सिरसा में सेम ने किसानों को किया 'कंगाल', हरियाणा में 9 लाख 82 हजार 740 एकड़ जलभराव और लवणता की भारी समस्या से प्रभावित है

सिरसा में सेम ने किसानों को किया कंगाल, हरियाणा में 9 लाख 82 हजार 740 एकड़ जलभराव और लवणता की भारी समस्या से प्रभावित है
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सिरसा में सेम ने किसानों को किया 'कंगाल', हरियाणा में 9 लाख 82 हजार 740 एकड़ जलभराव और लवणता की भारी समस्या से प्रभावित है

खेत खजाना: चंडीगढ़, हरियाणा में 9 लाख 82 हजार एकड़ भूमि जलभराव व लवणीय समस्या से ग्रस्त है। जलभराव के चलते इस जमीन पर फसल होना नामुमकिन है। यह राज्य की कुल कृषि भूमि का करीब 10 फीसदी हिस्सा है और किसान लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। भू-जल कोष अनुभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में करीब 9 लाख 82 हजार 740 एकड़ क्षेत्र जलभराव और लवणता की भारी समस्या से प्रभावित है। इसमें से लगभग 1 लाख 74 हजार 470 एकड़ क्षेत्र में स्थिति बेहद गंभीर है।

समस्या की प्रकृति व विस्तार अनुसार जलभराव की समस्या से उप स्तरीय निकासी, जैविक निकासी व मछली पालन प्रणालियों द्वारा निपटा जा सकता है। इस समस्या से अधिकतर प्रभावित क्षेत्र हरियाणा के रोहतक, झज्जर, सोनीपत तथा भिवानी जिलों के अंतर्गत पड़ता है।

उसके बाद जिला हिसार, जींद, फतेहाबाद, सिरसा, पलवल और नूंह में भी स्थिति संकटदायक है। चिंतनीय बात यह है कि राज्य में लाखों एकड़ भूमि सेम ग्रस्त है। इस कड़ी में सरकार की ओर से किए गए प्रयास काफी नहीं कहे जा सकते हैं।

हरियाणा में जल ग्रहण व लवणीय भूमि का सुधार कार्य वर्ष 1996 में शुरू किया गया। इस योजना के तहत जल निकासी तकनीक द्वारा पिछले लगभग 26 वर्षों में केवल 28 हजार 100 एकड़ क्षेत्र का सुधार हुआ है। हालांकि 2023-24 के दौरान 25000 एकड़ क्षेत्र में सुधार का लक्ष्य रखा गया है। हरियाणा में जलभराव व लवणीय भूमि के सुधार के लिए अभी तक कोई ठोस कार्य योजना लागू नहीं की गई है। हरियाणा में कुल 1 करोड़ 10 लाख 63 हजार एकड़ जमीन है। इसमें से करीब 90 लाख एकड़ जमीन पर खेती होती है। इस जमीन में से 9 लाख 82 हजार 740 एकड़ भूमि जलभराव व लवणीयता की समस्या से ग्रस्त है।

1 लाख 74 हजार 470 एकड़ में जलभराव में औसत 1.58 मीटर तक है। इसी तरह से 8 लाख 8270 एकड़ में 1.5 मीटर से 3 मीटर तक जलभराव की समस्या है। मानसून के सीजन में तो इस भूमि पर इतनी अधिक मात्रा में जलभराव हो जाता है कि धान की फसल भी नहीं हो पाती है। रोहतक में सबसे अधिक 2 लाख 68 हजार भूमि में यह समस्या है।

इसी तरह से झज्जर में 1.86 लाख एकड़, सोनीपत में 1.74 लाख एड़, भिवानी में 1.12 लाख एकड़ हिसार में 71 हजार एकड़, जींद में 62 हजार एकड़, दादरी में 32 हजार, फतेहाबाद में 11 हजार, अंबाला में 15 हजार, गुरुग्राम में 2755, सिरसा में 19455, पलवल में 2583 कुरुक्षेत्र में 6264, यमुनानगर में 15863 एकड़ भूमि सेमग्रस्त है।

जिलों में विकराल हुई सेम की समस्या: हरियाणा के झज्जर रोहतक, सोनीपत, जींद तथा हिसार जिलों में 2 लाख 89 हजार 854 हैक्टेयर जमीन में डेढ़ मीटर तक सेम आ चुकी है। इन जिलों में 1 लाख 61 हजार 67 हैक्टेयर जमीन में सेम की समस्या 3 मीटर तक पहुंच चुकी है। झज्जर जिले में सर्वाधिक डेढ़ लाख हैक्टेयर भूमि सेम से प्रभावित हो चुकी है। पांचों जिलों में कुल 4 लाख 50 हजार 921 हैक्टेयर जमीन सेम प्रभावित हो चुकी है।

