Mushroom Farming Subsidy: हरियाणा के किसानों को मशरूम की खेती पर मिलेगा 50 से 85% अनुदान जल्द करें आवेदन
Mushroom Farming Subsidy: प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने व उन्हें पारंपरिक खेती से बागवानी की लाभकारी फसलों के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न फसलों पर विशेष अनुदान दिया जा रहा है।
प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने व उन्हें पारंपरिक खेती से बागवानी की लाभकारी फसलों के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न फसलों पर विशेष अनुदान दिया जा रहा है। इसलिए किसानों को मशरूम यूनिट लगाने पर 50 से 85 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है।
जिला बागवानी अधिकारी जाता है। देवीलाल ने जानकारी देते हुए बताया कि मशरूम के गुणकारी लाभों के चलते बाजार में इसकी मांग निरंतर बढ़ रही है। किसानों में इसकी खेती की सही जानकारी के अभाव में यह बाजार में अधिक मात्रा में उपलब्ध नहीं होता जबकि बाजार में इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि किसान फसल विविधीकरण के तहत इसकी खेती को अपनाकर
बाजार से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। जिला बागवानी अधिकारी ने बताया कि इस योजना के अनुसार बटन किस्म की मशरूम लगाने के लिए अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लोगों को 85 प्रतिशत तथा सामान्य वर्ग के किसानों को बटन या अन्य किस्म की मशरूम की खेती करने पर 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया
अनुदान योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसान पोर्टल पर ऑनलाइन इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अनुदान राशि विभाग के निर्देशानुसार योग्य पात्रों को ही दी जाएगी। मशरूम व अन्य व्यावसायिक फसलों के बारे में अधिक जानकारी के लिए किसान जिला उद्यान अधिकारी भिवानी के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
पिछले कुछ समय से भारत में मशरूम की मांग बढ़ती जा रही है. मशरूम भले ही विदेशी सब्जी हो लेकिन भारतीयों के बीच बहुत लोकप्रिय हो चुकी है. यही कारण है कि बीते एक दशक से इसके उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है. मशरूम जहां खाने का स्वाद बढ़ाती है तो वहीं किसानों के लिए भी वरदान साबित हो रही है.
भारत के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना समेत अलग-अलग राज्यों में किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. कम जगह और कम समय में इसकी फसल तैयार होती है. खास बात है कि मशरूम की खेती में बेहद कम लागत आती है और मुनाफा कई गुना मिलता है. अगर आप किसान हैं, तो मशरूम की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
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भारत में उगाई जाने वाली किस्में-
भारत में मशरूम को कुकरमुत्ता, खुम्भी, गुच्छी, भमोड़ी नाम से जाना जाता है. पूरे विश्वभर में खाने योग्य मशरूम की लगभग 10 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें से केवल 70 प्रजातियां ही खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं. भारत की जलवायु के हिसाब से मुख्य तौर पर 5 प्रकार के खाद्य मशरुमों की खेती की जाती है.
ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम
दूधिया मशरूम
पैडीस्ट्रा मशरूम
शिटाके मशरूम
सफेद बटन मशरूम- बटन मशरूम की भारत में सबसे अधिक डिमांड रहती है तथा इसकी कीमत भी अधिक होती है जिस कारण आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. भारत में सफेद बटन मशरूम की एस-11, टीएम-79 और होर्स्ट यू-3 बीजों की खेती की जाती है. बटन मशरूम के लिए शुरुआत में 22-26 डिग्री सेल्सियस का तापमान आवश्यक होता है. कवक फैलाव के बाद 14-18 डिग्री सेल्सियस तापमान ही उपयुक्त रहता है. इसको हवादार कमरे, सेड, हट या झोपड़ी में आसानी से उगाया जा सकता है.
ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम- इसकी खेती सालभर की जा सकती है. यह 2.5 से 3 महीने में तैयार हो जाता है. 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है. 10 क्विंटल मशरूम उगाने में कुल 50 हजार का खर्च आता है.
दूधिया मशरूम: यह ग्रीष्मकालीन मशरूम है. जिसका आकार बड़ा होता है. राज्यों की जलवायु स्थिति के हिसाब से मार्च से अक्टूबर तक दूधिया मशरूम की खेती उपयुक्त होती है.
