गेहूं की टॉप बायो फोर्टिफाइड किस्में: उच्च उपज और अत्यंत लाभकारी खासियतें.

किसानों के लिए एक आत्मनिर्भरता और मुनाफाकर उत्पादन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

गेहूं की टॉप बायो फोर्टिफाइड किस्में: उच्च उपज और अत्यंत लाभकारी खासियतें.
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गेहूं की टॉप बायो फोर्टिफाइड किस्में: उच्च उपज और अत्यंत लाभकारी खासियतें.

गेहूं की उन्नत और बायो फोर्टिफाइड किस्मों का चयन करना किसानों के लिए एक आत्मनिर्भरता और मुनाफाकर उत्पादन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इन किस्मों में से पांच शीर्ष किस्मों की खासियतें और इनके विशेष विवरणों के बारे में हम यहां चर्चा करेंगे, जो किसानों को अधिक पैदावार और बेहतर गुणवत्ता की ओर मोड़ने का एक उत्तम विकल्प प्रदान करती हैं।

गेहूं की शीर्ष पांच बायो फोर्टिफाइड किस्में:

पीबीडब्ल्यू 872:

विशेषता: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त।

उत्पादन: प्रति हेक्टेयर लगभग 75 क्विंटल तक।

बायोफोर्टिफाइड गुण: आयरन 42.3 पीपीएम, जिंक 40.7 पीपीएम।

पूसा ओजस्वी (HI 1650):

विशेषता: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश क्षेत्रों के लिए उपयुक्त।

उत्पादन: प्रति हेक्टेयर लगभग 57 क्विंटल।

बायोफोर्टिफाइड गुण: जिंक 42.7 पीपीएम।

करण वृंदा (DBW 371):

विशेषता: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त।

उत्पादन: प्रति हेक्टेयर लगभग 76 क्विंटल।

बायोफोर्टिफाइड गुण: प्रोटीन 12.2%, आयरन 44.9 पीपीएम।

करण वरुणा (DBW 372):

विशेषता: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के किसानों के लिए उपयुक्त।

उत्पादन: प्रति हेक्टेयर लगभग 75 क्विंटल।

बायोफोर्टिफाइड गुण: प्रोटीन 12.2%, जिंक 40.8 पीपीएम।

उन्नत (एचडी 2967) (एचडी 3406):

विशेषता: उन्नत (एचडी 2967) (एचडी 3406) किस्म 146 दिनों में बाजार में बिक्री के लिए तैयार है।

उत्पादन: प्रति हेक्टेयर 55 क्विंटल तक।

बायोफोर्टिफाइड गुण: प्रोटीन 12.25%।

किसानों के लिए लाभकारी क्यों हैं ये बायो फोर्टिफाइड किस्में?

उच्च उत्पादन: इन किस्मों से प्रति हेक्टेयर 55 से 76 क्विंटल तक की उपज हो सकती है, जो किसानों को अधिक मुनाफा दिलाता है।

क्षेत्रफल का विस्तार: ये किस्में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान जैसे राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, जिससे भारत भर में किसानों को उपज की सुध बढ़ाते हैं।

बायोफोर्टिफाइड गुणवत्ता: इन किस्मों में आयरन और जिंक जैसे बायोफोर्टिफाइड गुण होते हैं, जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।

कैसे किसान चुने इन बायो फोर्टिफाइड किस्मों को?

किसानों को चाहिए कि वे अपने क्षेत्र की भूमि, जलवायु, और स्थानीय बाजार की आवश्यकताओं के आधार पर उपयुक्त किस्म का चयन करें। इसके अलावा, उन्हें ध्यान में रखना चाहिए कि बीजों की गुणवत्ता, प्रदर्शन, और बायोफोर्टिफाइड गुणों की जाँच करें।

ये बायो फोर्टिफाइड गेहूं की किस्में किसानों के लिए एक नई क्रांति का प्रतीक हैं, जो उन्हें सुरक्षित, स्वस्थ और अधिक मुनाफाकारी उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ने में मदद कर सकती हैं। इन किस्मों का चयन करके, किसान अपनी आय को बढ़ा सकता है और स्थानीय और विदेशी बाजारों में अपनी पहचान बना सकता है।

किस्म विशेषताएं उत्पादन (प्रति हेक्टेयर)

पीबीडब्ल्यू 872 उच्च उत्पादन, बायोफोर्टिफाइड गुण 75 क्विंटल

पूसा ओजस्वी (HI 1650) क्षेत्रफल का विस्तार, उच्च उत्पादन 57 क्विंटल

करण वृंदा (DBW 371) बायोफोर्टिफाइड गुणवत्ता, उच्च उत्पादन 76 क्विंटल

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