धनिए की खेती 3 महीनो में कमाए 2.50 लाख रूपए ,अभी सही समय है बुवाई का जाने कब और कैसे करे .
धनिया की खेती एक फायदेमंद और सामृद्धिकरणकर्ता फसल है जिससे हम अपनी रसोई में स्वादिष्ट मसालों को सजा सकते हैं।

धनिए की खेती 3 महीनो में कमाए 2.50 लाख रूपए ,अभी सही समय है बुवाई का जाने कब और कैसे करे .
धनिया की खेती एक फायदेमंद और सामृद्धिकरणकर्ता फसल है जिससे हम अपनी रसोई में स्वादिष्ट मसालों को सजा सकते हैं। इस लेख में, हम धनिये की खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे, जैसे कि बीज से तैयारी तक की पूरी प्रक्रिया, प्रमुख उपज किस्में, और खेती के लिए उपयुक्त तरीके।
धनिये की खेती का महत्व:
धनिया एक वर्षिक पौधा है जिसका उपयोग विभिन्न राजस्वादित पकवानों और घरेलू नुस्खों में किया जाता है। इसकी खेती से बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जैसे कि विटामिन सी से भरपूर होना और अनेक रोगों का इलाज।
जलवायु और मिट्टी:
धनिये की खेती के लिए सही जलवायु और मिट्टी का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मिट्टी की पीएच 8-10 होनी चाहिए और उच्च नमी वाली मिट्टी इसे अच्छे से उगने में मदद करती है।
प्रमुख धनिया किस्में:
Local: इसका पौधा 60 सेंटीमीटर तक ऊँचा होता है और इसकी पैदावार 3.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Punjab Sugandh: इसकी खासियत तेज सुगंध है और पैदावार 150 क्विंटल प्रति एकड़ है।
GC 1, GC 2, CO 1, CO 2: ये किस्में अन्य राज्यों में प्रसारित हैं और अच्छी पैदावार देने के लिए जानी जाती हैं।
बीजाई का समय:
बीजाई: इसकी बीजाई अक्तूबर के पहले सप्ताह में करनी चाहिए और बीज तैयार करने के लिए बीजाई अक्तूबर के आखिरी सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक करनी चाहिए।
फासला:
फासला: कतार से कतार का फासला 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे का फासला 15 सेंटीमीटर रखें।
बीज की गहराई:
बीज की गहराई: 3 सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
खाद:
खाद: यूरिया, SSP, और MURIATE OF POTASH का सही मिश्रण बनाकर उपयोग करें। नाइट्रोजन, पोष्फोरस, और पोटाश की मात्रा को भी ध्यान से समझें।
सिंचाई: मानविकता के अनुसार और बर्फ गिरने के समय सबसे अधिक सिंचाई की जाती है।
जल स्रोत: धनिया के लिए सही जल स्रोत का चयन करें, जैसे कि बुआई के बाद 5-6 दिनों तक बर्फ गिरने वाले स्थान से जल प्राप्त होता है।
दुर्बल पौधों की हटाई: पौधे मजबूती से उगाने के लिए दुर्बल पौधों की हटाई करें।
प्रमुख रोग और उनका इलाज:
धनिये के पौधों में रात के समय पीलापन: पेड़ों को अच्छे से सिंचाई करें और अगर यह समस्या बनी रहती है तो फिरमाइस्टिन 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।
केवल और सिंकाड़ा रोग: पूरे खेत को १ % बोर्डो मिक्स छिड़के या स्प्रे करें।
रिकोला और प्यारी रोग: बीज से पहले बुआई के समय रिकोला और प्यारी रोग से बचाव के लिए बीजों को थोड़े से प्याज़ का रस मिलाकर रखें।
धनिये की खेती को सफल बनाने के लिए उपर्युक्त सुझावों का पालन करें और समृद्धि से भरी फसल हासिल करें।