अंगूर की आधुनिक खेती: अधिक पैदावार बम्फर मुनाफे के लिए जाने कब और कैसे करे खेती .
हम अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त तरीके, उन्नत किस्में, सिंचाई, खाद, उत्पादन और फल तुड़ाई की विधियों पर चर्चा करेंगे.
अंगूर की आधुनिक खेती: अधिक पैदावार बम्फर मुनाफे के लिए जाने कब और कैसे करे खेती .
भारत में अंगूर की खेती का महत्व बढ़ रहा है, जो कि उत्तर भारत के कुछ राज्यों में उत्तम मुनाफा और उत्पादकता देने के लिए एक अच्छा विकल्प है। इस लेख में, हम अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त तरीके, उन्नत किस्में, सिंचाई, खाद, उत्पादन और फल तुड़ाई की विधियों पर चर्चा करेंगे।
भूमि और जलवायु:
अंगूर की खेती के लिए रेतीली और दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है।
शुष्क और गर्म जलवायु अंगूर की उत्पादकता के लिए अनुकूल होती है।
अंगूर की उन्नत किस्में:
किस्म विशेषताएं
परलेट - फलदायी और ओजस्वी बेलें।- गोलाकार सफेदी फल।- फलों में 18-19 तक घुलनशील ठोस पदार्थ।
ब्यूटी सीडलेस - फल पकने तक कीमती हैं।- बीजरहित गोलाकार फल।- मध्यम आकर के गोलाकार फल।
पूसा सीडलेस - जून के तीसरे सप्ताह से पकने शुरू होती हैं।- गुच्छे में खुशबूदार और बेलनाकार फल।- अच्छी किशमिश के लिए उपयुक्त।
बेलों की रोपाई:
जड़ की रोपाई दिसंबर से जनवरी महीने में की जाती है।
मिट्टी में गोबर की सड़ी हुई खाद का उपयोग करें।
बेलों के बीच की दूरी किस्म के अनुसार निर्धारित करें।
बेलों की काट-छांट:
फल लगने के बाद बेलों की काट-छांट करें।
रोगयुक्त और मुरझाई हुई शाखाओं को हटाएं।
खेती में सिंचाई:
फूल आने और फल बनने तक सिंचाई की आवश्यकता होती है।
सिंचाई को आवश्यकतानुसार 7-10 दिन के अंतराल पर करें।
खेती में खाद और उर्वरक:
खेत में गोबर की सड़ी हुई खाद का प्रयोग करें।
नाइट्रोजन, म्यूरेट ऑफ पोटाश, और पोटेशियम सल्फेट का उपयोग करें।
फल गुणवत्ता में सुधार:
जिब्बरेलिक एसिड का उपयोग करें फलों के आकार को बढ़ाने के लिए।
इथेफोन का उपयोग करें फलों के रंग में सुधार के लिए।
फसल की सुरक्षा:
बारिश और फुसफुसाने के लिए अंगूर की फसल को सुरक्षित करें।
रोग और कीट प्रबंधन के लिए प्राकृतिक उपाय अपनाएं।
अंगूर की आधुनिक खेती एक लाभकारी व्यवसायिक विकल्प हो सकता है, जो कि उत्पादकता और मुनाफे में सुधार कर सकता है। उपरोक्त विवरण और सुझाव अंगूर की खेती को एक नई दिशा में ले जाने में मदद कर सकते हैं।