मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल फसल पंजीकरण में दिक्कत, डीसी से शिकायत

मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल फसल पंजीकरण में दिक्कत, डीसी से शिकायत
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सरकार द्वारा किसानों की सुविधा के लिए शुरू की गई पोर्टल योजना किसानों के लिए जी का जंजाल बन गई है। अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा मनमानी शर्तें लगाकर किसानों को भटकने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मूल रूप से गांव हस्सू व हाल गांव नर सिंह कॉलोनी चक्क खड़क सिंह वाला उर्फ डूमवाली जिला बठिण्डा निवासी किसान मेजर सिंह गिल पुत्र गुरदयाल सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने पीपीपी आईडी की शर्त लगाकर किसान की फसल का पंजीकरण नहीं किया, जिस कारण वह अपनी फसल एमएसपी पर नहीं बेच सकता।

मेजर सिंह गिल ने बताया कि वह डाकघर से रिटायर्ड है। गांव हस्सू में उसके नाम 63-4 मरले व लड़के विक्रमजीत सिंह गिल के नाम 36-5 मरले जददी जमीन है। शुरू से वे अपनी फसल का पंजीकरण करवाते आ रहे हैं। खरीफ -2023 का तसदीकशुदा पंजीकरण शिकायत के साथ बकायदा संलग्न किया गया है।

ये पंजीकरण पड़ोसी राज्य के तौर पर होता था, लेकिन अब कृषि विभाग ने यह पंजीकरण पीपीपी आईडी से जोड़ दिया है। कृषि विभाग की दलील है कि ऐसा फर्जी पंजीकरण व ठगों से बचने के लिए किया गया है। मेजर सिंह ने सवाल किया कि क्या सरकार के पास ठगों के लिए देश के कानून नाकाफी हैं? उन्होंने बताया कि हमारी पीपीपी आईडी नहीं बनी हुई है, क्योंकि उसकी रिहाइश पंजाब में है। इसी वजह से उसकी फसल का पंजीकरण नहीं हो रहा है, जो कि उसके साथ सरासर अन्याय है।

मेजर सिंह ने बताया कि वे दोनों पिता-पुत्र इंकम टैक्स देते हैं। अगर फसल का पंजीकरण नहीं होगा तो एमएसपी पर फसल नहीं बेच पाएंगे और जे फार्म भी नहीं ले सकेंगे। जिस वजह से वे कृषि आमदन के लिए कोई दस्तावेज नहीं पेश कर सकेंगे। पीड़ित मेजर सिंह गिल ने कहा कि वे भारत देश के वासी हैं। उन्होंने उपायुक्त से गुहार लगाई कि इस मामले में तुरंत प्रभाव से कार्रवाई करते हुए उन्हें न्याय दिलाया जाए, ताकि वे अपनी फसल को उचित दामों पर बेच सकें।

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