हरियाणा के रेवाड़ी, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद व कुरुक्षेत्र आदि जिले ऐसे हैं, जहाँ सिंचित क्षेत्र लगातार कम होता जा रहा है। वर्षा के दिनों में लगभग 3 माह के दौरान प्रदेश के कुछ इलाकों में जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ता है।

2022-23 में 20839 एकड़ में हुआ सुधारः कृषि व किसान कल्याण बोर्ड की ओर से साल 2022-23 में सरकार की ओर से 8 जिलों की 20839 एकड़ सेमग्रस्त भूमि का सुधार किया गया। इस कड़ी में सिरसा जिले के गांव गुडियाखेड़ा में 1445 एकड़, निर्वाण में 740 एकड़, नाथूसरी कलां में 2625 एकड़, रूपाणा खुर्द 775 एकड़, भिवानी के घुसकनी में 600 एकड़, सोनीपत के लाठ में 2800 एकड़, बिलबिलान में 223 एकड़, अहुलाना में 440 एकड़, कथूरा में 630 एकड़, रोहतक के चिरी में 2 हजार एकड़, बसंतपुर में 100 एकड़, बालंद में 500 एकड़, बखेता में 450 एकड़, हिसार के लाडवा में जलभराव की स्थिति बनी हुई है। 1050 एकड़, सातरोड खास में 350 एकड़, सातरोड कलां में 475 एकड़ दाजा में 300 एकड़, गुराना में 1125 एकड़, मिर्जापुर में 980 एकड़, खोखा में 508 एकड़, खरकरी में 675 एकड़ सुल्तानपुर में 250 एकड़, फतेहाबाद के भीमेवाला में 1050 एकड़, जींद में बम्भेवा में 240 एकड़, गुरुग्राम में निकासी का प्रबंध नहीं हो पाया।

गुरुग्राम विधवाका में 500 एकड़ जलभराव वाली भूमि का सुधार किया गया। इसके लिए वर्टिकल ड्रैनेज और सब- सर्फेस ड्रेनेज तकनीक का प्रयोग किया गया।1 लाख एकड़ को उपजाऊ बनाने का लक्ष्य: प्रदेश के किसानों की आमदनी बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही हरियाणा सरकार ने इस साल 1 लाख एकड़ सेमग्रस्त और लवणीय भूमि को उपजाऊ बनाने का टारगेट निर्धारित किया है।

झज्जर, रोहतक, सोनीपत, भिवानी, हिसार और सिरसा में करीब 20 हजार एकड़ सेमग्रस्त जमीन से पानी निकालने का काम शुरू हो चुका है। खास बात यह कि समग्रस्त या बंजर भूमि को खेती करने योग्य बनाने के लिए प्रति एकड़ करीब 45 हजार रुपए का खर्च आता है, जिसमें से किसान को सिर्फ 10 प्रतिशत खर्चही वहन करना पड़ेगा । सरकारी स्तर पर 12 जिलों में सेम की समस्या को चिन्हित किया गया है।

जमीन है। इसमें से करीब 90 लाख एकड़ जमीन पर खेती होती है। इस जमीन में से 9 लाख 82 हजार 740 एकड़ भूमि जलभराव व लवणीयता की समस्या से ग्रस्त है।

सिरसा में इन क्षेत्रों में है समस्या सिरसा जिले के गांव दड़बा कलां, मानकदीवान, नहराना, नारायणखेड़ा, माखोसरानी, लुदेसर, तरक्कांवाली, शाहपुरिया, नाथूसरी कलां, गंजा रूपाणा, रूपाणा बिश्नोइयां, रूपाणा खुर्द, शक्कर मंदोरी, निर्वाण, गुडियाखेड़ा, रूपावास व कैरांवाली में सेम की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। यहां कुछ भूमि तो ऐसी है जहां वर्षों से कोई फसल नहीं हुई है बल्कि वर्ष 1992 में सेम आई थी जिसके बाद इसे हल करवाए जाने के लिए मांग उठाई गई। तत्कालीन बंसीलाल की सरकार में हिसार- घग्घर ड्रेन बनाने की योजना बनाई गई लेकिन इस योजना को इनैलो की सरकार में सिरे चढ़ाया गया। लेकिन पानी में बम्भेवा में 240 एकड़, गुरुग्राम में निकासी का प्रबंध नहीं हो पाया।

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