पशुओं के चारे पर भी महंगाई की मार, तूड़ी की कीमत एक हजार रुपये पार

पशुओं के चारे पर भी महंगाई की मार, तूड़ी की कीमत एक हजार रुपये पार
X

पशुओं के चारे पर भी महंगाई की मार, तूड़ी की कीमत एक हजार रुपये पार

खेत खजाना। गेहूं की फसल के अवशेषों से तैयार होने वाले सूखे चारे अर्थात भूसे के दाम भी पशुपालकों को सुलगाने लगे हैं। प्रदेश के कई इलाकों में तूड़ी की कीमत एक हजार रुपए पार कर गई है। एक तरफ जहाँ प्राकृतिक आपदा के कारण गेंहू की पैदावार भी प्रभावित हुई और उत्पादन भी कम हो गया है। वहीं दूसरी ओर तूही बढ़ते वाणिज्यिक उपयोग के कार बड़े व्यापारियों ने सूखे चारे का भंडारण करना शुरू कर दिया है। जिससे भूसे की किमतों में उछाल आया है। इसके साथ ही गैर कृषक पशु उत्पादक और संचालकों के माथे पर चिंता की लकीरे बढ़ गई है।

जैसे.जैसे मौसम में गर्मी बढ़ रही हैए वैसे.वैसे ही तूड़ी की कीमतों में भी आग लग रही है। जिसके चलते क्षेत्र में पशुपालकों के समक्ष पशुचारे की समस्या उत्पन्न हो रही है। हैरत की बात है कि फसल कटाई के बाद से ही गेहूं तूड़ी की मांग बढ़ने से भावों में भारी उछाल आ गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि बेमोसमी बरसात और ओलावृष्टि के कारण भी गेहूं की पैदावार के साथ ही इस बार दो सूखा चारा का भी खासा संकट देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि सीजन में 200 से 300 रुपए प्रति के से मिलने वाली तुड़ी सीजन में ही कहीं 700 तो 1100 रूपये प्रति क्विंटल के भाव में मिल रही है।

तूड़े की मांग में वृद्धि के पीछे इसका वाणिज्यिक प्रयोग भी एक बड़ा कारण । बताया जा रहा है। बड़े कारोबारी इसका स्टॉक कर रहे हैं। हरियाणा से सटे यूपी के सहारनपुर आदि इलाकों में पेपर मिल व गत्ता फैक्ट्रियों में भी इसे सप्लाई किया जा रहा है। इसके अलावा प्रतिबंध के बावजूद ईट भट्टी में भी इसका उपयोग हो रहा है। हालांकि इन दिनों जिस भाव में मिल रही है तूड़ी के यह भाव ऑफ सीजन में भी नहीं होते थे। सीजन में ही किसानों ने तूड़ी को स्टोक करना शुरू कर दिया है।

एक तरफ जहां प्राकृतिक आपदा के कारण गेहू की पैदावार प्रभावित हुई वही तूड़ी का उत्पादन भी कम हो गया है। वहीं दूसरी ओर तूड़ी के बढ़ते वाणिज्यिक उपयोग के कारण बड़े व्यापारियों ने सूखे चारे का भंडारण करना शुरू कर दिया है। जिससे इसकी कीमतों में भी अप्रत्याशित उछाल आना शुरू हो गया। प्रदेश के कई जिलो से तूड़ा राजस्थान जा रहा है। जिससे चारे का संकट बढ़ रहा है।

दुग्ध उत्पादक चिंतित

गैर कृषक पशुपालक के लिए पशु रखना घाटे का सौदा बन गया है। चूंकि उसे पशुओं के लिए चारा बाहर से खरीदना पड़ता है। क्षेत्र में जहां तूड़ी का भाव चढ़ने से किसान खुश हैए वहीं गैर कृषक चिंतित हो गए है। पशुओं का दूध बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण होता है। इस तरह दिनों दिन सुखे चारे के भाव बढने से घर चलना मुश्किल सा हो गया है। बात की जाए शहरी क्षेत्र में तो डेयरी संचालकों को फिर भी दुध के अच्छे दाम मिल रहे हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के दूध उत्पादकों की काफि दयनीय स्थिति बनी हुई है।

Tags:
Next Story
Share it