किसान मई में न करें ग्वार की बिजाई, जाने क्या कहते है विज्ञानिक? 

किसान मई में न करें ग्वार की बिजाई, जाने क्या कहते है विज्ञानिक? 
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किसान मई में न करें ग्वार की बिजाई, जाने क्या कहते है विज्ञानिक? 

खेत खजाना: सिरसा। गांव बाजेकां में खरीफ  की फसल के सीजन को ध्यान में रखते हुए और ग्वार की अधिक पैदावार लेने हेतु एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत ग्वार वैज्ञानिक डॉ. बी.डी. यादव, जिन्होंने 28 वर्ष तक ग्वार फसल पर अनुसंधान किया, ने किसानों को महत्वपूर्ण जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. जगदेव सिंह, सेवानिवृत सस्य वैज्ञानिक मुख्य अतिथि थे। डॉ. यादव ने किसानों से कहा कि ग्वार की बिजाई मई महीने में न करें।

ऐसा करने से फसल की बढ़वार ज्यादा हो जाएगी और फसल गिरने की आशंका भी ज्यादा रहेगी और फल भी कम आएगा। इसके साथ-साथ उन्होंने किसानों को आगाह किया कि मई के महीने में बिजाई करने पर नीचे की फलियां जो बनेगी वे सिकुड़ कर सूख जाएंगी, जिसका पैदावार पर विपरित असर आएगा। नहरी क्षेत्र में नरमा की बिजाई करने के बाद इस जिले में किसानों की आम धारणा रहती है कि नहर का पानी उपलब्ध होने पर वे अपने खेत में पानी लगाकर मई महीने में ग्वार की बिजाई करने लग जाते हैं, इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि इस समय ग्वार की बिजाई कदापि न करें।

सिंचित क्षेत्रों में जून के महीने में जब भी नहर के फालतू पानी की उपलब्धता हो तो ग्वार की बिजाई शुरू कर सकते हैं तथा ग्वार की बिजाई के लिए 10 जून से 25 जून का समय सबसे उचित है। ट्रेनिंग के दौरान किसानों से रू-ब-रू होते हुए ग्वार विशेषज्ञ ने ग्वार की बिजाई बीज उपचार करने के बाद ही करने की सलाह दी। इससे जडग़लन रोग पर 85 से 95 प्रतिशत काबू पाया जा सकता। जडग़लन रोग के कीटाणु जमीन में पनपते हैं, जोकि खड़ी फसल में ग्वार की जड़ पर आक्रमण करने के बाद पौधे मुरझाकर सूखने लगते हैं और मर जाते हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए बीज उपचार ही एक मात्र उपाय है। एक एकड़ बीज उपचार के लिए सिर्फ 15 रूपये खर्चा आता है, जोकि गरीब से गरीब किसान भी वहन कर सकता है।

उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि ग्वार की अच्छी पैदावार लेने के उन्नतशील किस्में एचजी 365, एचजी 563 व एचजी 2-20 की ही बिजाई करें। डॉ. जगदेव सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि बिजाई से पहले अपने खेत की मिट्टी व पानी की जांच अवश्य करवाएं। उन्होंने खाद का प्रयोग मिट्टी की जांच के आधार पर ही करने की सलाह दी। इसके साथ-साथ उन्होंने खेती की पुरानी पद्धति छोड़कर नई तकनीक अपनाकर खेती करने पर विशेष जोर दिया।

शिविर में मौजूद 97 किसानों को बीज उपचार के लिए दो एकड़ की वेबिस्टिन दवाई तथा एक जोड़ी दस्ताने हिन्दुस्तान गम एंड कैमिकल्स भिवानी की तरफ  से मुफ्त दी गई। इस मौके पर उन्नतशील किसान मदन लाल, अशोक कुमार,ओमप्रकाश, संदीप, धर्मपाल, विरेन्द्र, बलवन्त, गुरूसेवक सिंह, बीरबल, हरनाम, सुरेंद्र किसान मौजूद थे। किसानों को प्रोत्साहन करने के लिए हिन्दुस्तान गम कैमिकल्स भिवानी की तरफ  से प्रश्नोत्तरी के आधार पर दस किसानों को सम्मानित किया गया।

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