ग्वार की खेती मे अक्षर ये गलती कर देते है किसान, ग्वार की फसल व अधिक उत्पादन के लिए यह जानना बहुत जरूरी 

ग्वार की खेती मे अक्षर ये गलती कर देते है किसान, ग्वार की फसल व अधिक उत्पादन के लिए यह जानना बहुत जरूरी 
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ग्वार की खेती मे अक्षर ये गलती कर देते है किसान, ग्वार की फसल व अधिक उत्पादन के लिए यह जानना बहुत जरूरी 

खेत खजाना: सिरसा। प्रदेश के रेतीले इलाकों में ग्वार फसल में उखेड़ा रोग अभी भी एक गंभीर रोग बना हुआ है। इस रोग की फंगस भूमि में रहती है। जैसे ही नई फसल बोई जाती है, वह पौधों की जड़ों पर आक्रमण कर देती है। इसके प्रकोप से पौधे पीले पड़ कर सूखने लगते हंै। जानकारी के अभाव में अधिकतर किसान हर साल नुकसान झेल रहे हैं।

परन्तु कार्बन्डाजिम 50 प्रतिशत द्वारा बीजोपचार कर फसल बिजाई करने से इस रोग से 10 प्रतशित छुटकारा मिल जाता है। उक्त विचार चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से सेवानिवृत कीट विज्ञान विभाग के पूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डा. आर के सैनी ने गांव चौटाला में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग तथा हिन्दुस्तान गम एण्ड कैमिकल्स भिवानी द्वारा आयोजित कृषि शिविर में किसानों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

डा. सैनी ने कहा कि जो किसान बीज उपचार नहीं कर पाए, वो भी उपरोक्त दवा की ड्रैचिंग का (3 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी) कर रोग की रोकथाम कर सकते हैं। इस अवसर पर एटीएम राजेश कुमार ने किसानों से आग्रह किया कि वे बोई गई फसलों का विवरण मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपडेट करें, ताकि उन्हें विभिन्न कृषि योजनाओं से लाभ मिल सके। उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी जागृत किया।

शिविर में बीज उपचार की दवा के सैम्पल, रबड़ के दस्ताने, साहित्य सामग्री बांटे गए तथा आकर्षक उपहार भी दिए गए। शिविर में सरपंच सुभाष चन्द्र नम्बरदार, हनुमान प्रसाद, भोजाराज, रणधीर, विक्रम, महावीर, महेन्द्र, गुरविन्द्र सिंह, गणेशी लाल, रामस्वरूप, भीमसैन, सीताराम सहित लगभग 60 किसानों ने भाग लिया।

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