इन पॉपुलर कृषि यंत्रों के साथ करे धान की खेती, कम लागत में ले जयादा मुनाफा

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By. Khetkhajana.com

भारत में कई राज्य धान की खेती करते हैं जिसमें पश्चिमी बंगाल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब और तमिलनाडु प्रमुख है। विश्व भर में भारत चावल की खेती करने में दूसरे नंबर पर आता है। यहां के किसानों को चावल की खेती करने में काफी मेहनत की जरूरत होती है। लेकिन इतनी मेहनत देखते हुए भी उत्पादन बहुत कम मिलता है। क्योंकि यहां के किसान पारंपरिक तौर पर खेती करते हैं, किसानों की आय को और अधिक बढ़ाने के लिए कहीं ऐसे कृषि यंत्र विकसित हुए हैं जिनकी मदद से किसान कम मेहनत करके और कम समय में अधिक उत्पादन ले सकता है।

कुछ ऐसे कृषि यंत्र जिनकी मदद से किसान को कम मेहनत और कम समय मे अधिक उत्पादन ले सकते हैं। इन कृषि यंत्रों को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) द्वारा विकसित किया गया है।
धान की पराली काटने वाली मशीन

पूसा द्वारा विकसित यह मशीन किसानों को पराली (पुवाल) जलाने जैसी दिक्कतों से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो रही है। इसके इस्तेमाल से किसान भाई आसानी से धान फसल अवशेष का निस्तर कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने में सफल हो पा रहे है। इस मशीन कार्य करने की क्षमता 0.4 से 0.6 एकड़ प्रति घंटा है। यह मशीन धान फसलों के अवशेष अथवा पराली को जमीन से 2 से 3 सेमी. ऊपर से काटने और पराली को 4 से 5 सेमी. के छोटे टुकड़े कर उन्हें भूसा बनाने का काम करती है।

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गहाई कृषि यंत्र

इस कृषि यंत्र को खासतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है इस मशीन की कार्य की क्षमता 30 से 40 किलोग्राम धान प्रति घंटा है। इस मानव चलित कृषि यंत्र से थ्रेशिंग करना भी आसान होता है। इसमें मेहनत भी कम लगती है और समय भी बचता है। इस मशीन को पहाड़ी क्षेत्रों में उपयोग के लिए एक व्यक्ति भी अपने कंधों पर उठाकर ऊपर ले जा सकता हैं। क्योंकि यह आकार में छोटी और हल्की होती है।

 

धान बोने की मशीन

इस मशीन द्वारा किसान धान के बीजों की सीधी बुवाई कर सकते हैं। इस मशीन के इस्तेमाल से धान की बुवाई करने पर कम श्रमिक और कम जल की आवश्कता होती है। इस मशीन की मदद से एकड़ के खेत में धान की बुवाई करने पर मात्र 2 से 3 श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है।डीएसआर विधियों से धान की रोपाई करने में 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज दर की आवश्यकता पड़ती है।इस मशीन को चलाने के लिए 45 एचपी से ऊपर के ट्रैक्टर की आवश्यकता पड़ती हैं। यह मशीन धान की बुआई 9 पंक्तियां में करती है।

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