बिना जानकारी बाग लगाने से झेलना पड़ सकता है भारी नुकसान, सिर्फ वैज्ञानिक तरीके से करें बागवानी

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बिना जानकारी बाग लगाने से झेलना पड़ सकता है भारी नुकसान, सिर्फ वैज्ञानिक तरीके से करें बागवानी

अगर आप भी बागवानी करने की सोच रहे हैं तो बिना जानकारी के बागवानी करना आपके लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है बागवानी करते समय अगर किसान कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख ले तो लंबे समय तक अच्छा फायदा कमाया जा सकता है बागवानी चाहे आम, अमरूद, अनार या फिर अंगूर की हो अगर किसान वैज्ञानिक तरीके से बागवानी करेंगे तो उन्हें कम समय में अच्छा उत्पादन मिलेगा।

कौन से फलों की करें बागवानी
किसान को अपनी जमीन की मिट्टी के हिसाब से बागवानी करनी चाहिए। सबसे पहले अपने खेतों की मिट्टी की जांच करवा लेनी चाहिए ताकि खेती में खर्च करने से पहले ही नुकसान ना हो किसान आम, अमरूद, बेर, अनार और अंगूर की बागवानी आसानी से और अच्छी तरह से कर सकते हैं इसलिए बाग लगाने से पहले अगर कुछ वैज्ञानिक तरीके किसान जान ले तो बेहतर बागवानी हो सकती है।

बाग लगाने से पहले बनाएं योजना

जिन फलों की बागबानी किसान करना चाहता है उनके लिए कुछ समय पहले ही योजना बना लेनी चाहिए अच्छे, जानकार किसानों और कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेने से किसान को बाग लगाने के बाद कम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है क्योंकि किसान को इस बात की जानकारी हो जाती है कि फसलों और फलों की खेती में कितना अंतर होता है बागबानी इस तरह की हो ताकि लंबे समय तक उसका फायदा किसान को मिल सके इसकी देखभाल में कम खर्च करना पड़े और खरपतवार से भी पौधों को नुक्सान ना पहुंचे कई फलों के पौधे बड़े होकर अधिक जगह घेरते हैं लेकिन कुछ एक पौधे कम जगह पर फैलते हैं इसलिए उत्तम तकनीक व सही जानकारी के साथ पौधों को उचित दूरी पर लगाना चाहिए।

फलों के बगीचों के लिए गहरी, दोमट या बलुई दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। जमीन में अधिक गहराई तक कोई भी सख्त परत नहीं होनी चाहिए। जमीन में भरपूर मात्रा में खाद होनी चाहिए व जल निकासी का सही इंतजाम होना चाहिए। लवणीय व क्षारीय जमीन में बेर, आंवला, लसोड़ा, खजूर व बेलपत्र आदि फल लगाने चाहिए।

पौधों का चयन

बाग में पौधों के किस्मों का चयन हमेशा अपने क्षेत्र के हिसाब से ही करें, कि आपके क्षेत्र में कौन सी बाग अच्छी तैयार होगी। अनार, आम, पपीता, करौंदा, आंवला, नीबू, मौसम्बी, माल्टा, संतरा, अनार, बेल, बेर व लसोड़ा आदि फलों की खेती आसानी से की जा सकती है। जहां पर पाले का ज्यादा असर रहता है, उन इलाकों में आम, पपीता व अंगूर के बाग नहीं लगानी चाहिए। अधिक गरमी व लू वाले इलाकों में लसोड़ा व बेर के पेड़ लगाने चाहिए। अधिक नमी वाले इलाकों में मौसमी, संतरा व किन्नू के पेड़ लगाने चाहिए।

फल के पेड़ों का सही दूरी पर रेखांकन करना चाहिए। उद्यान का रेखांकन करने के लिए सब से पहले खेत के किसी एक किनारे से जरूरी दूरी की आधी दूरी रखते हुए पहली लाइन का रेखांकन करते हैं। इस के बाद हर लाइन के लिए जरूरी दूरी रखते हुए पूरे खेत में दोनों किनारे से इसी विधि द्वारा रेखांकन कर लेते हैं व निशान लगी जगहों पर पौधे रोपते हैं।

बगीचों को वर्गाकार विधि से ही लगाना चाहिए, क्योंकि यह सब से आसान तरीका है। इस में सभी प्रकार के काम आसानी से किए जा सकते हैं। पौधे लगाने से 1 महीने पहले (मई- जून) गड्ढे खोद कर 20 से 25 दिनों तक गड्ढों को खुला छोड़ देना चाहिए, ताकि तेज धूप से कीटाणु खत्म हो जाएं। गड्ढे खोदते समय ऊपर की आधी उपजाऊ मिट्टी एक तरफ रख देनी चाहिए व आधी मिट्टी दूसरी तरफ डालनी चाहिए।

जल निकास की उचित व्यवस्था

बाग को उस की जरूरत से कम पानी देने से पेड़ों की बढ़वार कम होती है, जबकि जरूरत से अधिक पानी देने से भी नुकसान होता है.

पानी की अधिक मात्रा देने से जमीन पर पानी भर जाता?है और पेड़ों के खाद्य पदार्थ जमीन की निचली सतहों में चले जाते हैं. फलों में पानी की अधिक मात्रा होने के कारण मिठास कम हो जाती है व स्वाद खराब हो जाता?है. इसलिए ज्यादा पानी को तुरंत खेत से निकाल देना चाहिए. उद्यान क्षेत्र का जलस्तर 2 से 3 मीटर नीचे रहना चाहिए.

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