Profitable Farming: गेहूं-सरसों की कटाई होने के बाद बोएं यें फसल, लाखों का होगा मुनाफा, सरकार ने बढ़ा दी कीमतें

Profitable Farming: गेहूं-सरसों की कटाई होने के बाद बोएं यें फसल, लाखों का होगा मुनाफा, सरकार ने बढ़ा दी कीमतें
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Profitable Farming: पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, ओडिशा, बिहार, असम, उत्तर प्रदेश और मेघालय प्रमुख जूट उत्पादक राज्यों की सूची में शामिल हैं, जहां 83 से अधिक जिलों में मुख्य फसल के रूप में जूट की खेती की जाती है.

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किसानों को धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलें उगाने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। इसी उद्देश्य से केंद्र सरकार अन्य नकदी फसलों को भी विभिन्न तरीकों से बढ़ावा दे रही है। कई राज्यों में बागवानी फसलों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन एक फसल ऐसी है जो पूर्वी भारत में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। हम बात कर रहे हैं जूट की। जूट पिछले कुछ वर्षों में सबसे उपयोगी प्राकृतिक रेशों में से एक के रूप में उभरा है। पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों में जूट का उपयोग बढ़ रहा है। अब सरकार ने जूट का रकबा बढ़ाने और किसानों को बेहतर कीमत दिलाने के लिए जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है। हम आपको बताते हैं कि गेहूं और सरसों की कटाई के बाद मार्च से अप्रैल के बीच ही जूट की बुआई की जाती है. इसलिए किसान चाहें तो लाभ कमाने के लिए खरीफ सीजन से पहले जूट की खेती कर सकते हैं। Profitable Farming

क्या है जूट ?

जूट एक नकदी फसल है। जूट लंबा, मुलायम और चमकदार पौधा होता है। मोटे धागे या धागे बनाने के लिए इससे रेशे एकत्र किए जाते हैं। इसका उपयोग बैग, बोरे, कालीन, पर्दे, सजावटी सामान, पैकिंग के लिए टोकरी बनाने के लिए किया जाता है.

यह सिंचित क्षेत्रों की फसल है। जूट विशेष रूप से 150 सेमी या उससे अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में तेजी से बढ़ता है। जूट के पौधे से गूदा बनाया जाता है। इससे कागज और कुर्सियाँ बनाई जा सकती हैं.

सरकार ने बढ़ाई जूट की एमएसपी

हाल ही में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में मार्केटिंग सीजन-2023-24 के लिए कच्चे जूट के एमएसपी में 6% की वृद्धि की गई है। अभी तक कच्चा जूट न्यूनतम समर्थन मूल्य 4750 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा जा रहा है.

लेकिन मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए कच्चे जूट (टीडी-3, पहले के टीडी-5 ग्रेड के बराबर) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 300 रुपये से बढ़ाकर 5050 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले से देश के 40 लाख से ज्यादा किसानों को सीधा फायदा होगा.

इन राज्यों में होती है जूट की खेती

कुछ विशेष फसलें देश की मिट्टी और जलवायु के अनुसार उगाई जाती हैं। इन फसलों में जूट भी शामिल है। पूर्वी भारत में किसान बड़े पैमाने पर जूट की खेती करते रहे हैं। पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, उड़ीसा, बिहार, असम, उत्तर प्रदेश और मेघालय प्रमुख जूट उत्पादक राज्यों की सूची में शामिल हैं, जहां 83 से अधिक जिले जूट को मुख्य फसल के रूप में उगाते हैं.

भारत है सबसे बड़ा उत्पादक

आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन दुनिया में जूट का 50% उत्पादन भारत देता है. इस 50% उत्पादन का आधा हिस्सा पश्चिम बंगाल से आता है. इस लिस्ट में बांग्लादेश, चीन और थाईलैंड का नाम भी शामिल है. कृषि क्षेत्र को जूट की खेती से मजबूती मिल ही रही है, लेकिन जूट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भी एग्रीकल्चर सेक्टर में ही होता है.

इससे बैग, थैला, बोरी, टोकरी जैसी तमाम चीजें बनाई जाती हैं. अनाज की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली ज्यादा बोरियां जूट से ही बनी होती हैं. इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें किसान से कुल उत्पादन का 70% जूट खरीद लेती हैं.

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