कृषि समाचार

खेत को उपजाऊ बनाने वाले कंडीशनर के नाम पर किसानों को बेच दी काली मिट्टी

खेत को उपजाऊ बनाने वाले कंडीशनर के नाम पर किसानों को बेच दी काली मिट्टी

खेत खजाना। खेतों की मिट्टी को उपजाऊ बनाने वाले सॉइल कंडीशनर के नाम पर मालवा-निमाड़ के हजारों किसानों को काली मिट्टी बेच दी गई है। किसानों को यह मिट्टी सोसायटियों के माध्यम से 700 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से बेची गई। जिन लोगों ने इसका इस्तेमाल किया, उन्हें तैयार फसल में पहले से कोई अंतर नहीं दिखा। तब उन्होंने बची हुई खाद का परीक्षण करवाया तो इस धोखे का पता चला। किसान संगठनों का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में पुलिस और कृषि अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

बालों को टूटने से रोकने, काला व घना बनाने वाले कंडीशनर की तरह की खेतों की मिट्टी को भुरभुरी, नमींदार और ज्यादा उपजाऊ बनाने के लिए भी कई कंपनियां सॉइल कंडीशनर बनाती है। खेत उपजाऊ बनाने के लिए जहां दो ट्रॉली गोबर खाद या हजारों रुपए का यूरिया और डीएपी लगता है, वहां यह सॉयल कंडीशनर कम खर्च में ही खेतों को उपजाऊ बना देता है।

दरअसल, राजस्थान में जिप्सम की खदानों से निकलने वाली मिट्टी में जिप्सम और सिलिका होता है। यही मिट्टी दूसरे खेतों की मिट्टी के लिए कंडीशनर का काम करती है। इसे कंडीशनर बनाने के लिए अलग से जिंक, फॉस्फोरस, पोटास भी मिलाया जाता है। ऐसी मिट्टी आलू, प्याज, गाजर जैसी फसलों के लिए ज्यादा अच्छी होती है। हालांकि मालवा-निमाड़ सहित प्रदेशभर के किसानों को पीली बोरी में काली मिट्टी पैक कर सॉइल कंडीशनर बताकर बेचा जा रहा है।

पिछले साल कई किसानों को डीएपी, यूरिया खाद की प्रति 10 बोरी खरीदी पर तीन से पांच बोरी सॉइल कंडीशनर खरीदने के लिए कहा गया था। 700 रुपए प्रति बोरी वाले इस कंडीशनर के खूब फायदे गिनाए गए, लेकिन फसल आने पर किसानों को कोई फर्क नहीं दिखा। इसके अलावा किसानों को प्रोम (फॉस्फोरस रिच अर्गेनिक मैन्युअर) और टॉनिक के नाम पर भी Bगा गया। दरअसल, नकली बीज और दवा के सैंपल लेने की जिम्मेदारी कृषि विभाग के अधिकारियों की होती है। उन्हें ही सैंपल लेकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाना होती है।

फसल की पैदावार नहीं बढ़ी तो सैंपल की जांच करवाई

खजराना निवासी दिनेश पालीवाल की मुरादपुरा (सांवेर) में करीब 50 बीघा जमीन है। उन्होंने खेती के लिए 700 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से करीब 400 बोरी (एक ट्रक) सॉइल कंडीशनर खरीदा था। कीमत करीब दो लाख 80 हजार रुपए। पूरे खेत में सॉइल कंडीशनर डाला, लेकिन जब फसल तैयार हुई तो उसमें फर्क नजर नहीं आया। उनके पास सॉइल कंडीशनर की आधी बोरी बची हुई थी। इसी का सैंपल लेकर उन्होंने जांच कराई तो पता चला कि वह सिर्फ काली मिट्टी है।

प्रदेशभर में की शिकायतें केस सिर्फ बैतूल में दर्ज

सॉइल कंडीशनर, प्रोम, टॉनिक के नाम पर किसानों से साथ हुई धोखाधड़ी को लेकर भारतीय किसान संघ ने प्रदेशभर के कृषि अधिकारियों से शिकायत की। हालांकि सिर्फ बैतूल में सॉइल कंडीशनर बेचने वालों पर केस दर्ज किया गया। इंदौर में कंडीशनर के कई सैंपल गलत मिलने पर उन्हें सिर्फ प्रतिबंधित किया गया, जबकि किसान एफआईआर की मांग कर रहे हैं।

पुलिस और कृषि अधिकारियों ने नहीं ली किसानों की शिकायत

किसानों को सोसायटी के माध्यम से खाद के साथ सॉइल कंडीशन खरीदने के लिए कहा गया। 10 बोरी खाद के साथ तीन बोरी सॉइल कंडीशनर बेचा गया। निजी दुकानदारों ने प्रोम, टॉनिक और अन्य कई चीजें भी इसी तरह बेचीं। इनसे खेत ज्यादा उपजाऊ नहीं हो सकें। हमने लैब में जांच कराई तो पता चला सॉइल कंडीशनर के नाम पर काली मिट्टी बेची गईं।

सिमरोल के जितेंद्र पाटीदार ने 18 बीघा जमीन पर खेती के लिए सोसायटी के खाद के साथ सॉइल कंडीशनर लिया था। इसे डालने के बाद जमीन और अधिक उपजाऊ होना थी, लेकिन उनकी फसल बढ़ने के बजाय कम हो गई। अब उन्होंने अपनी पूरी जमीन पर सिर्फ गोबर के खाद से जैविक खेती शुरू कर दी है।

खजराना में रहने वाले दिलीप मुकाती ने भी अच्छी फसल पाने के लिए करीब ढाई लाख रुपए का सॉइल कंडीशनर खरीदा था। इसे खेतों में डालने के साथ ही उन्हें खाद का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया था दिलीप का कहना है कि कंडीशनर डालने के बाद भी खेत की मिट्टी में ना तो नमी बढ़ी और न ही मिट्टी में खुसखुसापन आया। फसल की जड़ों का भी ज्यादा फैलाव नहीं हुआ। लाखों रुपए अतिरिक्त खर्च करने के बाद भी उन्हें वह फसल मिल जो पहले मिलती थी।

सभी चीजों के सैंपल लेते हैं, गलत पाए जाने पर प्रतिबंधित भी करते हैं।

हम जिलेभर में सरकारी या निजी दुकानों पर खाद के अलावा सॉइल कंडीशनर, प्रोम या टॉनिक जैसी तमाम चीजों के सैंपल लेते हैं। इनकी जांच करवाते हैं और गलत पाए जाने पर संबंधित कंपनी को प्रतिबंधित करने की कार्रवाई भी करते हैं। अभी सोसायटियों के मार्फत जो सॉइल कंडीशनर बेचा जा रहा है, उसे लेकर किसी ने शिकायत नहीं की है। अगर किसी किसान के साथ धोखा हुआ है तो वह हमें बताए। हम कार्रवाई कर देंगे।

देवीसिंह राजपूत, जिला कृषि अधिकारी

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