किसानों के लिए खुशखबरी, देसी गाय खरीदने पर हरियाणा सरकार देगी सब्सिड़ी, साथ में मिलेगे चार बड़े ड्रम

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किसानों के लिए खुशखबरी, देसी गाय खरीदने पर हरियाणा सरकार देगी सब्सिड़ी, साथ में मिलेगे चार बड़े ड्रम

खेत खजाना, कुरुक्षेत्र। डेरी संचलान व दुधारू पशु पालकों को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा देसी गाय खरीदने वाले किसानों को सब्सिड़ी देने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत खासकर छोटे किसानों को कैसे उपर उठाया जाए उसके लिए सरकार एक योजना बनाकर किसानों को 25 हजार रुपये सब्सिड़ी देने का मन बनाया है। ताकि प्राकृतिक खाद में प्रयोग होने वाले देसी गाय का गोबर व मूत्र किसानों को आसानी से उपलब्ध हो सके और जहरमुक्त खेती की तरफ आगे बढ़ा जा सके। स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाले ऐसे किसानए जिसके पास 2 से 5 एकड़ भूमि हैए उनको देसी गाय की खरीद पर अधिकतम 25 हजार रुपये की सब्सिडी देने की योजना की शुरूआत की है।

इतना ही नही इस योजना का लाभ लेने वाले किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए चार बड़े ड्रम निशुल्क दिए जाएंगे। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत प्रदेश में 50 हजार एकड़ में प्राकृतिक खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके लिए कृषि विभाग द्वारा जागरूकता अभियान चलाकर किसानों का प्राकृतिक खेती करने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

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सुभाष पालेकर हैं प्राकृतिक खेती के जनक आचार्य देवव्रत ने दी अभियान को गति

महाराष्ट्र के अमरावती में जन्में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के जनक माने जाते हैं। उन्होने प्राकृतिक खेती को इजाद किया और पूरे देश में इसको लेकर अभियान भी चलाया। वह दशकों से नेचुरल फार्मिंग के लिए एक आंदोलन चला रहे हैं। उन्होंने जीरा बजट खेती पर कई पुस्तकें भी लिखी हैं। उन्हें इसके लिए वर्ष 2016 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। वहीं गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्राचार्य रहे आचाय देवव्रत के हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनने के बाद उन्होंने इस अभियान को गति देने का काम किया।

गुरुकुल कुरुक्षेत्र की जमीन पर होती है प्राकृतिक खेती

बता दें कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र की जमीन पर प्राकृतिक खेती की जाती है और यह फार्म देश भर के किसानों के लिए मॉडल के रूप में तैयार किया गया है। इतना ही नही सरकार द्वारा गुरुकुल कुरुक्षेत्र में एक ट्रेनिंग सैंटर भी बनाया है जिसमें आए दिन ट्रेनिंग का आयोजन किया जाता है जिसमें प्रदेश व अन्य प्रदेशों के किसान प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण लेने के लिए पहुंचते हैं।

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