कथनी और करनी में संतुलन बनाएं डीसी महोदय, पोर्टल के नाम पर किसानों को गुमराह करना बंद करे जिला प्रशासन: औलख  

कथनी और करनी में संतुलन बनाएं डीसी महोदय, पोर्टल के नाम पर किसानों को गुमराह करना बंद करे जिला प्रशासन: औलख  
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पोर्टल के नाम पर किसानों को गुमराह करना बंद करे जिला प्रशासन: औलख  

कहा, कथनी और करनी में संतुलन बनाएं डीसी महोदय

खेत खजाना, सिरसा। बेमोसमी बरसात, तेज हवाओं और ओलावृष्टि के कारण देश के कई इलाकों के साथ हरियाणा के जिला सिरसा में किसानों की गेहूं, सरसों, जौ, सब्जियों, बागवानी इत्यादि फसलों का काफी नुकसान हुआ है। जिसपर हरियाणा के मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री के लगातर ब्यान आ रहे हैं कि जिन किसानों की कुदरती आफत के कारण फसलें बर्बाद हुई, सरकार की तरफ  से उन किसानों को मुआवजा देकर आर्थिक मदद की जाएगी। जिसके लिए किसानों को ऑनलाइन पोर्टल पर अपनी फसल का नुकसान अपलोड करने की सलाह दी जा रही है।

सिरसा उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने भी पिछले दिनों समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी दी है कि आगामी 10 अप्रैल तक ऑनलाइन पोर्टल खोल दिए गए हैं, जिनपर किसान खुद अपनी फसल का पंजीकरण और नुकसान का ब्यौरा भर सकते हैं। लेकिन किसान नेता लखविंद्र सिंह औलख ने डीसी सिरसा के इस ब्यान को किसानों के साथ एक मजाक बताया है। उन्होंने कहा कि डीसी महोदय के ऐलान के बाद भी बहुत से गांवों के किसानों के उनके पास फोन आ रहे हैं कि कहीं मेरी फसल मेरा ब्यौरा का पोर्टल नहीं खुल रहा तो कहीं क्षति पूर्ति पोर्टल नहीं खुल रहा है। औलख ने कहा कि दोनों ऑनलाइन पोर्टल के सही से काम न करने की वजह से किसान अपने नुकसान का ब्यौरा भी नहीं दे पाएंगे और आगे चलकर किसानों को फसल बेचने में भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

जब सरकार और जिला प्रशासन की नाकामी के कारण किसानों को परेशानी होती है तो जत्थेबंदी को उनकी आवाज उठाने के लिए विरोध प्रदर्शन का रास्ता अपनाना पड़ता है। जिला प्रशासन को सचेत करते हुए लखविंद्र सिंह ने कहा कि डीसी महोदय अपनी कहनी और कथनी में संतुलन बनाते हुए प्रभावित क्षेत्रों में क्षति पूर्ति और हर गांव में मेरी फसल मेरा ब्यौरा के पोर्टल खुलवाएं।

उन्होंने कहा कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर पंजीकरण कराने के बाद भी फसल बेचने के लिए सरकार के आदेशानुसार पटवारियों द्वारा फसल की वेरिफिकेशन की जरूरी पड़ती है। जो पटवारियों की कमी और उनके गिरदावरी में व्यस्त होने के चलते नहीं हो पा रही है। औलख ने कहा कि या तो फसल की वेरिफिकेशन की अनिवार्यता को हटाया जाए या अन्य अधिकारीयों की ड्यूटी लगाकर जल्द से जल्द फसल की वेरिफिकेशन करवाई जाए, ताकि सरसों की फसल बेचते समय भी किसानों जो दिक्कत आ रही है, वो दिक्कत गेहूं की फसल बेचते समय ना आए।

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