इस बार धान के किसानों को नहीं मिलेंगे मजदूर, इन 17 जिलों मे मजदूरों का संकट, जाने क्यों
इस बार धान के किसानों को नहीं मिलेंगे मजदूर, इन 17 जिलों मे मजदूरों का संकट, जाने क्यों
खेत खजाना : नई दिल्ली: पंजाब में धान की बुआई का काम आधिकारिक तौर पर शुरू हो चुका है, लेकिन प्रवासी मजदूरों की कमी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। मुक्तसर, फरीदकोट, मानसा, बठिंडा, फाजिल्का और फिरोजपुर सहित छह जिलों में 11 जून को धान की बुआई शुरू हुई, जबकि शेष 17 जिलों में यह 15 जून से शुरू होगी। अनुमान है कि इस बार पंजाब में 31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई होगी।
लेकिन, इस साल तेज गर्मी के कारण दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या कम हो गई है। जिसके चलते किसानों को मजदूरों के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। बठिंडा रेलवे स्टेशन पर श्रमिक ट्रेनों से उतर रहे मजदूरों को मालवा क्षेत्र के किसान लपक रहे हैं।
बढ़ी हुई मजदूरी दरें भी किसानों के लिए बोझ
पिछले साल, धान की कटाई के लिए किसानों द्वारा रहने और खाने के साथ 3500 रुपये प्रति एकड़ की दर दी जाती थी। लेकिन, इस साल मजदूरों की कमी के कारण यह दर बढ़कर 3800 से 4000 रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच गई है। कुछ मामलों में, यह 4200 रुपये प्रति एकड़ तक भी जा सकती है।
इसके अलावा, खाने का खर्च भी किसानों को अलग से उठाना पड़ रहा है। मजदूरों की कमी के कारण धान रोपाई का काम भी प्रभावित हो रहा है। कई किसान अभी भी मजदूरों के आने का इंतजार कर रहे हैं।
किसानों के लिए क्या विकल्प?
कुछ किसान स्थानीय मजदूरों को काम पर रख रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या अपर्याप्त है। कुछ किसान मशीनों का उपयोग करके धान की रोपाई कर रहे हैं, लेकिन यह विकल्प सभी के लिए व्यवहार्य नहीं है।
सरकार ने किसानों को मनरेगा मजदूरों को काम पर रखने की सलाह दी है, लेकिन मनरेगा मजदूरों की दरें भी किसानों के लिए बोझ हो सकती हैं।
सरकार से किसानों की गुहार
किसानों ने सरकार से प्रवासी मजदूरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और मजदूरी दरों को नियंत्रित करने का आग्रह किया है।