसी भरोसा ही इस योजना की सफलता का आधार है।