कपास के KR 64 बीज की क्यों है किल्लत, कब तक दूर होगी कमी, बाजार में नकली बीज की हो रही कालाबाजारी

कपास के KR 64 बीज की क्यों है किल्लत, कब तक दूर होगी कमी, बाजार में नकली बीज की हो रही कालाबाजारी
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कपास के KR 64 बीज की क्यों है किल्लत, कब तक दूर होगी कमी, बाजार में नकली बीज की हो रही कालाबाजारी

खेत खजाना, सिरसा। रबी फसलों की लावणी के साथ ही खरीफ फसलों की बिजाई करनी शुरू कर दी है। फिलहाल देशी कपास की बिजाई का समय शुरू हो चुका है। किसान देशी कपास की बिजाई करने करने हेतू बीज के लिए तरस रहे है। किसान मोसम को देखते हुए देशी कपास की अगेती बिजाई करना चाहते है। लेकिन मार्केट में बीज उपल्बध न होने की वजह से किसान सिंचाई की हुई जमीन को सुखा रहें है। जिन किसानों के पानी साधन कम और रेतीली जमीन है वो किसान के आर 64 वैरायटी की खेती करना चाहते है। लेकिन किसानों के पास तो दूर की बात लेकिन अभी तक मार्केट में भी नही पहुंचा है। जिसकी वजह से किसान परेशान होकर मजबूरी में देशी बिनौला की बिजाई कर रहें है।

क्या कहते है किसान

जिन किसानों के खेतों में पानी की कमी या फिर रेतीली मिट्टी है वो किसानों समय रहते देशी कपास की खेती करना चाहते है। लेकिन बीज की कमी होने कि वजह से किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों ने बताया कि उन्होने के कपास की बिजाई करने के लिए खेत को जोतकर उसमें पानी दे दिया लेकिन बिजाई का समय आ गया बीज न मिलने की वजह से जमीन सुख रही है। कुछ किसानों ने बिना किसी के देरी करते हुए देशी बिनौला की बिजाई कर दी।

के आर 64 देशी कपास की बढी मांग

विशेषज्ञों के अनुसार कपास की बिजाई का उचित समय 15 मार्च से 15 अप्रैल तक माना गया है। लेकिनए इस बार गर्मी जल्दी ही दस्तक दे चुकी है और लगातार बढ़ती जा रही है। इसलिए कपास की अगेती बिजाई पर ही जोर दिया जा रहा है। क्योंकि पछेती बिजाई में गर्मी अधिक बढ़ने के कारण कपास के पौधे झुलसने की शिकायत भी आ सकती है। जबकि अगेती बिजाई में पौधे गर्मी की मार से बचने की उम्मीद रहती है। जब तक गर्मी अधिक होगी उस समय कपास के पौधे बड़े हो चुके होंगे और सिंचाई से कपास को गर्मी से बचाया जा सकता है। ऐसे में किसान देशी कपास की बिजाई अगेती करना चाहते है। किसानों का कहना है कि के आर 64 बीज रेतीली जमीन व कम पानी वाले इलाके के लिए उचित है। किसानों का कहना के आर 64 में अधिक झाड़ निकलता हैं औ लागत भी कम होती है। इसलिए के आर 64 के बीज की मांग बढी हुई है। लेकिन मार्केट में बीज उपल्बध न होने की वजह से किसानों को अगेती नरमें की बिजाई करनी पड़ रही।

ब्लैक होने की संभावना।

किसानों का कहना है कि फिलहाल देशी कपास की बिजाई करने के लिए स्टिक व उचित समय है। अब तक किसानों के पास कपास का बीज नही पहुंचा है तो इससे साफ जाहिर होता है कि या तो के आर 64 अभी तक मार्केट में नही पहुंचा है अगर पहुंच गया है तो इसकी कालाबजारी होने की संभावना है।

क्या कहते है अधिकारी

इस मामले कृषि विभाग के अधिकारियों का साफ कहना है कि अभी तक मार्केट में शक्तिवर्धक केआर 64 का बीज नही आया है। अधिकारियो का कहना है कि कंपनी की तरफ से पहला स्लाॅट मार्केट में आया था वह फैल हो गया था। उन्होने बताया कि कंपनी की तरफ से बीज को उगाकर देखा गया जो कि फैल हो गया और मार्केट में नही आ पाया है। अधिकारियों का कहना है कि किसानों को कपास का बीज जल्द पहुंचाने के लिए दुसरा टैस्ट लगा रखा है जैसे ही सैंपल सफल होता है तो तुंरत किसानों तक पहुंचा दिया जाएगा।

अधिकारियों ने दिए सुझाव

संबधित विभाग के अधिकारियों ने किसानों को सुझााव देते हुए कहा है कि अभी तक बीज मार्केट में नही आया है। किसान कालाबाजारी व नकली बीज की चपेट में न आए, किसान कपास की खेती करने के लिए सही और उन्नत बीत का ही चयन करें ताकि बीज को लेकर किसानों किसी परेसानी का सामना न करना पड़े।

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