600 रु. क्विंटल तक जा पहुंचा गेंहू का भूसा, सीजन में यह हाल तो बाद में क्या होगा, पशु पालक परेशान

600 रु. क्विंटल तक जा पहुंचा गेंहू का भूसा, सीजन में यह हाल तो बाद में क्या होगा, पशु पालक परेशान
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600 रु. क्विंटल तक जा पहुंचा गेंहू का भूसा, सीजन में यह हाल तो बाद में क्या होगा, पशु पालक परेशान

खेत खजाना। भूसा संकट दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। परिवहन पर रोक न होने के कारण प्रतिदिन दर्जनों ट्रक भूसा लादकर ले जा रहे हैं। इससे पशु पालकों के सामने संकट खड़ा हो गया है। वर्तमान में भूसे के भाव 600 रुपए क्विंटल तक हो गए हैं। जबकि कटाई हार्वेस्टरों से चल रही है। इससे भूसे का संकट लगातार बढ़ रहा है। हार्वेस्टिंग के दौरान काटी गई फसल का भूसा मशीनों के माध्यम से बनाया जा रहा है। जो खेत से ही खरीद कर बाहर के व्यापारी ले जा रहे हैं। मजदूरों को शासन द्वारा एक रुपए किलो गेहूं दिए जाने से मजदूरों ने गेहूं की फसल काटना बंद कर दिया है। इस कारण किसान फसल की कटाई मजबूरी में सीधे हार्वेस्टर से करा रहे हैं।

सीजन पर यह हाल तो बाद में क्या होगा

वर्तमान में पालकों को भूसा 600 से 800 रुपए क्विंटल तक मिल रहा है। जो भूसा थ्रेसिंग के बाद निकल रहा है वह 800 रुपए क्विंटल तक बिक रहा है। पशु पालक संतोष ने बताया कि सीजन के बाद भूसा एक हजार रुपए क्विंटल तक पहुंच जाता है।

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कमी का यह कारण

पहले मजदूरों से फसल कटवाते थे। एक मजदूर को दिन भर में पंद्रह किलो अनाज मिल जाता था। साल भर का स्टाक कर लेते थे। सरकार ने मजदूरों को एक रुपए किलो गेहूं- चावल देना शुरू किया है मजदूर धूप में कटाई करने जाते ही नहीं । कटाई से थ्रेसिंग के दौरान खासा भूसा मिल जाता था लेकिन वर्तमान में हार्वेस्टिंग की कटाई से आधा भूसा ही मिल पाता है। उसे भी व्यापारी खरीद कर ले जाते हैं। इससे लगातार समस्या आने लगी है।

किसानों से खराब भूसा ईंट भट्टे वाले खरीद ले जाते हैं

सोयाबीन और उड़द, चना, मसूर का भूसा अधिकतर ईंट भट्टे वाले खरीदकर ले जाते हैं। इसके चलते सस्ता बिकने वाला खराब भूसे के रेट भी आसमान छूने लगे हैं। जिससे पशु पालकों को अब खराब भूसा भी नहीं मिल पाता। पशु भी उसका उपयोग नहीं करते हैं। अच्छा भूसा जो स्टाकिस्ट रखते हैं वह बाद में मनमाने ढंग से महंगे दामों पर बेचते हैं।

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