Best Cotton Farming: पास की खेती के लिए विशेष प्रबंधन, कपास की खेती के लिए मिटटी एवं जलवायु

Best Cotton Farming: पास की खेती के लिए विशेष प्रबंधन, कपास की खेती के लिए मिटटी एवं जलवायु
कपास की खेती के लिए प्रबंधन
मिटटी एवं जलवायु
मिटटी का पी एच ७-८ होना चाहिए|
जमीन में कार्बन अच्छा होना चाहिए |
जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए |
कपास की खेती के लिए मध्यम काली एवं गहरी काली भूमी अच्छी होती है|
Khet khajana, Cotton Farming
जलवायु
अंकुरण के लिए १८-३० डिग्री सेंटीग्रेट
वनस्पति विकास के लिए आदर्श तापमान २१-२७ डिग्री और यह अधिकतम तापमान ४३ डिग्री तक को सहन क्र सकता है लेकिन २१ डिग्री से निचे का तापमान फसल के लिए हानिकारक है|
स्कवायर या बड बनते टाइम २०-४० डिग्री सेंटीग्रेट
गर्म दिन और ठंडी रात, लम्बी अवधि वाली किस्मों के लिए अनुकूल रहता है| अच्छा टिंडा और रेशा विकास होता है |
चुगाई या पकने के समय -२७ से ३२ डिग्री सेंटीग्रेट ( इस समय यदि तापमान ३८ डिग्री सेंटीग्रेट से अधिक होता है तो उत्पादन कम हो सकता है
भूमि की तैयारी एवं बुवाई
भूमि की अच्छी जुताई करना चाहिए और मिटटी भुरभुरी होनी चाहिए
जुताई गहरी करना चाहिए जिससे मिटटी में पहले से मौजूद कीट और रोग का अंश नष्ट हो जाए |
गहरी जुताई के कारण मिटटी की जलधारण क्षमता भी बढ़ जाती है |
कपास एक लम्बे दिन की फसल होने के कारण इसकी जड़ जमींन में लगभग एक मीटर तक की गहराई तक जाती है |
बुवाई का समय
आगंगा नगर , हनुमान गड - १० अप्रैल से २० मई
मई के प्रथम सप्ताह से १५ जून माह तक - जोधपुर, नागौर , तथा अन्य सभी जिले में कर सकते है |
बीज की मात्रा एवं बुवाई
बी टी कपास की खेत की परिधि पर उसी किस्म की नॉन बी टी सकर (रेफ्यूजिया) बीज की बुवाई अवश्य करें| रेफ्यूजिया के अंतर्गत बिजाई क्षेत्र का २०% अथवा पांच पंक्तिया, जो भी अधिक हो वो रखे|
बुवाई का अंतर
जमीन का प्रकार और किस्म पर निर्भर करता है |
जल्दी पकने वाली - ३*१ फुट
मध्यम पकने वाली - ३*२ फुट
देरी से पकनेवाली - ५*२ फुट
बेसल खाद का प्रबंधन
- पोटाश - २० किलो
ज़िंक सल्फेट ३३%
यूरिया २० किलो
जिप्सम ४० किलो
अच्छी सड़ी हुई गोबर खाद - २५ क्विंटल
डी एपी - २० किलो
समस्त उर्वरकों एवं गोबर की खाद की खाद का बिजाई से पूर्व छींटा लगाना है |
बायो पोटाश का उपयोग न करें
एम् ओ पी पोटाश ( म्यूरेट ऑफ़ पोटाश) का उपयोग न करें|