हरियाणा के इन आधा दर्जन जिलों में होगी सरसों की सरकारी खरीद, सरकार ने दिए आदेश

हरियाणा के इन आधा दर्जन जिलों में होगी सरसों की सरकारी खरीद, सरकार ने दिए आदेश
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हरियाणा के इन आधा दर्जन जिलों में होगी सरसों की सरकारी खरीद, सरकार ने दिए आदेश

चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार ने 2 दिन के लिए सरसों की सरकारी खरीद दोबारा शुरु करने के आदेश दिए हैं. आदेश में कहा गया है कि प्रदेश के 6 जिलों में होगी सरसों की सरकारी खरीद 2 दिन के लिए होगी सरकारी खरीद चरखी दादरी, भिवानी ,महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, झज्जर और नुहं जिले में होगी.

इस वजह से बंद हुई थी खरीद

दरअसल, इस साल खुले बाजार में सरसों की कीमत महज 4,000 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गई है. ऐसे में ज्यादातर किसान इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकार को बेचना चाहते हैं क्योंकि रबी विपणन सीजन 2023- 24 में इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,450 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जो बाजार भाव से अधिक है. इसलिए वर्तमान में यह किसानों के लिए फायदे का रास्ता है. ऐसे में अगर एमएसपी पर खरीद बंद होती है तो किसानों को काफी नुकसान होगा.

हरियाणा देश का तीसरा सबसे बड़ा सरसों उत्पादक राज्य है, जहां देश की 13.1 फीसदी सरसों का उत्पादन होता है. सरसों की खरीद का नियम है जिससे किसान जितना चाहते हैं उतनी सरकारी खरीद नहीं हो पाती है. कई बार राज्य सरकारें चाहकर भी खरीद नहीं बढ़ा पाती हैं.

एमएसपी पर खरीद की नीति के मुताबिक, तिलहनी फसलों की अधिकतम सरकारी खरीद कुल उत्पादन का 25 फीसदी ही हो सकती है. इसलिए कुल सरसों उत्पादन का 75 फीसदी सरकारी खरीद के दायरे से बाहर हो जाता है. इतना ही नहीं, एक किसान से एक दिन में 25 क्विंटल से अधिक खरीद नहीं करने के प्रावधान से भी किसानों को नुकसान हो रहा है.

सरसों खरीद की स्थिति

हरियाणा में इस समय 3,24,008.79 मीट्रिक टन सरसों की खरीद की गई है जो देश में सबसे ज्यादा है. यहां के किसानों को एमएसपी के बदले 1,765.85 करोड़ रुपये मिलेंगे. तीन और राज्यों में सरसों की खरीद हो रही है जिसमें राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश शामिल हैं. इन सभी की खरीद हरियाणा से कम है. राजस्थान देश का सबसे बड़ा सरसों उत्पादक है. यहां करीब 48 फीसदी उत्पादन अकेले होता है.

नेफेड के मुताबिक, यहां अब तक सिर्फ 22,312.55 मीट्रिक टन की ही खरीद हुई है जबकि 15,19,318 मीट्रिक टन सरसों की खरीद का लक्ष्य है. मध्यप्रदेश सरसों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. कुल उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 13.3 फीसदी है. अभी तक केवल 43,645 मीट्रिक टन सरसों की एमएसपी पर खरीद हुई है.

इस हिसाब से हरियाणा की खरीद को बेकार नहीं माना जा सकता है. बताया जा रहा है कि नियमों के तहत यहां कुल उत्पादन का 25 फीसदी खरीद की गई है. ऐसे में इसे रोक दिया गया है. कई राज्यों में कुल उत्पादन का 25 फीसदी भी सरसों की खरीद नहीं हो पाती है जबकि हरियाणा में इस सीमा के आसपास खरीदारी अक्सर एमएसपी पर की जाती है. इस बार यहां 15 मार्च से सरसों की खरीद हो रही थी.

कब कितना खरीदा गया

रबी विपणन सीजन 2018- 19 में यहां 2.3 लाख मीट्रिक टन सरसों की खरीद हुई थी जो राज्य के कुल उत्पादन का 21.1 प्रतिशत था.

हरियाणा में वर्ष 2019- 20 में एमएसपी पर 2.5 लाख मीट्रिक टन सरसों की खरीद की गई जो राज्य के कुल उत्पादन का 23.7 प्रतिशत था.

2020- 21 की बात करें तो 3.1 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई जो कुल उत्पादन का 24.6 प्रतिशत था.

इसके बाद, खुले बाजार में सरसों के दाम एमएसपी से अधिक हो गए इसलिए दो साल से सरसों की खरीद नहीं हुई.

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