पैडीस्ट्रा मशरूम: पैडीस्ट्रा मशरूम उच्च तापमान पर तेजी से बढ़ने वाला मशरूम है. इसकी वृद्धि के लिए अनुकूल तापमान 28-35 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 60-70 प्रतिशत की आवश्यकता होती है. अनुकूल परिस्थितियों में यह 3 से 4 सप्ताह में ही तैयार हो जाती है.
शिटाके मशरूम: यह उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन और विटामिन से भरपूर होता है. यह दुनिया में कुल मशरूम उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर आता है. आप इसे साल और किन्नु पेड़ की भूसी पर उगा सकते हैं.
मशरूम की खेती के लिए तैयारी
मशरूम की खेती चारों तरफ से बंद स्थान पर की जाती है. इसके लिए आप कोई झोपड़ी बना सकते है. 30 Χ22Χ12 की झोपड़ी बनाने में लगभग 30 हजार रुपए खर्च होते हैं.
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मशरूम खेती के लिए कैसे बनाएं कम्पोस्ट
मशरूम की खेती में सबसे जरुरी है कॉम्पोस्ट खाद. इससे बनाने के लिए गेंहू के भूसे का उपयोग होता है. गेंहू के भूसे में फार्मलीन, बेवस्टीन की उचित मात्रा मिलाई जाती है. भूसे को भिगा दिया जाता है. इसके बाद उसमें मुर्गी की बीट, यूरिया, गेहूं का चोकर डालकर मिक्स कर देते हैं और उसे 1 हफ्ते के लिए छोड़ देते हैं. 1 हफ्ते बाद उसका तापमान 70 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाता है तापमान कम करने के लिए भूसे के ढेर को उलट देते हैं. अगले दिन फिर से तापमान चेक करते हैं और 5 दिन बाद ढेर को दोबारा उलट देते हैं. लगभग 28 दिन में कंपोस्ट खाद मशरूम उगाने के लिए तैयार हो जाती है. ढेर को अलग अलग दिनों के अंतर से उलटने से अमोनिया गैसा बाहर निकल जाती है, जिससे उसका तापमान कम हो जाता है.
कैसे करें मशरूम की बुवाई
मशरूम की बुवाई से पहले भीगे हुए भूसे को हवा में फैलाना होता है, ताकि पानी और नमी न रहें. इसके बाद पॉलीथिन के बैग्स में भूसा डालने के बाद मशरूम के दानों का छिड़काव करना होता है. दाने फैलाने के बाद दोबारा से भूसे की परत चढाई, इसके बार फिर बीज का छिड़काव होता है. इसके बाद पॉलिथिन बैग के दोनों कानों पर छेद करें ताकि अतिरिक्त पानी निकल जाए. इन बैग्स को ऐसे स्थान पर रखा जाता हैं जहां हवा लगने की गुंजाइश बेहद कम हो.
कहां से ले बीजः मशरूम की खेती में प्रयोग होने वाले बीज को स्पॉन कहते हैं. अच्छी किस्म का बीज प्राप्त करने के लिए कम से कम एक माह पहले कृषि विश्वविद्यालय के पादप रोग विज्ञान विभाग में बुकिंग करा दें, जिससे समय पर बीज तैयार करके आपको दिया जा सके. इसके अलावा मशरूम के बीज आप कृषि केंद्र, बाजार अथवा ऑनलाइन वेबसाइट जैसे इंडियामार्ट, अमेजॉन आदि से खरीद सकते हैं, जहां मशरूम के 80 से ₹120 प्रति किलो की कीमत पर उपलब्ध होते हैं.
लागत कम, मुनाफा होगा ज्यादा
मशरूम कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है. अगर आप छोटे किसान हैं, तो सिर्फ 10 से 50 हजार रुपए में खेती शुरु कर सकते हैं. आप चाहें तो घर से ही मशरूम की खेती शुरु कर हर महीने 10 से 15 हजार की कमाई कर सकते हैं. बड़ी जगह पर खेती करने से मुनाफा 40 से 50 हजार प्रति महीना तक बढ़ सकता है.
कहां बेच सकते हैं मशरूम
मशरूम बेचने के लिए सबसे अच्छी जगह है सब्जी मंडी, जहां आपको मशरूम के अच्छे दाम मिल जाएंगे. इसके अलावा आप होटल वालों से संपर्क करके अपने फसल उन्हें बेच सकते हैं. कई कंपनियां मशरूम के अलग अलग प्रोडक्ट बनाती हैं, अगर आप बड़े किसान हैं तो ऐसी कंपनियों से समझौता कर सकते हैं.
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