600 किसानों का मुआवजा पंजीकरण निकला फर्जी, 12 हजार एकड़ में सिर्फ 2 हजार एकड़ मैं पाया गया फसल खराबा

600 किसानों का मुआवजा पंजीकरण निकला फर्जी, 12 हजार एकड़ में सिर्फ 2 हजार एकड़ मैं पाया गया फसल खराबा
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Khetkhajana

600 किसानों का मुआवजा पंजीकरण निकला फर्जी, 12 हजार एकड़ में सिर्फ 2 हजार एकड़ मैं पाया गया फसल खराबा

बारिश व ओलावृष्टि में मार्च मास में खराब हुई गेहूं व सरसों के खराबे के लिए 600 किसानों ने क्षतिपूर्ति पोर्टल पर पंजीकरण करवाया था। किसानों ने 12 हजार एकड़ में फसल खराबा बताया था। राजस्व विभाग ने जब वेरिफिकेशन की तो इसमें 10 हजार एकड़ फसल फेक पाई गई। यानि कि 12 हजार में से केवल 2 हजार एकड़ में ही फसल खराबा पाया गया। उधर, दिसम्बर व जनवरी माह में पाले से खराब हुई 32 हजार 839 एकड़ सरसों की फसल वेरिफाई की गई है। इसकी रिपोर्ट सरकार के पास भेज दी गई है 600 किसानों ने 12 हजार एकड़ फसल में अपना खराबा बताया। इसमें रतिया के गांव लधुवास, महमदगी, पिलछियां प्रमुख थे। राजस्व विभाग के पटवारियों ने मौके पर जाकर जब फसल का वेरीफाई किया जिसमें 10000 एकड़ में फसल खराबा नहीं पाया गया लो बल्कि सिर्फ दो हजार एकड़ फसल ही खराब हुई थी।

ऐसे होती है फसल वेरिफिकेशन

किसान क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपने खराबे का विवरण डालता है तो उस गांव में मौके पर जाकर पटवारी पूरे खराबे को जांच करता है। उसके बाद कानूनगो इसकी जांच करता है। इन दोनों जांच के पश्चात रिपोर्ट एसडीएम को भेजी जाती है। एसडीएम इसमें से रेमंडली 20 फीसदी रकबा वेरिफाई करता है। एसडीएम के बाद तहसीलदार इसमे रेमेडली 10 फीसदी वेरिफाई करता है। यह रिपोर्ट डोसी के पास जाती है। डीसी पूरे रकबे का रेमंडली वेरिफाई करके रिपोर्ट सरकार को भेजता है।

दिसंबर तथा जनवरी में पाला पड़ने से सरसों की फसल खराब हुई थी किसानों ने क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 32 हजार 839 एकड़ में सरसों खराबी का पंजीकरण करवाया था।  बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान भट्टू क्षेत्र में हुआ था। यहां पर सरसों के साथ गेहूं की फसल भी जमीन पर बिछ गई थी। राजस्व विभाग द्वारा इस खराबे को वेरिफाई करके रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है।

ऐसे होती हैं गिरदावरी

प्राकृतिक आपदा से फसल खराब होती है तो इसके लिए सरकार विशेष गिरदावरी के आदेश देती है। जो किसान फसल बीमा योजना के तहत कवर होते हैं, उन्हें बीमा कम्पनी क्लेम देती है। जो किसान गैर बीमित होते हैं, उन्हें सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाता है। पटवारी गांव-गांव जाकर फसल का 0 से 25 फीसदी, 26 से 50 फीसदी, 51 से 75 फीसदी व 100 फीसदी तक खराबी की रिपोर्ट तैयार करते हैं इसके बाद इसे उच्च अधिकारियों द्वारा वेरीफाई किया जाता है जिसके बाद ही सरकार मुआवजा तय करती है.

दिसम्बर व जनवरी में पाला फसल का सर्वाधिक नुकसान भट्ट है।

करवा सके। इसमें जिले के करीब

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