रेतीली व कम पानी वाली जमीन पर नरमे की कौन सी किस्म का प्रयोग करें, अधिक पैदावार के लिए जानें पूरी जानकारी

रेतीली व कम पानी वाली जमीन पर नरमे की कौन सी किस्म का प्रयोग करें, अधिक पैदावार के लिए जानें पूरी जानकारी
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रेतीली व कम पानी वाली जमीन पर नरमे की कौन सी किस्म का प्रयोग करें, अधिक पैदावार के लिए जानें पूरी जानकारी

खेत खजाना। खेत खजाना किसानों का भरोसेमंद व सटीक जानकारी वाला वेब पोर्टल है। इस वेब पोर्टल में सिर्फ किसानों जुड़ी हर खबर व योजनों को सबसे पहले प्रकाशित किया जाता है । आज हम इस लेख में रेतीली व कम पानी वाली जमीन में होने वाली कपास की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। पूरी जानकारी के लिए अंत तक बने रहें।  देशी कपास व नरमा खरीफ मौसम की प्रमुख नकदी फसल है। लवण सहनशील होने के कारण कपास को थोड़ी नमकीन व कमजोर भूमि में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। कम पानी एवं धान की अपेक्षा कम लागत में ज्यादा आमदनी देने के कारण किसान इसे सफेद सोना कहकर भी पुकारते हैं। सचाई के लिए पानी की कमी के कारण पिछले कई सालों से जिले के किसान कपास की तरफ ज्यादा आकर्षित हुए हैं।

देशी कपास की एचडी-107,123, 324 व 432, संकर किस्में एएएच-1 व 32, अमेरिकन कपास की एच-1117, 1226, 1236 तथा एच-1300, संकर किस्में एचएचएच-223 व 287, संकर बीटी कपास की आरसीएच-773 व 653, पीआरसीएच-7799, बायो 6588, केसीएच-999, अंकुर 3228 बीटी-2, एमआरसी-7017 बीटी-2 उन्नत किस्में हैं। देशी कपास की बिजाई 15 अप्रैल से पूरा मई महीना तक की जा सकती है।

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1 श्री राम 6588. यह किस्म संकर किस्म की हैं। किसानों सबसे ज्यादा सुंडी का रोग या फिर पत्तियों के सुकड़ने का रोग से परेशान होना पड़ता है। लेकिन इस किस्म में सभी प्रकार कि सुंडी रोग व पत्तियों के सुकड़ने के राग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है। इस किस्म के पौधे की उंचाई लगभग 176 सेंटी मीटर तक होती हैं। इस किस्म में सबसे बड़ी बात यह है कि प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इसकी उत्पादन क्षमता 28 क्विंटल तक होती है।

रासी 773 किस्म – जो किसान कपास की अगेती बुआई करते है उनके लिए ये किस्म काफी अच्छी है। अगेती बुआई के लिए इस किस्म को सर्वोत्तम माना जाता है। ये किस्म काली जलोढ़ मिटटी में काफी अच्छी पैदावार देती है

रासी 776 किस्म – जिन क्षेत्रों में पानी की मात्रा कम होती है उन क्षेत्रों के लिए ये किस्म सर्वोत्तम होती है ये किस्म लगभग 170 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी बुआई का समय अप्रैल से जून का महीना होता है।

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बलराज – ये किस्म उन क्षेत्रों के लिए होती है जहा पर मिटटी हलकी और सामान्य होती है। ऐसी मिटटी में ये किस्म अच्छी पैदावार देती है। और ये कपास की किस्म तुड़ाई के समय तक हरी रहती है।

रासी 650 किस्म – ये किस्म मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और गुजरात राज्य में काफी अधिक बोई जाती है। इसमें कम पानी की जरुरत होती है और प्रति एकड़ इसका उत्पादन 12 किवंटल तक जाता है।

US 51 किस्म – इस कपास की किस्म को कपास के बुआई समय से पहले भी और बाद में भी बोया जा सकता है। ये दोनों ही समय के लिए उपयुक्त है। इसमें सुंडी रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है।

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ऊपर दी गई किस्मो के अतरिक्त और भी किस्में है जो अच्छी पैदावार दे रही है इसमें KCH 999 , H 1117 , 1236 , 1226 , अजित 199 BG , रासी जेट , US 51 , अंकुर 3228 , बीटी 2 आदि

कपास की अगेती बुआई का समय

कपास की अगेती बुआई के लिए अप्रैल के पहले सप्ताह का समय ठीक रहता है। इसमें खेत में अच्छे से जुताई करके इसमें कीटनाशक की स्प्रे करके कपास को बोया जा सकता है। और समय पर सिंचाई का ध्यान रखना जरुरी है

कपास बुआई का सही समय

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कपास की बुआई के लिए अप्रैल के अंतिम दिनों से 20 मई के आसपास तक का समय उत्तम होता है।

कपास की पछेती बुआई का समय

जिन किसानो को कपास की पछेती बुआई करनी है उनको 20 जून से पहले कपास की बुआई का कार्य पूर्ण कर लेना चाहिए

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