खेती-किसानी को आसान बनाने के लिए ड्रोन को प्रमोट कर रही है सरकार. खरीदने पर मिल रही है भारी सब्सिडी.

खेती-किसानी को आसान बनाने के लिए ड्रोन को प्रमोट कर रही है सरकार. खरीदने पर मिल रही है भारी सब्सिडी.
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खेती-किसानी को आसान बनाने के लिए ड्रोन को प्रमोट कर रही है सरकार. खरीदने पर मिल रही है भारी सब्सिडी. कीटनाशकों का छिड़काव, बीज की बुवाई और फसलों की सेहत पर निगरानी रखने में कारगर है ड्रोन. जानिए इसके बारे में सबकुछ.

आने वाले दिनों में कृषि क्षेत्र में ड्रोन जरूरत बढ़ेगी. इसने किसानों का काम आसान कर दिया है. इसके जरिए कीटनाशकों का छिड़काव और बुवाई काफी आसान हो गई है. पहले जहां 2.30 घंटे में एक एकड़ में छिड़काव होता था वहीं अब यह काम सिर्फ 7 मिनट में हो रहा है. इस समय देश में मुश्किल से एक हजार ड्रोन काम कर रहे हैं. लेकिन 2026 तक यह बढ़कर 6 लाख के पार हो सकता है. एग्रीकल्चर ड्रोन से न सिर्फ किसानों की इनपुट कॉस्ट में बचत होगी बल्कि फसलों का नुकसान कम हो जाएगा, जिससे में उत्पादन पहले से ज्यादा मिलेगा.

देश की पहली किसान ड्रोन निर्माता कंपनी होने का दावा करने वाली आयोटेक वर्ल्ड एविगेशन ने अगले एक साल में 1000 ड्रोन बेचने का लक्ष्य रखा है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह बाजार कितनी तेजी से बढ़ रहा है. कंपनी के सह-संस्थापक दीपक भारद्वाज और अनूप उपाध्याय ने बताया कि अभी ड्रोन के काफी पुर्जे बाहर से मंगाए जा रहे हैं. जबकि एक-दो साल के अंदर ही सौ फीसदी स्वदेशी ड्रोन बनने लग जाएगा. कंपनी इन दिनों खेती में ड्रोन के फायदों की जानकारी देने के लिए 15000 किलोमीटर की ड्रोन यात्रा चला रही है.

ड्रोन का कितना है दाम?

एग्रीकल्चर ड्रोन के जरिए बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलेगा. क्योंकि हर ड्रोन के लिए ट्रेंड पायलट चाहिए. इसकी ट्रेनिंग कई राज्यों में हो रही है. इस वक्त महंगा होने की वजह से ज्यादातर किसान एग्रीकल्चर ड्रोन को किराये पर ले रहे हैं. प्रति एकड़ 500 से 900 रुपये की लागत आती है. लेकिन इससे काफी समय बचता है. किसान पर सीधे पेस्टीसाइड नहीं गिरता और फसलों पर दवाई की क्षमता बढ़ जाती है. इस समय 10 लीटर टैंक क्षमता के कृषि ड्रोन का दाम 6 से 10 लाख रुपये है.

किसे कितनी मिलती है छूट?

किसान आसानी से ड्रोन को अपना सकें इसके लिए केंद्र सरकार उन्हें 40 से 100 फीसदी तक की सब्सिडी दे रही है. कोई किसान व्यक्तिगत तौर पर ड्रोन खरीदता है तो उसे 40 फीसदी सब्सिडी मिलेगी. एफपीओ खरीदेगा तो उसे ज्यादा सब्सिडी मिलेगी. कृषि विश्वविद्यालयों और सरकारी कृषि रिसर्च सेंटरों को सौ फीसदी सब्सिडी है. किसान ड्रोन का बाज़ार में 2026 तक 5000 करोड़ रुपये का हो सकता है. कृषि ड्रोन कुल ड्रोन बाज़ार में तकरीबन 30 फीसदी योगदान देता है.

तीन प्रमुख काम करेगा एग्रीबोट

कंपनी ने एग्रीबोट नाम से एक मल्टी-परपज़ किसान ड्रोन बनाया है, जो छिड़काव, बीज फैलाने और फसलों की सेहत पर निगरानी रखने में बेहद कारगर है. एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया है जिसके जरिए छोटे और सीमांत किसान किराये पर ड्रोन की सेवाएं ले सकते हैं. उन्होंने एक बाईक बैक ड्रोन मॉडल और नई लिथियम आयन बैटरियों का लॉन्च किया है, जिससे ड्रोन के संचालन की लागत न सिर्फ कम हो जाएगी बल्कि उसकी पहुंच हर खेत तक होगी.

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