ग्वार फसल की उन्नत किसमे Guar Improved Varieties in hindi pdf

ग्वार फसल की उन्नत किसमे Guar Improved Varieties in hindi pdf
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ग्वार की उन्नत किस्में (Guar Improved Varieties)

बाज़ारो में ग्वार की कई उन्नत किस्में देखने को मिल जाती है, जिन्हे चारे, दाने और हरी फलियों के आधार पर तीन भागो में बांटा गया है, उन्नत किस्में निम्न प्रकार है :-

उन्नत प्रजातियाँ

दाने व गोंद हेतु : एच. जी. - 365, एच. जी. - 563, आर. जी. सी. - 1066, आर. जी. सी. -1003

सब्जी हेतु : दुर्गा बहार, पूसा नवबहार, पूसा सदाबहार

चारा हेतु : एच.एफ. जी. - 119, एच.एफ.जी.-156

राज्यवार प्रमुख प्रजातियों का विवरण

राज्य                                    प्रजातियाँ

आंध्र प्रदेश  आर. जी. एम. 112, आर. जी.सी 936, एच. जी. 563, एच. जी. 365

गुजरात  जी.सी.-1, जी.सी.-23

हरियाणा  एच.जी. 75. एच.जी. 182, एच.जी 258, एच.जी. 365, एच.जी. 563, एच.जी. 870, एच. जी. 884, एच.जी. 867, एच. जी. 2-204

मध्यप्रदेश एच.जी. 563, एच.जी. 365

महाराष्ट्र एच.जी. 563, एच.जी. 365, आर. जी.सी 9366

पंजाब  ए. जी. 112 एवं शीघ्र पकने वाली हरियाणा की किस्में

राजस्थान  आर.जी.सी 1033, आर.जी.सी. 1066, आर. जी.सी 1055, आर. जी. सी. 1038, आर.जी.सी. 1003, आर.जी.सी. 1002, आर.जी.सी. 986, आर. जी.एम. 112, आर. जी. सी. 197

उत्तरप्रदेश  एच. जी. 563, एच.जी. 365

ग्वार की फसल हेतु उपयुक्त भूमि (Guar Crop Soil)

ग्वार की खेती उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी में करना चाहिए | इसकी फसल सिंचित और असिंचित दोनों ही जगहों पर आसानी से उगाई जा सकती है | 7.5 से 8.5 P.H. मान वाली लवणीय व् हल्की क्षारीय भूमि में ग्वार की खेती आसानी से कर सकते है |

Guar Crop Soil Guar Crop Soil

ग्वार के खेत की तैयारी (Guar Field Preparation)

ग्वार की खेती किसी भी तरह की भूमि में की जा सकती है | किन्तु खेत की अच्छी तरह से जुताई कर उसे तैयार करना होता है | इसके लिए खेत की गहरी जुताई कर उसमे पानी लगा दिया जाता है | पानी लगे खेत में पानी सूख जाने के पश्चात् दो से तीन तिरछी जुताई कर खेत की मिट्टी को भुरभुरा कर दे | इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर दे | समतल खेत में ग्वार के बीजो की रोपाई पंक्तियों में की जाती है |

ग्वार के बीजो की बुवाई का तरीका (Guar Seeds Sowing Method)

Guar Seeds Sowing Method Guar Seeds Sowing Method

ग्वार के बीजो को बीज के रूप में लगाया जाता है | बीजो को लगाने के लिए ड्रिल विधि या छिड़काव विधि का इस्तेमाल करते है | समतल विधि में बीजो को खेत में छिड़ककर हल्का पाटा लगाकर चला दिया जाता है | इससे बीज खेत की कुछ गहराई में चला जाता है | ड्रिल विधि में बीजो को पंक्तियो में लगाया जाता है | पंक्तियों में बीज से बीज के मध्य 10 से 15 CM की दूरी तथा पंक्ति के मध्य 40 से 45 CM की दूरी रखे | बुवाई के समय खेत में नमी होनी चाहिए, ताकि बीजो का जमाव ठीक तरह से हो सके | ग्वार के बीजो की रोपाई ग्रीष्मकालीन के मौसम में फ़रवरी से मार्च माह के मध्य की जाती है, तथा वर्षाऋतु में बीजो को जून से जुलाई के मध्य लगाया जाता है |

ग्वार के बीजो की मात्रा व् बीजोपचार (Guar Seeds Quantity and Treatment)

यदि आप ग्वार की फसल दानो और हरी फलियों के लिए करना चाहते है, तो उसके लिए 15 से 18 KG बीज की जरूरत होती है, तथा हरी खाद फसल में 30 से 35 KG बीज लगते है | इसके अलावा हरे चारे के लिए 35 से 40 KG बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगते है | इन बीजो को खेत में लगाने से पहले उन्हें कैप्टान या बाविस्टिन की उचित मात्रा से उपचारित कर ले ताकि बीजो को आरम्भ में फफूंद जैसे रोग न लगे | पौधों में जड़ो की अधिक मात्रा में गांठ प्राप्त करने के लिए जीवाणु रोधक राइजोबियम उवर्रक से उपचारित कर लेना चाहिए | एक हेक्टेयर के खेत में 200 GM की मात्रा वाले दो पैकेट जीवाणु रोधक की जरूरत होती है |

https://www.youtube.com/watch?v=KRo3ab_yFos

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