Mustard Farming: सरसों की फसल में किसानों को दोहरी मार, पिछले वर्ष से उत्पादन हुआ आधा।

Mustard Farming: सरसों की फसल में किसानों को दोहरी मार, पिछले वर्ष से उत्पादन हुआ आधा।
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सरसों की फसल में किसानों को दोहरी मार, पिछले वर्ष से उत्पादन हुआ आधा।

Khet Khajana, Sirsa भारत एक कृषि प्रधान देश है। जिसके कारण यहां बड़े पैमाने पर कृषि का कार्य होता है। तथा भारत की जनसंख्या का एक बड़ा विभाग कृषि करके अपने जीवन यापन करता है। परंतु आज के समय में भारत के किसानों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। दिन प्रतिदिन बढती हुई महंगाई ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। तो वहीं इस बार मौसम की मार से सरसों का उत्पादन कम होने की वजह से परेशान है। तो आइये जानते है किसानों का सरसों उत्पादन को लेकर क्या कहना है।

Mustard Farming News: किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष की भांति इस बार किसानों को निरास होना पड़ेगा। किसानों का कहना है इस बार मोसम खराब होने की वजह से सरसों की फसल अधिक असर पड़ा है। इस बार अधिक ठंड पड़ने से सरसों के दाने पर सिधा अटेक हुआ था जिसकी वजह से सरसों का दाना काफि कमजोर हो गया।Mustard Farming

किसानों का कहना है पिछली बार लगभग 8-9 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उत्पादन हुआ था। जबकि पिछले साल मोसम भी सरसों के अनुकूल रहा था। लेकिन इस बार अधिक पाले की अधिक मार पड़ने से सरसों का उत्पादन आध आ गया है। फिलहाल सरसों काट किसानों का कहना है कि इस वर्ष बढिया से बढिया सरसों की फसल लगभग 4-5 क्विंटल प्रति एकड़ पर सिमट कर रह जाएगी।

मोसम की मार

किसानों का कहना है कि जब सरसों की बिजाई की गई थी उस समय गर्मी अधिक होने के कुछ पौधे नष्ट हो गए।  जब सरसों की फसल में दाना पड़ने लगा तो उस समय मोसम की मार पड़ गई। किसानों का कहना है इस बार सर्दी अधिक पड़ने से सरसों का दाना बहुत कमजोर हो गया। दाना कमजोर होने से इस बार सरसों का उत्पादन बिलकुल आध पर आ गया है।

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