धनिया की खेती में हो रहा है घाटा, पौधे सूख रहे हैं, तो जानिए पौधों में लगे लेंगिया रोग के लक्षण और उपचार
रोग ग्रसित पौधों के अवशेष जो खेत में गिर कर मिट्टी में मिल जाते हैं, इस रोग को फैलाने का कार्य करते हैं।
धनिया की खेती में हो रहा है घाटा, पौधे सूख रहे हैं, तो जानिए पौधों में लगे लेंगिया रोग के लक्षण और उपचार
धनिया में लेंगिया रोग के लक्षणों को पहचानना और उसका उपचार करना किसानो के लिए बहुत जरुरी है। इस लेख में हम धनिया में लेंगिया रोग के लक्षणों के बारे में जानेंगे और उसके उपचार के उपायों को समझेंगे।
धनिया में लेंगिया रोग के लक्षण
फफोले: धनिया के तनों पर रंगहीन या चमकीले फफोले दिखाई देते हैं।
आकार में परिवर्तन
रोग की उग्र अवस्था में तना बहुत लंबा हो जाता है और फूल के बजाय लौंग की आकृति बन जाती है।
पौधों की सूखना
मौसम की अनुकूल परिस्थितियों में, रोगग्रसित पौधे सूख जाते हैं और मर जाते हैं।
रोग का फैलाव
रोग ग्रसित पौधों के अवशेष जो खेत में गिर कर मिट्टी में मिल जाते हैं, इस रोग को फैलाने का कार्य करते हैं।
रोग की रोकथाम के उपाय
बुवाई से पहले
गर्मी में खेत में हल का पानी देकर गहरी जुताई करें।
रोगग्रसित अवशेषों को जला दें या गहरा गड्ढा करके गाड़ दें।
बुवाई के समय
रोगग्रसित बीज का इस्तेमाल न करें।
रोग रोधी किस्म के प्रमाणित बीज का उपयोग करें।
उपचार के लिए दवाई का छिड़काव करें।
खड़ी फसल में रोग नियंत्रण
रोग के प्रथम लक्षणों पर हेक्सोकोनोलॉजल या प्रोपिकोनोजोल नामक दवाई का उपयोग करें।
छिड़काव करते समय पानी की बूंदें जमीन पर टपकने तक छिड़काव करें।
इन उपायों का पालन करके धनिया में लेंगिया रोग को नियंत्रित किया जा सकता है और उचित प्रबंधन के साथ फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है।