हरियाणा जल सरंक्षण की दिशा में बढ़ा रहा है कदम

हरियाणा जल सरंक्षण की दिशा में बढ़ा रहा है कदम
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मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा पानी की कमी वाला प्रदेश बनता जा रहा है। कई

ब्लॉक डार्क जोन में भी आ गए हैं। देश में 1100 बीसीएम पानी उपलब्ध है जबकि खपत 800 बीसीएम की है। हरियाणा की बात करे तो हरियाणा में 32 एमएफ पानी की मांग है जबकि 16 एमएफ पानी उपलब्ध है। इसके कारण कृषि भूमि का बहुत बड़ा हिस्सा पानी की कमी के कारण सिंचाई से वंचित रह जाता है। उन्होंने बताया कि 40 प्रतिशत कृषि भूमि नहरी सिंचाई प्रणाली, 30 प्रतिशत पर ट्यूबवेल के माध्यम से सिंचाई होती है, शेष 30 प्रतिशत भूमि वर्षा के पानी पर निर्भर है। इसके लिए सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

इसके साथ ही वेस्ट वाटर मैनेजमेंट के माध्यम से भी पानी का पुनः उपयोग सुनिश्चित करना होगा। प्रदेश में 207 वॉटर ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट्स हैं जिनके बनने के बाद 4 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने उन किसानों का धन्यवाद किया जिन्होंने 'मेरा पानी-मेरी विरासत' योजना के तहत धान के स्थान पर अन्य फसलों को चुना है और 1 लाख से अधिक एकड़ भूमि में धान की बुआई कम हुई। हरियाणा का जल प्रबंधन अच्छा है।

इस अवसर पर बादशाहपुर के विधायक राकेश दौलताबाद, पटौदी से विधायक सत्यप्रकाश जरावता, जीएमडीए के सीईओ सुधीर राजपाल समेत तमाम प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।

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