नौकरी छूट गई लेकिन हार नहीं मानी, 4 एकड़ में शुरू की अंजीर की खेती, अब कमा रहा है 10 लाख रुपये सालाना

नौकरी छूट गई लेकिन हार नहीं मानी, 4 एकड़ में शुरू की अंजीर की खेती, अब कमा रहा है 10 लाख रुपये सालाना
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नौकरी छूट गई लेकिन हार नहीं मानी, 4 एकड़ में शुरू की अंजीर की खेती, अब कमा रहा है 10 लाख रुपये सालाना

खेत खजाना: मुकाम को हासिल करने के लिए कड़ी महनत की जरूरत है। ऐसे में एक नौकरी करने वाले इंसान की अगर नौकरी छूट जाए तो उस पर क्या कुछ असर नहीं पड़ता, यह आप बखूबी जानते हो, ऐसी ही एक कहानी सामने आई है जो आपके साथ सांझा कर रहे हैं।

कोरोना महामारी कई लोगों के लिए काल बनी तो कई लोगों का जीना मुश्किल कर दिया. इस दौरान कई लोगों के कारोबार बंद हो गए और कई लोगों की नौकरी चली गई. पुणे जिले के सिंगापुर में रहने वाले युवा किसान अभिजीत लवांडे ने भी कोरोना के कठिन समय में अपनी नौकरी खो दी. इसके बाद अभिजीत ने खेती पर ध्यान दिया और अंजीर की फसल से सालाना 10 लाख रुपये का मुनाफा कमाया. इसके साथ ही वो कठिन समय में हताश होकर बैठने वाले युवाओं के लिए मिसाल भी बने.

पुश्तैनी खेत में शुरू की खेती

पुणे जिले का पुरंदर तालुका अंजीर और सीताफल की खेती में अग्रणी माना जाता है. इस तालुका के सिंगापुर गांव के प्रगतिशील युवा किसान अभिजीत गोपाल लवांडे ने 30 बीघा जमीन में अंजीर की खेती से 14 टन उत्पादन किया और 10 लाख रुपये का मुनाफा कमाया. अभिजीत पुणे के पास सासवड में एक कंपनी में नौकरी करते थे. अभिजीत के पिता और चाचा का 9 एकड़ का पुश्तैनी खेत है. कोरोना काल में अभिजीत की नौकरी चली गई, इसके बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान खेती की ओर लगाया. आधुनिक तकनीक की मदद से उन्होंने बारहमासी बागवानी की खेती की. इसके लिए कृषि विभाग से खेत के लिए तीन लाख 30 हजार रुपये का अनुदान मिला था.

4 एकड़ में अंजीर की खेती

नौकरी जाने के बाद अभिजीत ने पारंपरिक खेती छोड़कर आधुनिक तरीके से खेती करने का फैसला किया. उन्होंने 4 एकड़ में अंजीर, 3 एकड़ में सीताफल और 5 एकड़ में जामुनी फलों के पेड़ लगाए. इन पेड़ों को रासायनिक खाद की जगह सेंद्रीय खाद का इस्तेमाल करके कड़ी मेहनत की. अभिजीत ने 4 एकड़ में पुना पुरंदर किस्म के 600 अंजीर के पेड़ लगाए. खट्टा बहार के लिए 30 बीघा जमीन में लगाए गए अंजीर के पेड़ों ने अभिजीत की किस्मत चमका दी. जून माह में छंटाई के बाद करीब साढ़े चार माह बाद फलों की तुड़ाई शुरू हो गई. इसमें हर पेड़ से 100 से 120 किलोग्राम उत्पादन मिला.

30 बीघा जमीन में 14 टन उत्पादन

इस सीजन में भाव 80 से 100 रुपये प्रति किलो था. मीठा बहार का फल 85 रुपये प्रति किलो तक बिका. पहले ही सीजन में अभिजीत और उसके परिवार वालों को 30 बीघा जमीन में 14 टन उत्पादन मिला. उन्हें उत्पाद किए हुए अंजीर को पुणे, मुंबई, हैदराबाद जैसे शहरों में ₹100 से ज्यादा कीमत मिली. इससे लवांडे परिवार को एक साल में 10 लाख से ज्यादा मुनाफा हुआ.

छोड़े पारंपरिक तरीके

लवांडे परिवार पहले पारंपरिक तरीके से खेती करता था. खेती में टमाटर, बैंगन, पावटा और अलग-अलग तरीके की सब्जी की खेती होती थी. कई बार अतिवृष्टि और अकाल के कारण खेती में उन्हें भारी नुकसान सहना पड़ा. अभिजीत ने जब खेती में ध्यान दिया तब से वह सिर्फ अंजीर की फसल लगा रहे हैं और इसमें उन्हें काफी फायदा भी हो रहा है.

पौधे तैयार करने का बिजनेस भी शुरू

अभिजीत परिवार की मेहनत अब रंग ला रही है. अंजीर मीठे होने की वजह से उनके रिश्तेदार भी उनसे पौधे मांगने लगे. जब रिश्तेदारों के लिए उन्होंने पौधे तैयार किए तो आसपास के किसान भी पौधों की मांग करने लगे और लवांडे परिवार को नए रोजगार की तरकीब सूझी. उन्होंने पेड़ों की कटाई करने के बाद उसकी शाखाओं से पौधे तैयार करने का नया बिजनेस शुरू कर दिया और आसपास के किसानों को अंजीर के पौंधे बेचने लगे.

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