टिटहरी के अंडे का संकेत? टिटहरी के अंडे देख किसान कैसे लगा लेते है बारिश का अंदेशा
टिटहरी के अंडे का संकेत? टिटहरी के अंडे देख किसान कैसे लगा लेते है बारिश का अंदेशा
खेत खजाना: किसी ने कहा है कि परिंदों का जहां खूबियों और खासियतों से भरा होता है। इनका कलरव मन को सुकून भी देता है तो वातावरण को भी खुशनुमा बनाता है। पर्यावरण को शुद्ध बनाने वाले हर परिंदे की अपनी विशेषता होती है। ऐसा ही एक पक्षी है टिटहरी, इसे कुदरत ने ऐसा करिश्मा दिया है जो अपने अंडों के जरिए अच्छे मानसून का संकेत देती है।
हरियाणा व राजस्थान में टिटहरी व पश्चिमी राजस्थान में इसे टिटूड़ी कहते हैं। यह मादा अगर छह अंडे देती है तो अच्छी पैदावार व बरसात की उम्मीद बन जाती हैं। खुले घास के मैदान, छोटे-मोटे पत्थरों, सूनी हवेलियों व सूनी छतों पर बसेरा करने वाली टिटहरी अप्रैल से जून माह के प्रथम सप्ताह तक करीब चार से छह अंडे देती है।
बुजुर्गों व प्राणीशास्त्र के प्रोफेसरों का मानना कि जब टिटहरी अंडे देती है तो इसके कुछ दिन बाद ही बरसात आने की संभावना बन जाती है। इनका मानना है कि टिटहरी को पहले से ही आगे के मौसम के संकेत मालूम हो जाते हैं। और तो और यही टिटहरी अनेक तरह के शिकारी पक्षियों व जानवरों के आने व आस-पास होने की चेतावनी भी अपनी आवाज से दे देती है।
प्राणीशास्त्र के मुताबिक टिटहरी की उम्र करीब छह से 15 साल तक होती है। लंबाई करीब 15 सेंटीमीटर होती है। आंखें व चोंच के चारों ओर का हिस्सा लाल होता है। प्रजनन काल के दौरान यह और भी गहरा हो जाता है।
6 से 15 साल उम्र
18 से 21 दिनों में अंडे से बच्चे बाहर
इस पक्षी के अंडे देने के करीब 18 से 21 दिनों बाद इनमें से बच्चे बाहर निकल जाते है। टिटहरी के बच्चों के पैरों का रंग सामान्य तौर पर लाल होता है। बाद में धीरे-धीरे बड़े होने के साथ यह रंग पीला हो जाता है। इनके अंडे भूरे-काले धब्बेदार होते है। ये कीट-पतंगे खाकर अपना भरण-पोषण करते है।
डीड ही टू इट.. डीड ही टू इट...
मौसम व अन्य चेतावनी देने वाली टिटहरी कई प्रकार की आवाजें निकालती है। इसकी आवाज पर यह आभास होता है कि या तो मौसम बदलने वाला है या फिर कोई जानवर या पक्षी आने वाला है। टिटहरी लगभग दिनभर डीड ही टू इट...डीड ही टू इट...की आवाज निकालती रहती है।