उन्नति का उदाहरण: जल की कमी में भी सफलता प्राप्त किसान ने अमरूद के बाग से कमाया बंपर मुनाफा

उनके इलाके में पानी की कमी होने के कारण परंपरागत खेती ने उन्हें सताया था और मुनाफे की उम्मीदें पूरी नहीं हो पाती थीं।

उन्नति का उदाहरण: जल की कमी में भी सफलता प्राप्त किसान ने अमरूद के बाग से कमाया बंपर मुनाफा
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सिरसा जिले के गांव जोड़किया के किसान दिनेश हुड्डा ने अपनी खेती में परंपरागत तरीकों को छोड़कर अमरूद (गुवावा) के बाग को बनाने में कड़ी मेहनत और उत्साह से काम किया है। 2021 में बरसाती जमीन पर अमरूद के 520 पौधे लगाने के बाद सिर्फ 22 महीनों में उन्हें पहली खेती के लाभ मिले। इसके बावजूद कि इलाके में पानी की कमी थी, उन्होंने इस नई प्रयोगशील खेती के जरिए भरी उपज उत्पादित की।

पानी की कमी के बावजूद अमरूद के बाग में भरी उपज

दिनेश हुड्डा के अनुसार, उनके इलाके में पानी की कमी होने के कारण परंपरागत खेती ने उन्हें सताया था और मुनाफे की उम्मीदें पूरी नहीं हो पाती थीं। इसी के चलते उन्होंने अमरूद की खेती में रुचि दिखाई। अमरूद पौधे सूखे के लिए सही मानसिकता रखते हैं और अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है।

विशेषताएं और मुनाफा

प्रथम पैदावार: अपनी पहली पैदावार में ही दिनेश हुड्डा को अमरूद के बाग से भरी उपज मिली। यह उनके लिए एक बड़ी सफलता का संकेत थी।

स्थायित्व: अमरूद के पौधे धारणशील होते हैं, जिससे उन्हें देखभाल करने में आसानी होती है। इसके कारण उन्हें अपने खेत में अन्य फसलों के साथ भी संयुक्त खेती करने में समर्थता मिलती है।

बंपर मुनाफा: अमरूद की खेती से उन्हें बंपर मुनाफा हुआ है, जिससे उनकी आमदनी में काफी वृद्धि हुई है।

इस अनोखी खेती के जरिए, दिनेश हुड्डा ने अपने खेती व्यवसाय में एक नया मोड़ लिया है और आमदनी के साथ-साथ इलाके के अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है। उनकी सफलता से जुड़ी खेती विधियों को आधुनिक तकनीकों से मिलाकर और खेती की विकसित विधियों का उपयोग करके अमरूद की खेती को और भी उत्तम बनाया जा सकता है।

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