रसोई से निकले सब्जियों के टुकड़ों और कचरे से 45 दिन में बनाएं केंचुआ खाद, भूमि में ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ाएगी

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एचएयू के वैज्ञानिक प्रदेश के किसानों को निःशुल्क दे रहे केंचुआ खाद बनाने का प्रशिक्षण

आजकल लोग रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक खाद को एक बेहतर विकल्प मानते हैं। इससे जी पभोग के लिए लगाई जाने वाली सब्जियों व अन्य खाद्यान फलों के लिए वर्मी कंपोस्ट (केचुआ खाद) इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि इसमें पोषक तत्कों की मात्रा अन्य कंपोस्ट से अधिक होती. है। वर्मी कंपोस्ट को आसानी से रसोई से निकलने वाले सब्जियों के टुकड़ों और कचरे से भी आसानी से बनाया जा सकता हैं एचएयू में इसके लिए किसानों को निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है।

दो विधियों से तैयार होती हैं वर्मी कंपोस्ट

सस्य विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसके ठकराल ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट को तैयार करने की दो विधियों हैं। पहली पाट विधि, दूसरी- सरफेस विधि पाट विधि में घरेलू स्तर पर कम मात्रा में वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाता है। जबकि दूसरी विधि, सरफेस विधि में कंपोस्ट तैयार करने के लिए शेड का प्रयोग किया जाता है। इस विधि द्वारा 45 दिनों में कंपोस्ट तैयार होती है। सरफेस विधि में गड्ढे के ऊपर घास या नारियल के छिलकों का प्रयोग करते हैं।

भूमि जलग्रहण क्षमता बढ़ती है

डॉ. सतपाल ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट चायपत्ती के समान दानेदार होता है। जिसका रंग काला व भूरा होता है। इससे बदबू नहीं आती है। इसके प्रयोग से भूमि उपजाऊ बनती है।

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2 माह में आसानी से तैयार कर सकते हैं जैविक खाद

एचएयू कुलपति बी. आर ने बताया कि वर्मा जेस्ट कैचर की मदद से निर्मित जैविक है, जिसे 45 से 60 दिन में तैयार किया जाता है। उन्होंने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट में से 2.5% नाइट्रोजन 0.75 मे 15% फास्फोरसर 2 से 3% पोटास 3 से 46 कैल्शियम व 3 से -4% मैग्नीशियम होता है, जो फसलों के विकास में मदद करता है।

 

 

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