किसान हाथों से गेहूं काटने को मजबूर, कंबाइन से गेहूं कटाई पर हो रहा नुकसान

किसान हाथों से गेहूं काटने को मजबूर, कंबाइन से गेहूं कटाई पर हो रहा नुकसान
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By. Khetkhajana. Com

किसान हाथों से गेहूं काटने को मजबूर, कंबाइन से गेहूं कटाई पर हो रहा नुकसान

गेहूं की कटाई शुरू हो चुकी है भारी बारिश और ओलावृष्टि ने पहले ही से ही गेहूँ की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है और अब किसानों के लिए एक सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। बारिश और पिछले दिनों आई तेज आंधी के कारण गेहूं की फसलें जमीन पर बिछ गई हैं जिससे किसान हाथों से कटाई करने को मजबूर है। बिछी हुई गेहूं की फसल को मजदूर कम दिहाड़ी पर काटने को तैयार नहीं है इसलिए गेहूं कटाई पर भी किसानों को हजारों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं

बारिश से पीड़ित किसान

बारिश की मार से परेशान किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। पंजाब के संगरूर इलाके के रहने वाले किसान सतनाम सिंह बारिश से हुए गेहूं के नुकसान से काफी पीड़ित है। उनका कहना है कि उन्होंने अपने खेतों में 4 एकड़ में गेहूं की फसल बो रखी है जिसका बारिश के कारण बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है वह इसे हाथों से काटने पर मजबूर है क्योंकि गेहूं की फसल जमीन पर बिछ गई है जिससे कंबाइन से गेहूं कटवाने पर काफी नुकसान हो रहा है।

पहले कटवाते थे कंबाइन से गेहूं

किसान सतनाम सिंह का कहना है कि पहले वह अपने खेतों में कंबाइन लगवा कर गेहूं कटवाते थे जो उन्हें बहुत ही पड़ता था व बहुत ही कम समय में गेहूं की अच्छी और सस्ती कटाई हो जाती थी। लेकिन अब लेबर व कंबाइन के रेट महंगे होने के कारण वह गेहूं कटवाने में असमर्थ है क्योंकि कंबाइन, लेबर से गेहूं कटवाने पर मुझे प्रति एकड़ 8000 रूपये देने पड़ रहे हैं।

किसान कर रहे मुआवजे की मांग

किसान सतनाम सिंह के साथ-साथ इस इलाके के अन्य किसान भी सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं क्योंकि गेहूं कटाई में भूसे के महंगे खर्चे को किसान अपनी जेब में से खर्च कर रहे हैं उनका कहना है कि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती गेहूं का भूसा है क्योंकि आगे चलकर गेहूं के भूसे के रेट बढ़ने वाले हैं और अगर वह हाथ से कटाई नहीं करेंगे तो उनके पशुओं के लिए चारा नहीं बच पाएगा।

खेत में काम कर रहे मजदूर मिट्ठू सिंह का कहना है कि पहले हम खेत में काम करने के लिए किसान से गेहूं और सूखा चारा भी लेते थे. लेकिन अब गेहूं की भी कमी है और सूखा चारा भी नहीं है. इसलिए हम 500 रुपये प्रति दिन की दिहाड़ी ले रहे हैं. मिट्ठू सिंह कहते हैं, वैसे तो दिहाड़ी ज्यादा चल रही है, लेकिन किसान भी हमारे ही साथी हैं. इनका नुकसान हुआ है, इसीलिए हम आम दिनों के मुकाबले कम पैसा ले रहे हैं.

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