Watermelon Farming: गुडिया खेड़ा के युवा किसान आधुनिक तरीके से तरबूज की खेती कर कमा रहे लाखों रुपये 

Watermelon Farming: गुडिया खेड़ा के युवा किसान आधुनिक तरीके से तरबूज की खेती कर कमा रहे लाखों रुपये 
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गुडिया खेड़ा के युवा किसान आधुनिक तरीके से तरबूज की खेती कर कमा रहे लाखों रुपये 

Watermelon Farming

Khet Khajana: Sirsa चौपटा। राजस्थान की सीमा से सटे पैंतालिसा क्षेत्र के किसान परंपरागत खेती के साथ.साथ आधुनिक तरीके से खेती करके कमाई कर रहे हैं। किसान बागवानीए पशुपालनए सब्जियां इत्यादि लगाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रहे हैं। यह क्षेत्र राज्य के अंतिम छोर पर पड़ने के कारण हमेशा ही नहरी पानी की कमी से जूझता रहता हैए  क्षेत्र के किसान आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में नए.नए तरीकों की खोज करने में लगे रहते हैं इसी कड़ी में क्षेत्र के गांव गुडिया खेड़ा के युवा किसान ने जयवीर पुत्र हरीराम गोदारा ने ऊबड़ खाबड़ खेत टिले को समतल कर चार एकड़ जमीन में तरबूज की खेती कर कमाई करने का जरिया खोजा है।  इसी के तहत तरबूज व सब्जियों को बेचकर करीब दो लाख रुपए कमाई कर रहा है ।Watermelon Farming

युवा किसान जयवीर गोदारा ने गांव के ही प्रगतिशील किसान से प्रेरणा लेकर तरबूज व सब्जियों की खेती शुरू

Watermelon Farming News : किसान जयवीर गोदारा ने बताया कि उनका खेत बिरानी होने के कारण नहरी पानी की कमीए प्राकृतिक आपदाओंए बीमारियों इत्यादि से परंपरागत खेती में फसलों का उत्पादन कम होने लगा और बचत भी नहीं हो पा रही थी। ऐसे में उसने खेती में आमदनी बढ़ाने का जरिया खोजना शुरू किया तो उन्होंने चार एकड़ जमीन में तरबूजए पीला तरबूजए लाल तरबूज की खेती कर करीब दो लाख रुपए की कमाई करना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि अधिकतर खाने के काम आता है इसलिए उसमें जैविक खाद का प्रयोग किया है। जिसकी वजह से ही लोग उनके खेत से ही सब्जियां व तरबूज खरीद कर ले जाते हैं। और काफी पसंद करते हैं। आधुनिक तरीके से खेती करके युवा किसान जयवीर गोदारा हरियाणा तथा निकटवर्ती राजस्थान के गांव में प्रेरणा स्रोत बन गया है ।

किसान जयवार ने बताया कि उन्होंने सरकार की सहायता से खेत में सोलर सिस्टम से नलकूप लगाया हुआ है और जिससे जब जरूरत होती है ड्रिप सिस्टम द्वारा सिंचाई कर पौधों को पानी सीधा जड़ों में दिया जाता है ।  जिससे एक तो पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी व  खाद इत्यादि मिल जाती है । यह सब सरकार के सहयोग से मिला है।

तरबूज की खेती में लागत और आमदनी

किसान जयवीर ने बताया कि तरबूज की खेती की शुरुआत करने में सबसे पहले उन्नत क्वालिटी के बीज की जरूरत होती है। जो एक एकड़ के हिसाब से 100 ग्राम बीज पड़ता है। 100 ग्राम बीज लगभग साढे सात हजार के करीब आता है। एक एकड़ में पांच हजार रूपये मलचिंग करने के लिए कागज की आवश्यकता होती है। तरबूज को सही तरीके अंकुरित करने के लिए लगभग एक एकड़ में चार ट्राॅली देशी गोबर का छिड़काव किया गया। उन्होने बताया कि पौधों को पानी देने के लिए ड्रिप सिस्टम लगाया गया। इन सभी को मिलाकर लगभग 20000 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से खर्चा आता है। जबकि तरबूज की खेती में आमदनी की बात कि जाए तो अच्छे दाम मिलने पर लगभग एक एकड़ में 2 लाख रूपये तक आमदनी हो जाती है।

बिजाई करने का सही समय

युवा किसान जयवीर गोदारा ने बताया कि खेत में देशी पाॅली हाउस बनाकर उसमें 5 जनवरी को पौधा तैयार करने के लिए जर्मिनेशन किया गया था। उसके बाद 10 फरवरी को खेत में मेड़ बनाकर बिजाई कर दी थी। जयवीर ने जानकारी देते हुए बताया कि देशी पाॅली हाउस में पौध जर्मिनेशन करने से पहले मौसम की जानकारी का होना बहुत जरूरी है। अगर समय उस तेज हवा या बारिश आने से पाॅली हाउस उखड़ने का खतरा बना रहता है।

खाद-स्प्रे

जयवीर गोदारा ने बताया कि तरबूज की आॅग्रेनिक खेती की गई जिसमें नारियल का बुरादा व केंचवा खाद का इस्तेमाल किया गया है। उन्होने बताया कि आॅग्रेनिक खेती करते हुए सिर्फ बायो प्रोडक्ट का ही इस्तेमाल किया गया है। नीम आयल व सागरिका की स्प्रे की गई है।

सिंचाई

किसान ने बताया कि तरबूज की फसल में ड्रिप सिस्टम के माध्यम से सिर्फ एक घंटे ही नहरी पानी दिया जाता है। अगर नहरी पानी नहीं है तो ट्यूबवेल का भी पानी दे सकते है।

कृषि विभाग के अधिकारी समय रहते बताएं उत्पादन बढ़ाने के तरीके

किसान जयवीर का कहना है कि समय.समय पर कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा क्षेत्र के किसानों को फल सब्जियों में फैलने वाली बीमारियों से अवगत कराया जाना चाहिए । जिससे समय रहते दवाइयों का छिड़काव करके बीमारियों को काबू किया जा सके और उत्पादन अच्छा हो सके। साथ ही उन्होंने बताया कि उसके गांव से सिरसा मण्डी दूर पड़ती है। जिससे फलों को वहां ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है। अगर फलों व सब्जियों की मंडी नाथूसरी चौपटा में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। तथा एक वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए।

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