खेती का अनोखा मॉडल, यहां तालाब के ऊपर उगती हैं सब्जियां, बिना किसी जमीन के कमा रहे है लाखों रुपये

खेती का अनोखा मॉडल, यहां तालाब के ऊपर उगती हैं सब्जियां, बिना किसी जमीन के कमा रहे है लाखों रुपये
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खेती का अनोखा मॉडल, यहां तालाब के ऊपर उगती हैं सब्जियां, बिना किसी जमीन के कमा रहे है लाखों रुपये

खेत खजाना : खेती को नए आयाम देने के लिए रतनपुर, ओडिशा के युवा किसान, हीरोद पटेल ने अपने 10 एकड़ के खेतों में चार अलग-अलग तालाब बनवाए हैं। इन तालाबों के ऊपर बनाए गए शेडों में वह बेल वाली सब्जियों की उपज बढ़ा रहे हैं, जो दूर-दूर से लोगों को आकर्षित कर रही हैं।

पिछले आठ सालों में पिता की पारंपरिक खेती को छोड़कर हीरोद ने खुद को समर्थन और प्रेरणा का स्रोत बनाया है। पहले तालाब के चारों ओर केला, नारियल जैसे पेड़ लगाकर उन्होंने खुद को एक नए मॉडल की ओर कदम बढ़ाते हुए दिखाया है।

तालाबों की ऊपरी सतह पर हो रही है उगाई

हीरोद ने अपनी खेतों को विशेषज्ञता से भरा हुआ दिखाया है, जहां तालाब के ऊपर से ही उगाई जा रही हैं सब्जियां। उन्होंने तालाब के ऊपर से सब्जियां तोड़ने के लिए एक नांव भी तैयार किया है जिससे वह आसानी से उच्ची उपज हासिल कर सकते हैं।

हीरोद की यह पहल आज कई लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है। उनके खेत ने दूसरे किसानों के लिए एक प्रयोगशाला बना दी है और कृषि वैज्ञानिक भी इसे देखने आते हैं।

तकनीकी उन्नति से हो रहा है खेती में बदलाव

हीरोद का उदाहरण दिखाता है कि नए-नए तकनीकी उपायों का खेती में उपयोग करना किसानों के लिए कैसे फायदेमंद साबित हो सकता है। उनकी समझदारी और सोच ने उन्हें नए आयाम में खेती का प्रतीक बना दिया है।

यह नया मॉडल दिखाता है कि तालाबों को सही तरीके से उपयोग करके किसान सब्जियां उगा सकते हैं, जिससे न केवल उन्हें अधिक उपज मिलती है, बल्कि कृषि सेक्टर में भी नए संभावनाओं का सामना करना पड़ता है।

हीरोद पटेल की यह उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि पूरे कृषि समुदाय के लिए एक प्रेरणा स्रोत है, जो आगे बढ़ने वाली पीढ़ियों के लिए एक सशक्त भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहा है।

इसी तरह की नई और उन्नत खेती के मॉडल से हमारे कृषि सेक्टर में नए युग की शुरुआत हो सकती है, जिससे हमारे किसान अधिक मुनाफा कमा सकें और देश को खाद्य सुरक्षा की दिशा में एक नई ऊँचाई प्राप्त हो सकती है।

इस अनोखे मॉडल से हीरोद पटेल ने नहीं सिर्फ अपनी ज़मीन को फलदार बनाया है, बल्कि उन्होंने दूसरे किसानों को भी एक नए सोच की दिशा में मोटिवेट किया है। इससे साबित होता है कि यदि हम नई तकनीकों का सही तरीके से उपयोग करें, तो हमारी खेती में एक नई क्रांति संभावनाओं का सामना कर सकती है।

हीरोद पटेल की कहानी से यह सिखने को मिलता है कि हमें अपनी परंपरागत सोच को छोड़कर नए और उन्नत तकनीकों का सही इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि हम सुरक्षित, सुस्त, और साथ ही आर्थिक रूप से भी सही दिशा में बढ़ सकें।

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