किसान भाई ड्रोन की मदद से करना चाहते हैं खेतों में दवा का छिड़काव, तो ये है खास मौका, सरकार दे रही 5 लाख की सब्सिडी

किसान भाई ड्रोन की मदद से करना चाहते हैं खेतों में दवा का छिड़काव, तो ये है खास मौका, सरकार दे रही 5 लाख की सब्सिडी
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आधुनिक खेती के साथ-साथ किसानों को खेती करना पहले से अधिक आसान हो गया है खेती का हर काम मशीनों द्वारा ही होता है इसलिए अब किसानों को रासायनिक दवा छिड़कने के लिए किसी मजदूर की आवश्यकता नहीं सिर्फ ड्रोन की मदद से अकेला किसान ही कई एकड़ में दवा का छिड़काव कर सकता है ड्रोन को भी अब किसी यंत्रों में शामिल कर दिया गया है इसके लिए सरकार की ओर से किसानों को लोन के लिए सब्सिडी भी दिया जाएगा। किसानों को ड्रोन खरीदने के लिए ₹500000 तक का सब्सिडी दिया जा रहा है।

ड्रोन पर अनुदान

श्री चौधरी ने बताया कि भारत सरकार ने सबमिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन कहत कृषि यंत्रों की सूची में ड्रोन को शामिल कर दिया है। जिसके तहत अनुसूचित जाति जनजाति लघु सीमांत एवं तथा महिलाओं को किसी को प्रति यंत्र लागत का 50% या अधिकतम ₹500000 तक का अन्य कृषि को लागत का 40% यानी अधिकतम ₹400000 तक का अनुदान ड्रोन खरीदने के लिए दिया जाएगा। सरकार के निर्देशों के अनुसार प्रदेश में ड्रोन के लिए निर्माताओं को पंजीकरण करवाया जायेगा।

कस्टम हायरिंग केंद्र का विस्तार

संचालक कृषि अभियांत्रिकी ने बताया कि प्रदेश में एग्रीकल्चर ड्रोन उनके लिए योजना तैयार की जा रही है। जिसके तहत कस्टम हायरिंग केंद्र का विस्तार किया जा रहा है। इन सभी केंद्रों पर ड्रोन उपलब्ध होंगे जिन्हें किसान किराए पर अपनी फसल की सिंचाई के लिए ले जा सकते हैं। प्रदेश में 350 कस्टम हायरिंग केंद्र का कार्य शुरू हो चुका है। कृषि यंत्र उपलब्ध होंगे जिसे छोटे किसान एवं मध्यम वर्ग के किसान किराए पर ले जा सकेंगे। इन सभी सेंटर के माध्यम से किसानों को खेत तैयार करने मोगली और कटाई के लिए यंत्र भी किराए पर मिलेंगे। जिससे किसान अपना काम कम समय में सकते हैं।

किसानों को ड्रोन उड़ाने का दिया जाएगा प्रशिक्षण

श्री चौधरी ने बताया कि प्रदेश में अभियांत्रिकी संचालन के तहत वर्तमान में पांच कौशल विकास केंद्र चलाए जाएंगे जहां युवाओं को बेरोजगार को ट्रैक्टर , रोटाबेटर और हार्वेस्टर चलाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह सभी केंद्र भोपाल, ग्वालियर जबलपुर, सागर एवं सतना में उपलब्ध होंगे। और साथ ही यह भी बताया गया है कि छठा कौशल विकास केंद्र इंदौर में खोला जा रहा है। कौशल विकास के इन सभी केंद्रों पर कर लो के साथ ड्रोन उड़ाने एवं उसके रखरखाव का प्रशिक्षण दिया जाएगा यह प्रशिक्षण रोड निर्माता कंपनी देगी। जिससे किसानों को अपनी खेती के लिए ड्रोन चलाना सिखाया जाएगा।

ड्रोन की मदद से किसानों को मिलने वाला लाभ

दुनिया भर में कृषि कार्यों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन का उपयोग बढ़ रहा है। भारत में भी सरकार कृषि चित्रों में तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। ताकि बेहतर उपज के साथ-साथ किसानों की आय में भी वृद्धि हो महाराष्ट्र राजस्थान आदि राज्यों के तमाम किसान खेती किसान कार्य के लिए रोड का उपयोग किया जा रहा है। महाराष्ट्र, राजस्थान आदि राज्यों के तमाम किसान खेती किसानी के कार्यों में ड्रोन का उपयोग कर रहा है।

किसानों खेती के अधिनियम उपकरणों में से एक कि यंत्र है। जिसके इस्तेमाल से किसान को काफी मदद मिल सकती है। ड्रोन की मदद से किसान बड़े पैमाने पर महज कुछ मिनटों में कितना शाखा दिया दवाओं का छिड़काव कर सकते हैं ।इसमें न सिर्फ लागत में कमी आएगी बल्कि समय की भी बचत होगी ।और किसान को अपने रखरखाव का भी अच्छा उपयोग होगा। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सही समय पर खेतों में कीट प्रबंधन किया जा सकेगा सरकार ने देश में ही ड्रोन के विकासको बढ़ावा देने के लिए इसके आयात पर भी रोक लगा दी है।

पिछले कुछ वर्षों में कृषि ड्रोन तकनीकी में काफी सुधार हुआ अब किसान भी इस बात को समझने लगे कि कैसे ड्रोन तकनीकी से उन्हें काफी ज्यादा मदद मिल सकती है। आमतौर पर किसी क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग मैपिंग सर्वेक्षण से लेकर कीटनाशक छिड़काव तक होता है। कृषि ड्रोन दूसरे ड्रोन से अलग नहीं है। इस छोटे यूएवी को किसान की जरूरत के हिसाब से बदला जा सकता है। हालांकि अब कई ड्रोन विशेष रूप से कृषि उपयोग के लिए ही विकसित किया जा रहा है।

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