सांगरी की सब्जी खाना चाहते हैं, तो जान लीजिए इसके भाव, कहां मिलती है ये महंगी सब्जी

सांगरी की सब्जी खाना चाहते हैं, तो जान लीजिए इसके भाव, कहां मिलती है ये महंगी सब्जी
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Khetkhajana

सांगरी की सब्जी खाना चाहते हैं, तो जान लीजिए इसके भाव, कहां मिलती है ये महंगी सब्जी

राजस्थान की एक बड़ी ही मशहूर सब्जी है जिसका नाम है सांगरी इस सब्जी को राजस्थान के कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बोया जाता है चूरू में इसके साथ लगने वाले इलाकों से हर साल बाजार में सांगरी की सब्जी बिकने के लिए आती है कहा जाता है कि चूरू के सरदारशहर और तारानगर में उगने वाले सांगरी का स्वाद ही कुछ और होता है आप भी अगर एक बार सांगरी की सब्जी खाएंगे तो बार-बार खाने को जी चाहेगा

अगर उत्पादन की बात की जाए तो इन इलाकों से सांगरी का उत्पादन प्रति वर्ष 25 टन के करीब होता है इन क्षेत्रों में पाए जाने वाली यह सब्जी पूरे राजस्थान में मशहूर है सिर्फ राजस्थान ही नहीं हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों के लोग भी सांगरी की सब्जी बड़े चाव से खाते हैं लेकिन, इस बार गिलडू रोग (गलेडा) की वजह से इसका प्रोडक्शन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है. इस एक रोग ने पूरे उत्पाद पर ब्रेक लगा दिया है.

अगर इसके भाव की बात की जाए तो यह बदाम के भाव से भी ज्यादा महंगी बिकती है सरदार शहर और तारानगर इलाके में उगने वाले सांगरी की सब्जी का स्वाद और जायका का भी अलग ही होता है। अगर आप भी सांगरी की सब्जी खरीदना चाहते हैं तो आपको यह प्रति किलो 12 सो रुपए के हिसाब से मिल जाएगी इतना ही नहीं 1 किलो सब्जी से पूरे महीने की सब्जी बड़े आराम से बन जाती है पिछले साल की बजाय इस बार सांगरी के भाव में काफी बदलाव आया है सब्जियों में स्वाद बढ़ाने वाली सांगरी की सब्जी काफी महंगी बिकती है

इस बार अचानक दोगुने हुए इसके दाम की वजह से सब्जी व्यापारी भी चिंता में हैं और किसान भी. दाम इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि एक रोग ने इसका उत्पादन गिरा दिया है. हालात ये है कि एक छोटे से रोग ने करोड़ों रुपये के व्यवसाय को प्रभावित कर दिया है. अब इस सूखी सब्जी को खरीदने के लिए भी लोगों को दस बार सोचना पड़ रहा है.

चूरू जिले सहित आस-पास के इलाकों से हर साल सांगरी बाजार में बिकने के लिए आती है. एक अनुमान के मुताबिक पूरे सीजन में एक बार में 25 टन के करीब इसकी खपत होती है. लेकिन, इस बार गिलडू रोग (गलेडा) की वजह से इसका प्रोडक्शन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है. इस एक रोग ने पूरे उत्पाद पर ब्रेक लगा दिया है. व्यापारियों का कहना है कि इस रोग की वजह से इस बार उत्पादन 35 प्रतिशत यानी करीब 8 टन ही रह गया है. यही कारण रहा कि इस बार सांगरी के भाव 1200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं.

बारिश से गिरी सांगरी की पैदावार

सांगरी सब्जी पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से उगाई जाती है और यह कीटनाशक या किसी भी प्रकार के केमिकल से मुक्त होती है. सांगरी की खास बात ये है कि ये सब्जी पूरी तरह प्राकृतिक खेजड़ी (जांटी) के पेड़ पर लगती है. सांगरी के उत्पादन में गिरावट तीन कारणों से हो रही है. पहला कारण बारिश और बिजली चमकना है. जानकारों की मानें तो इस मार्च के बाद से चूरू समेत आस-पास के इलाकों में जहां सांगरी होती है, वहां सबसे ज्यादा बारिश हुई. ऐसे में बारिश का सबसे ज्यादा असर सांगरी पर देखने को मिला.

बीमारियों से बचाती है सांगरी

इस सब्जी को इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर भी माना जाता है. इसके अलावा महाभारत में भी इनका वर्णन मिलता है. गुणों में ये सूखे मेवों से कम नहीं है. सांगरी में पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन, जिंक, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर है. इसमें पाया जाने वाला सैपोनिन कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित रखने और इम्युनिटी को बढ़ाने में उत्तम है. सांगरी से पंचकुटा की सबसे फेमस सब्जी तैयार की जाती है. ये सब्जी पांच तरह की वनस्पति है, जो अलग-अलग पेड़ पौधों से प्राप्त होती है. इसमें केर-सांगरी, कुमटी, बबूल फली, गुंदा या कमलगट्टा और साबूत लाल मिर्च शामिल हैं.

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