किसान अभी गेहूं ना बेचे, सरकारी खरीद बंद होने पर और बढ़ेंगे भाव, भारत के गेहूं की बढ़ी डिमांड

किसान अभी गेहूं ना बेचे, सरकारी खरीद बंद होने पर और बढ़ेंगे भाव, भारत के गेहूं की बढ़ी डिमांड
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By. Khetkhajana.com

किसान अभी गेहूं ना बेचे, सरकारी खरीद बंद होने पर और बढ़ेंगे भाव, भारत के गेहूं की बढ़ी डिमांड

गेहूं उत्पादन में कमी के कारण भारत के गेहूं की विश्व में डिमांड बढ़ गई है विश्व के अनेक देशों भारत के गेहूं की मांग कर रहे हैं । ऐसे में इस बार भारत के गेहूं की डिमांड बढ़ गई गेहूं के दामों में एकाएक बढ़ोतरी के आसार बन रहे हैं। निर्यात से जुड़े व्यापारी तो यहां तक कह रहे हैं कि मण्डियों में जैसे ही गेहूं की सरकारी खरीद बंद होगी, वैसे ही खुले बाजार में गेहूं के दाम बढ़ने लग जाएंगे। कृषि व पूर्ति विभाग से जुड़े अधिकारी इसकी पुष्टि भी करते हैं। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को एक वर्ष से अधिक समय हो गया है। अभी तक भी यूक्रेन के बंदरगाहों पर रूसी सैनिकों का कब्जा है। पिछले काफी समय से इन बंदरगाहों गेहूं की आपूर्ति बंद है।

इस वजह से दुनिया की लगभग एक चौथाई से ज्यादा गेहूं की जरूरत को पूरा करने वाले देश रूस और यूक्रेन से गेहूं का निर्यात बाधित है यूक्रेन गेहूं का बढ़ा उत्पादक देश है। निर्यात ठप्प होने से अनेक देश गेहूं के लिए भारत की ओर देख रहे हैं। विश्व के अनेक देशों में गेहूं को लेकर संकट खड़ा हो गया है। भारत में भी मार्च के अंतिम सप्ताह व अप्रैल

के प्रथम सप्ताह में पश्चिमी विक्षोभ के चलते बारिश व ओलावृष्टि से अनेक प्रदेशों में गेहूं की फसल काफी नुकसान पहुंचा, जिस कारण गेहूं उत्पादन में भी कमी आई। खासकर पंजाब व उत्तर दक्षिण हरियाणा में गेहूं की फसल काली पड़ गई। इस वर्ष गेहूं के उत्पादन में कमी को देखते हुए सरकार ने गेहूं की खरीद में पूरी छूट दी है।

सरकार ने लस्टर लॉस को लेकर भी काफी लचीला रूख दिखाया अब सरकार 18 फीसदी टूटा हुआ दाना व 80 फीसदी लस्टर लॉस की खरीद भी कर रही है। इसमें गेहूं केसिकुड़े व टूटे हुए दाने की खरीद भी शामिल है। प्रदेश सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार मौसम की मार से प्रदेश में अब तक करीब 18 लाख एकड़ गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है। हरियाणा में वर्ष 2019-20 में 25 लाख 33 हजार हैक्टेयर भूमि में गेहूं की बुआई की गई थी, जिसमें करोड़ 18 लाख हजार एमटी गेहूं का उत्पादन हुआ था।

वर्ष 2020-21 में कुल 25लाख 64 हजार हक्टेयर भूमि में बुआई हुई तो उत्पादन 1 करोड़ 23 लाख 93 हजार एमटी गेहूं का उत्पादन हुआ था जबकि वर्ष 2021-22 में सरसों के दाम बढ़ने से सरसों का रकबा बढ़ा तो दो लाख हैक्टेयर में गेहूं की बुआई कम हुई। इस वर्ष 23 लाख 4 हजार हेक्टेयर में गेहूं कीबुआई की गई जबकि उत्पादन 1 करोड़ 4 लाख 47 हजार एमटी रहा। इस वर्ष गेहूं का रकबा ओर कम हो गया। इस बार 22 लाख 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की फसल की बुआई की गई है। हर साल प्रदेश में 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से ऊपर ही गेहूं की पैदावार होती है।

बारिश के चलते प्रति हेक्टर 5 से 7 क्विंटल पैदावार घटने की कृषि विशेषज्ञों ने संभावना जताई है I इससे किसानो को काफी आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है बता दे की बीते वर्ष भी गेंहू के दाम msp से काफी बदग गए थे दिसम्बर के बाद सरकार ने गेंहू के दामो पर काबू पाने के लिए FCI के माफंत गेंहू को खुले बाजार में उतारा था I उसके बाबजूद आटे के दामो में कोई ख़ास कमी नहीं आई I इस बार जब गेंहू मार्किट में आ रही है लेकिन आटे के दाम 30 रु.से कम नहीं हो रहे है I

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