ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल लगाकर किसान गेहूं और धान की फसल के बीच के समय में बिजाई करके शुरुआत कर सकते हैं. यह फसल केवल दो महीने में तयार हो जाती है. इस बार सरकार किसानों को मूंग बीज पर हरियाणा सरकार 75 फीसदी सब्सिडी भी दे रही है. (government subsidy on moong Cultivation)
सिरसा Khet Khajana : किसानों की गेहूं की कटाई के बाद. धान की रोपाई तक किसानों के पास 2 महीने होते हैं. ऐसे में किसान इन 2 महीनों के दौरान ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल लगाकर आंतरिक आमदनी ले सकते हैं.
वहीं, अगर बात करें तो ग्रीष्मकालीन मूंग की इस खेती पर नाममात्र खर्च आता है और एक एकड़ से करीब 40 हजार रुपये तक की मूंग की फसल निकल जाती है. जो मूंग का पौधा बच जाता है, वह ग्रीन कंपोस्ट के रूप में खेत में मिला दिया जाता है. जो अगली फसल किसान को लगानी है. इसमें फर्टिलाइजर कम डलता है. ऐसे में किसान की और भी आमदनी हो जाती है. क्योंकि मूंग की खाद से कई प्रकार के न्यूट्रिशन मिट्टी को मिलते हैं. जिसके कारण खेत की मिट्टी की सेहत में सुधार होता है.
मूंग फसल पर सब्सिडी केसे मिलेगी
सरकार ग्रीष्मकालीन मूंग का एरिया बढ़ाने के लिए विभाग ने जिला के किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर 06 हजार एकड़ क्षेत्र की बिजाई के लिए 600 क्विंटल ग्रीष्मकालीन मूंग के बीज का वितरण किया जाना है. किसानों को हरियाणा बीज विकास निगम के केंद्रों के बिक्री केंद्रों के माध्यम से बीज वितरित किया जाएगा. आपको बात दें की इसके साथ ही 25 प्रतिशत राशि किसान को बीज खरीदते समय जमा करवानी होगी. ग्रीष्मकालीन मूंग का बीज प्राप्त करने के लिए किसानों को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की वेबसाइट पर जाकर किसान को पंजीकरण करवाना होगा.
हरियाणा में मूंग फसल पर सब्सिडी.
पंजीकरण 10 अप्रैल तक लक्ष्य प्राप्त होने तक जारी रहेगा
किसानों को बीज देने के बाद विभागीय कमेटी इनका भौतिक सत्यापन करेगी कि क्या किसान ने बीज का उपयोग सही तरीके से किया है या नहीं. उन्होंने बताया कि योजना के अनुसार निरीक्षण के दौरान यदि किसान के खेत में मूंग के बीज की बुवाई नहीं हुई पाई गई. तो उस किसान को 75 प्रतिशत अनुदान राशि विभाग में जमा करवाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा. यदि वह ऐसा नहीं करता तो वह मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकृत कर उसी भूमि पर कृषि विभाग की स्कीमों का लाभ (कृषि मशीनरी व ई-खरीद को छोड़कर) आने वाले एक साल तक प्राप्त करने से वंचित हो जाएगा. इस स्कीम के तहत पूरी प्रक्रिया जिला उपायुक्त की देखरेख में की जाएगी.
ऐसे बीज के लिए कर सकते हैं अप्लाई: उन्होंने बताया कि ग्रीष्मकालीन मूंग की एम.एच. 421 वैरायटी किसानों को उपलब्ध करवाई जाएगी. एम.एच. 421 किस्म 60 दिन में पकने वाली पीले पत्ते के प्रति अवरोधक, दाना आकर्षक चमकीला हरा व मध्य आकार का होता है. जिसकी सामान्यत ग्रीष्मकालीन उपज करीब 5 क्विंटल प्रति एकड़ व खरीफ में 5-7 क्विंटल प्रति एकड़ पाई जाती है. उन्होंने बताया कि एक किसान अधिकतम 30 किलोग्राम अथवा 03 एकड़ तक का बीज प्राप्त कर सकता है. हरियाणा बीज विकास निगम से बीज लेते समय किसान को अपना आधार कार्ड या वोटर कार्ड या किसान कार्ड बिक्री केंद्र पर देना होगा. उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि ग्रीष्मकालीन मूंग बीज प्राप्त करने के लिए विभाग की वैबसाईट पर शीघ्रातिशीध पंजीकरण करवाएं.
मूंग फसल की खाद: कृषि अधिकारी ने बताया कि अगर कोई किसान मूंग से मूंग की फसल नहीं लेना चाहता सिर्फ खाद के रूप में इसका प्रयोग करना चाहता है. तो वह अपने मूंग के खेत में आधा-आधा कट्टा यूरिया खाद का दो बार में डाल सकते हैं. ऐसे में मूंग के पौधों में बढ़ोतरी होगी और वह हरी खाद के रूप में प्रयोग किया जाएगा. वहीं, मूंग की फली तोड़ने के बाद बचा हुआ पौधा भी अगर मिट्टी में मिला देते हैं, तो उससे भी एक हमारे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है.
खेत में मिट्टी की ऐसे बढ़ाएं गुणवत्ता: ऐसे में किसान के दोनों काम हो जाते हैं. मूंग के पौधे की जो जड़ होती हैं. इसमें नाइट्रोजन फिक्स हो जाती है. जब वह मिट्टी में मिलता है, तो उससे मिट्टी को नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम कई प्रकार के खनिज लवण मिलते हैं. यह सभी पोषक तत्व खेत की मिट्टी की कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को बढ़ाकर मिट्टी की सेहत में सुधार करते हैं. हरी खाद के रूप में मूंग का विकल्प बहुत ही ज्यादा अच्छा है. इससे भूमि की सेहत अच्छी बनी रहती है.
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