जैविक खेती बदल सकती है किसान का जीवन, कपास व धान की खेती में करें गौ मूत्र, नीम, आस्कंद व आक के मिश्रण का छिड़काव

जैविक खेती बदल सकती है किसान का जीवन, कपास व धान की खेती में करें गौ मूत्र, नीम, आस्कंद व आक के मिश्रण का छिड़काव
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जैविक खेती बदल सकती है किसान का जीवन, कपास व धान की खेती में करें गौ मूत्र, नीम, आस्कंद व आक के मिश्रण का छिड़काव

खेत खजाना : पिछले कई वर्षों से कीटनाशक व खाद पर हो रहे लाखों रुपये के खर्च ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। किसान लाखों रुपया का कर्ज लेकर अच्छी पैदावार के लिए कीटनाशक व खाद का खेतों में इस्तेमाल करता है लेकिन बावजूद इसके बीमारियों के कारण उसे नुकसान उठाना पड़ता है। यही कारण है कि अब किसान जैवित खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जैवित खेती में कीटनाशक व खाद पर होने वाला लाखों रुपया का खर्चा बच जाता है।

सिरसा के गांव गुडिय़ाखेड़ा के एक किसान महावीर गोदारा ने भी घरेलू नुस्खों से स्प्रे तैयार किया और गाय के गोबर को खाद के रूप में इस्तेमाल कर अच्छी पैदावार ली है। किसान ने कीटनाशक के स्थान पर खेत में गौमूत्र, नीम के पत्तों, आस्कंद व आक के मिश्रण को इस्तेमाल किया। इससे उसकी पैदावार काफी अच्छी हो रही है। जैविक खेती के फायदे को देखते हुए किसान महावीर गांव के अन्य किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहा है।

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किसान महावीर का कहना है कि इससे पूर्व कभी भी उसे इतनी अच्छी पैदावार नहीं मिली, जो इस बार जैवित पद्धति अपनाने से मिल रही है। विगत वर्ष उसने 10 एकड़ भूमि में एक लाख रुपये से ज्यादा की कीटनाशक व खाद का इस्तेमाल किया था लेकिन पैदावार अच्छी नहीं हुई। इस बार घरेलु नुस्खों से तैयार मिश्रण के स्प्रे से फसल बीमारियों से बची और उसे अच्छी पैदावार मिल रही है।

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उसने बताया कि कपास के पौधे करीब साढ़े 6 फुट की लंबाई के हैं जबकि धान की फसल भी उसकी रिकॉर्ड हो रही है। उसने बताया कि गौ मूत्र, नीम, आस्कंद व ऑक का मिश्रण किसान घरों में तैयार कर सकते हंै और इस पर बिलकुल भी खर्च नहीं आता। गाय के गोबर से ही खाद भी तैयार हो जाती है। इस जैवित मिश्रण के इस्तेमाल से फसल बीमारियों से बची रहती है जबकि गोबर की खाद से जमीन की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ती है।

किसान महावीर ने बताया कि अब वह गांव के सभी किसानों को कीटनाशी व खाद का इस्तेमाल नहीं करने के लिए प्रेरित कर रहा है। ताकि अगले सीजन में पूरे गांव में जैविक खेती की जा सके। उन्होंने बताया कि जैविक खेती से तैयार हुई फसल आम लोगों के लिए भी फायदेमंद है। सब्जियों व गेहूं की फसल का उत्पादन भी इस पद्धति से किया जाए तो आम लोगों को कीटनाशी के प्रभाव से बचाया जा सकता है।

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