हरियाणा में भू मालिकों के लिए नया पोर्टल लॉन्च, मिलेगा ये बड़ा फायदा

हरियाणा में भू मालिकों के लिए नया पोर्टल लॉन्च, मिलेगा ये बड़ा फायदा
X

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने हरियाणा सरकार की नई पहल के तहत भू-मालिकों को सरकारी परियोजनाओं के लिए जमीन खरीदने की प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए नए ई-भूमि पोर्टल का शुभारंभ किया है। इस पोर्टल के माध्यम से भू-मालिकों और एग्रीगेटर्स को बेहद सरल तरीके से सरकारी परियोजनाओं के लिए जमीन देने का मौका मिलेगा। इसमें किसानों को भी शामिल किया गया है, और अब वे भी इस पोर्टल पर जमीन देने के लिए पेशकश कर सकते हैं। यहाँ पर हम आपको इस नए पोर्टल के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

मुख्यमंत्री की पहल: भू-मालिकों के लिए ई-भूमि पोर्टल

मुख्यमंत्री ने इस पहल को शुरू करते समय बताया कि उनका लक्ष्य है कि सरकार पारदर्शी तरीके से भू-मालिकों की सहमति से जमीन की खरीद करे। यह नई पहल भू-मालिकों को जमीन बेचने के लिए एक और सरल और सुविधाजनक विकल्प प्रदान करेगी। इसके अलावा, एग्रीगेटर्स भी इस पोर्टल पर जमीन देने की पेशकश कर सकेंगे, जो इस पहल को और भी बढ़ा देता है।

ई-भूमि पोर्टल: मुख्य बातें

यहाँ हम आपको इस नए ई-भूमि पोर्टल की मुख्य बातें बताएंगे:

1. एग्रीगेटर्स का समर्थन: अब किसानों के अलावा एग्रीगेटर्स भी इस पोर्टल पर जमीन देने की पेशकश कर सकेंगे। एग्रीगेटर्स को आयकर दाता होना चाहिए और उनके पास पी.पी.पी. आईडी होनी चाहिए। पहले, इस प्रक्रिया में एग्रीगेटर्स को प्रॉपर्टी डीलर के रूप में पंजीकृत किया जाना था, लेकिन अब इस शर्त को हटा दिया गया है।

2. पेशकश की मान्यता: नये पोर्टल पर जमीन की पेशकश 6 माह तक मान्य रहेगी। किसान स्वतंत्र रूप से या सूचीबद्ध एग्रीगेटर्स के माध्यम से अपनी जमीन की पेशकश कर सकते हैं। एग्रीगेटर्स द्वारा किए गए स्वैच्छिक प्रस्तावों के लिए न्यूनतम 10 एकड़ की पेशकश को अनिवार्य किया गया है।

3. हिस्सेदारी की स्वीकृति: किसी एक भूमि मालिक द्वारा ई-भूमि पोर्टल पर की गई पेशकश आंशिक या पूर्ण हिस्सेदारी की हो सकती है। हालांकि, यदि कोई एग्रीगेटर एक या अधिक भूमि मालिकों की सहमति या पेशकश अपलोड करता है, तो वह पेशकश प्रत्येक भूमि मालिक की भूमि के पूरे हिस्से की होनी चाहिए।

4. प्रोत्साहन राशि: श्री मनोहर लाल ने एग्रीगेटर्स को 1 प्रतिशत की दर से प्रोत्साहित करने की घोषणा की है। इसके अलावा, भले ही खरीद न हो, तो भी एग्रीगेटर्स को उनके प्रयासों के लिए 1,000 से 3,000 रुपये प्रति एकड़ तक प्रोत्साहित किया जाएगा। शर्त यह है कि वे कुल इंडेंटेड भूमि के कम से कम 70 प्रतिशत की सहमति लाएंगे।

5. प्रक्रिया का सुविधाजनक बनाना: पूरी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने और समन्वय करने के लिए प्रत्येक विभाग में और जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों की पहचान की गई है। इसके साथ ही, यदि कोई भी (व्यक्ति या एग्रीगेटर) एक बार पोर्टल पर ऑफर अपलोड करता है, तो उसे नामित एजेंसी को सूचित किया जाएगा जो प्रस्तावित परियोजना के लिए संबंधित सरकारी इकाई को सूचित करेगी।

6. समयबद्ध प्रक्रिया: सामान्य मामलों में ऐसी उम्मीद है कि पूरी प्रक्रिया 3 से 6 महीने की समय सीमा के भीतर पूरी हो जाएगी। इस प्रक्रिया से पारदर्शिता के साथ-साथ भूमि मालिकों और एग्रीगेटर्स द्वारा भुगतान में देरी की शिकायतों में भी कमी आएगी।

Tags:
Next Story
Share it