डीएसआर पर सरकारी विज्ञापन त्रुटिपूर्ण – ड़ा लाठर

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हरियाणा सरकार के भूजल संरक्षण पर प्रयास सराहनीय है! लेकिन आज (5 मई 2023) समाचारपत्रो मे सीधी बिजाई धान तकनीक पर जारी विज्ञापन तकनीकी रुप में त्रुटिपूर्ण है! जिससे किसानो मे भ्रम पैदा होने और सीधी बिजाई धान फसल को नुक्सान होने की पूरी संभावना रहेंगी! आदिकाल से फसलो की परम्परागत बत्तर बुआई ( पलेवा सिचाई के बाद तैयार बत्तर खेत में बुआई ) मे, धान सहित सभी फसलो का जमाव 5-6 दिन बाद होता है और बुआई के बाद फसलो मे पहली सिचाई 15-25 दिन लगाई जाती है !
लेकिन इस परम्परागत तकनीकी ज्ञान के विपरीत, सरकारी विज्ञापन की आखिरी लाईन में किसानो को अनुशंसित किया गया है कि बत्तर खेत मे धान की सीधी बुआई करने पर, मौसम और खेत की नमी अनुसार पहली सिचाई 7 से 21 दिन के बाद करे। फिर इस सरकारी विज्ञापन में किसानो को यह कहीं नही बताया गया कि धान की सीधी बुआई कब और कैसे करे? कियोकी पिछले एक दशक से, 15 जुन से पहले धान की रोपाई करने किसमे कामयाब है।
पर प्रीज़रवेशन आफ सब सायल एक्ट 2009+ मे पूर्णयता प्रतिबन्ध लगा हुआ है और 15 जुन के बाद की गयी धान की सीधी बुआई फसल, खरपतवार बहुतायत से फेल हो जाती है। इसी सिलसिले मे पंजाब सरकार ने तकनीकी सलाह मानते हूए धान की सीधी बिजाई का समय 20 मई से करने की अनुमती दी है।
ऐसे में इन त्रुटिपूर्ण सरकारी अनुशंसा विज्ञापनो से किसानो का धान की सीधी बुआई तकनीक पर भ्रमित होना स्वाभाविक है ! अत सरकार से अनुरोध है कि किसान • और कृषि हित मे त्रुटिपूर्ण सरकारी विज्ञापनो मे निमन्नलिखित ज़रुरी सुधार जल्दी से जल्दी करे। 1 ) धान की सीधी बिजाई का समय 20 मई- 10 जुन है। 2 ) धान की सीधी बिजाई मे सभी (3) धान की सीधी बिजाई बत्तर खेत मे सीड ड्रिल या छींटा विधि से करे और बुआई के बाद पहली सिचाई 15-21 दिन बाद करे।
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