लैब भेजे 1618 गांठों के सैंपलों की जांच में नरमा की चमक बताई कम, किसानों को रेट में लग रही चपत

15 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन की थी उम्मीद, गुलाबी सुंडी के प्रकोप से डेढ़ लाख किसानों के अरमानों पर फिरा पानी

लैब भेजे 1618 गांठों के सैंपलों की जांच में नरमा की चमक बताई कम, किसानों को रेट में लग रही चपत
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खेत खजाना सिरसा : जिले के डेढ़ लाख किसान नरमा की खेती से बेहतरीन उत्पादन की उम्मीद लगाए थे, लेकिन गुलाबी सुंडी के प्रकोप से फसल बर्बाद हुई। सीसीआई एमएसपी से किनारा किए है। अहमदाबाद लेब से 1618 गांठों के नमूने पैरामीटर्स पर खरे नहीं उतरे। जिसमें गुणवत्ता को 66.20 आरडी से 68.50 आरडी (कपास की चमक) बताया है। जबकि इसका न्यूनतम ग्रेड यानि आरडी 70 के पार चाहिए। यही कारण है कि सीसीआई नरमा खरीद से किनारा किए है। उधर कपास का उत्पादन ही नहीं गिरा बल्कि लागत तीन गुना बढ़ी। मगर नरमा बेहद मंदे भाव में बेचना पड़ा। जिससे किसानों के हाथ खाली रह गए। जो अब सरकार से मुआवजा की आस लगाए बैठे हैं। वहीं 64 हजार हेक्टेयर रकबे के लिए 96 हजार किसानों ने बीमा की खातिर 28 करोड़ रुपये प्रीमियम जमा करवा रखा है। लेकिन क्लेम कब मिलेगा किसी को मालूम नहीं। क्योंकि अभी संबंधित विभाग ने क्रॉप कटिंग की सूची जुटानी शुरू की है।

खरीफ 2022 के बीमा क्लेम के लिए नारायण खेड़ा में 110 फीट ऊंची टंकी पर डटे थे 4 किसान

खरीफ 2022 के बीमा क्लेम के लिए किसानों को बड़ा आंदोलन करना पड़ा था। गांव नारायण खेड़ा में जलवर की 110 फीट ऊंची टंकी पर चढ़े थे। जहां संघर्षरत 4 किसानों में भरत सिंह झाझड़ा, दीवान सहारण, नरेंद्र पाल व जेपी कासनियां सरकार के झुकने तक 105 दिनों तक डटे रहे थे। इतना ही नहीं आंदोलनरत किसानों को टोल प्लाजा पर कब्जा जमाना पड़ा था। जिसके बाद सवा लाख से ज्यादा बीमित किसानों को 680 करोड़ रुपये क्लेम जारी हो सका था। उस दौरान किसानों ने बीमा क्लेम का समय निर्धारित करने की मांग की थी। लेकिन अभी तक संबंधित विभाग ने क्रॉप कटिंग की रिपोर्ट तक सबमिट नहीं की है।

पहले गेहूं की पकी फसलों पर ओलावृष्टि की मार, खराबे का न बीमा क्लेम मिला और न ही मुआवजा

नरमा की खेती पिछले तीन सीजन से घाटे का सौदा बनी हैं। जैसा कि किसान बलराज सिंह, भूरदत्त, राजकुमार व विनोद कुमार ने बताया। उसने कहा कि वर्ष 2022 में प्राकृतिक आपदा से फसलें तबाह हुई। उसके बाद गेहूं की पकी फसलों में ओलावृष्टि की मार किसानों ने झेली। गेहूं जमीन में बिखर गया था। लेकिन उस खराबे का न बीमा क्लेम मिला और ना ही मुआवजा। अब नरमा 15 क्विंटल प्रति एकड़ की आस लगाए थे, जबकि गुलाबी सुंडी के प्रकोप से उत्पादन 3 क्विंटल में सिमट गया। जिसमें बड़ी मेहनत की और लागत भी नहीं मिली। केसीसी और आढ़ती का कर्ज लौटाना दूर ब्याज भुगतान भी मुश्किल बना है। किसानों ने कहा कि बीमा कंपनी के प्रीमियम का समय निर्धारित होता है, फिर किसानों के भुगतान का क्यों नहीं है।

आज डीसी को सौंपा जाएगा मांगों का ज्ञापन: किसान

भारतीय किसान यूनियन के जिला प्रधान नरेंद्र कुमार ने कहा कि गुलाबी सुंडी के प्रकोप से किसानों को भारी नुकसान पहुंचा है। उत्पादन और भाव दोनों में मार पड़ी है, सरकार फसल खराबे का मुआवजा दे और बीमित किसानों को जल्द क्लेम जारी कराए, ताकि कर्ज के बोझ तले दबे किसानों को कुछ राहत पहुंचे। उपरोक्त मांगों के समर्थन में यूनियन आज डीसी को ज्ञापन सौंपेंगी।

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