KR-64, KR-111, KR-121 में अधिक पैदावार के लिए विशेष सुझाव, दावे के साथ होगा बमफ़र मुनाफा

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KR-64, KR-111, KR-121 में अधिक पैदावार के लिए विशेष सुझाव, दावे के साथ होगा बमफ़र मुनाफा

खेत खजाना, सिरसा। अगर आप देशी कपास खेती करना चाहते है तो आपको छोटी से बड़ी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अगर आपके पास सिंचाई के लिए पानी की कमी है या फिर आपकी भूमि रेतीली है, तो आज की यह जानकारी आपके लिए बहुत फायदेमंद व लाभकारी है। क्योंकि कम पानी व रेतीली भूमि में देशी कपास की खेती करना बहुत मुश्किल है। मुश्किल इसलिए यह है कि रेतीली जमीन जल्दी गर्म होती और गर्म हवा व लू के पड़ने के कारण कपास को अंकूरित करना आसान नही है। तो जानतें है आज ये विशेष बातें

• जब देशी कपास जमीन से बाहर थोड़ी-थोड़ी बाहर दिखाई देने लगती है तो सबसे पहले किसान भाई एक मोनो स्प्रे का छिड़काव कर देना चाहिए। क्योंकि अंकूरित कपास को मच्छरों के द्वारा चाटने का खतरा बना रहता है।

• देशी कपास अंकूरित होते समय भूमि से धीरे.धीरे बाहर आती है उस समय तापमान बढ़ जाने के कारण गर्म मिट्टीए गर्म हवा या लू के स्पर्श से पौधे जलने लगते है। इसलिये उस समय बीज की मात्रा अवश्य बढ़ानी चाहिए।

• यदि खेत में पौधे विरले रह जाते हैं या पौधों की संख्या कम होए उस स्थिति में कपास के पौधों को 20.30 सेण्मीण् तक के होने पर ऊपर से कॉपल तोड़ दें जिससे पौधों में अधिक शाखाएं निकलेंगी।

• जब कपास के पौधे 105.120 सेंण्मीण् के आस पास हो उस अवस्था में कोपलों को ऊपर से तोड़ने पर अधिक फलधारक शाखाएं आती है। कई बार सघनी बिजाई अधिक सिंचाईए वर्षा के कारण पौधों की वनस्पतिक बढ़वार अधिक हो जाती है जिस कारण फूल नहीं बनतेए उस समय सिंचाई रोक कर कोपलों को ऊपर से तोड़ दें।

• देशी कपास में रस चूसक कीड़ों का प्रकोप प्रायः कम होता है। अक्सर किसान पहला दूसरा स्प्रे रस चूसक कीड़ों के बचाव के लिए करते हैं। देशी कपास के पत्तों पर रोए होते हैं इसलिए रस चूसक कीट पत्ती पर बैठ नहीं पाते। जबकि कली व फूल बनने से पहले की अवस्था बौकी ;स्केयरद्ध में सुण्डिया प्रभावी रहती हैं जो बौकी ;स्केयरद्ध को खाती रहती हैं जिनकी ओर किसान का ध्यान ही नहीं जाता। उस समय देशी कपास में पौधों पर फूल दिखाई नहीं देते। ये सुण्डियां फूल और फलों को खाती रहती है तथा बाद में कृषक का ध्यान इस ओर जाता है। अतः फसल बचाने हेतु दूसरा स्प्रे 1 जुलाई को 160 एमण् एलण् डेंसीस ;डेल्टामथरीन 2ण्8 ईण्सीण्द्ध का अवश्य करें। उस समय किसान यह न देखे की उसमें कोई कीड़ा है या नहीं। अक्सर किसान यह भी सोचते है कि बरसात आयेगी तो ही स्प्रे करूंगा। अतः किसान भाई बरसात आने या पानी लगाने का इंतज़ार न करें।

•  देशी कपास को उखेड़े से बचाने के लिए फूल आने के समय 800 ग्राम कार्बेडाजिम दवाई 10 किण् ग्राण् रेत में मिलाकर जमीन में छिड़क कर पानी लगायें। यह विधि 20 दिन बाद पुनः दोहराए। उखेड़ा आने के बाद कोई रोकथाम नहीं है। जैविक उपचार 2 किण् ग्राण् बायोक्यूर ;ट्राईकोडरमा विरडीद्ध को 100 किण्ग्राण् सड़ी गोबर की खाद में सप्ताह भर फफूंदी पनपाकर शाम के समय जमीन में मिलाकर पानी देने से उखेड़ा को नियन्त्रित किया जा सकता है। जैविक उपचार के साथ रासायनिक उपचार न करें।

•  कभी.कभी मौसम में बदलाव के कारण या दूसरी फसलों में रोग ;व्याधियाद्ध अधिक होने के कारण उन फसलों से देशी कपास के खेतों में ट्रासफर हो जाती है उस समय रस चूसक कीटों या सफेद मक्खी या फाका का प्रकोप देखा गया है। उस अवस्था में रस चूसक कीटों के लिए दवाई का छिड़काव आवश्यक हो जाता है।

देशी कपास की संकर किस्मों के लिए खाद की निम्नलिखित मात्रा की सिफारिश की जाती है।

नोट - किसान अपने विवेक से काम लें , खेती करने से पहले नजदीकी कृषि विशेषज्ञ व डॉ से सलाह करें

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