किसान ने की 700 एकड़ में शिमला मिर्च की खेती, पैदावार भी अच्छी हुई, फिर भी सड़कों पर फेंकने को मजबूर

किसान ने की 700 एकड़ में शिमला मिर्च की खेती, पैदावार भी अच्छी हुई, फिर भी सड़कों पर फेंकने को मजबूर
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किसान ने की 700 एकड़ में शिमला मिर्च की खेती, पैदावार भी अच्छी हुई, फिर भी सड़कों पर फेंकने को मजबूर

खेत खजाना: परंपरागत फसलों की खेती करने में किसानों को अब पहले जैसा मुनाफा नहीं रहा। इसलिए किसानों को नगदी फसलों की खेती करने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसी के चलते किसान शिमला मिर्च जैसी फसलों की खेती किसान बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. पंजाब के मानसा जिले के भैनीबागा गांव में भी कई किसान शिमला मिर्च की खेती करते हैं. गोरा सिंह भी उन्हीं किसानों में से एक हैं. लेकिन ये भी इन्हें रास नहीं आई. गोरा सिंह ने शिमला मिर्च पर सही कीमत नहीं मिलने पर अपनी पूरी उपज को सड़क पर फेंक दिया.

सड़क पर शिमला मिर्च क्यों फेंक रहे हैं किसान

मानसा जिले के भैनी बागा गांव में किसानों ने परंपरागत फसलों को छोड़कर सब्जियों की खेती शुरू कर दी है. इस बार भैनी बागा गांव के किसानों ने 700 एकड़ में शिमला मिर्च की खेती की है. हालांकि, किसानों को बाजार में शिमला मिर्च पर रेट नहीं मिल रहा है. ऐसे में निराश किसानों ने मजबूरी में शिमला मिर्च की फसल को सड़कों पर फेंकना शुरू कर दिया है.

सरकार को अपनाना होगा ये उपाय

शिमला मिर्च की मांग अन्य प्रदेशों में हैं. कोलकाता से भी यहां के किसानों को ऑर्डर मिल रहे हैं. हालांकि, वहां तक शिमला मिर्च की उपज पहुंचाने में 1 लाख 10 हजार रुपये बतौर किराया लग रहा है. किसानों का कहना है कि अगर उपज पहुंचाने में देर हो जाती है तो शिमला मिर्च खराब भी हो जाती है. सरकार इस उपज को कोल्ड स्टोर में रखवाकर हमें भारी नुकसान से बचा सकती है.

किसानों की क्या है मांग

किसानों का कहना है कि सरकार उन्हें वैकल्पिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. हमारे गांव में शिमला मिर्च, मटर, खरबूजा और खीरा लगा था लेकिन हमारी हालत बहुत खराब है. हमारे बीज का भी पूरा मूल्य नहीं मिल रहा है. सरकार को इन फसलों की मार्केटिंग करनी चाहिए. साथ ही हमें इन फसलों को उगाने पर सब्सिडी भी मुहैया करानी चाहिए.

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