अमित शाह ने क‍िसानों को दिया बड़ा तोहफा! अब खुद बेच सकते है अपनी फसल, जानिए कैसे?

अमित शाह ने क‍िसानों को दिया बड़ा तोहफा! अब खुद बेच सकते है अपनी फसल, जानिए  कैसे?
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NAFED: कृषि मंत्री अमित शाह ने एक नई पहल की शुरुआत की है जिसके तहत किसान अब अपनी तुअर दाल फसल को ऑनलाइन बेच सकेंगे। इस उद्यम से कृषि उत्पादों की खरीदारी को सहज बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

शाह ने जताया कि देश को अगले छह सालों में दालों में स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि जनवरी 2028 से देश द्वारा एक किलो दाल का आयात नहीं किया जाएगा। इस नए प्लेटफ़ॉर्म पर किसानों की रजिस्ट्रेशन संभव होगी, जो सरकारी द्वारा शुरू की गई है।

मक्का किसानों के लिए सुविधा शुरू होगी

इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर किसान अपनी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) या नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया (NAFED) और नेशनल को-ऑपरेटिव कन्स्यूमर्स फेडरेशन (NCCF) को बेच सकेंगे।

शाह ने बताया कि निकट भविष्य में, उड़द और मसूर दाल के उत्पादक किसानों के साथ ही मक्का उत्पादक किसानों के लिए भी इसी तरह की सुविधा उपलब्ध होगी। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से, केंद्रीय मंत्री ने तुअर दाल की बिक्री के लिए 25 किसानों को डेबिट कार्ड के माध्यम से लगभग 68 लाख रुपये भुगतान किया।

एनसीसीएफ या ओपन मार्केट में फसल बेचने का ऑप्‍शन

नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया (NAFED) और नेशनल को-ऑपरेटिव कन्स्यूमर्स फेडरेशन (NCCF) 'बफर' भंडार बनाए रखने के लिए सरकार की तरफ से दालों की खरीद का काम करते हैं। मंत्री ने बताया कि बुआई से पहले, तुअर उत्पादक किसान एमएसपी पर नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया (NAFED) और नेशनल को-ऑपरेटिव कन्स्यूमर्स फेडरेशन (NCCF) को अपनी उपज बेचने के लिए प्‍लेटफॉर्म पर रजिस्टर कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि पंजीकृत तुअर उत्पादक किसानों के पास नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया (NAFED) / नेशनल को-ऑपरेटिव कन्स्यूमर्स फेडरेशन (NCCF) या खुले बाजार में बेचने का विकल्प होगा।

...इस स्थिति में औसत दर निकाली जाएगी

अगर तुअर दाल की बाजार में मूल्य सामान्य आपूर्ति मूल्य से अधिक होती है, तो उस स्थिति में एक औसत मूल्य निर्धारित किया जाएगा। अमित शाह ने बताया कि कई किसान दाल की खेती नहीं कर रहे क्योंकि उन्हें मूल्यों की निर्धारण की समस्या होती है। प्‍लेटफॉर्म के माध्यम से खरीदारी इस क्षेत्र में एक बड़ा सुधार लाएगी और दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा, "तुअर की खरीद किसानों से की जाएगी और यह पीएम मोदी की गारंटी है।"

शाह ने कहा कि देश अब भी चना और मूंग को छोड़कर कई प्रकार की दालों के लिए आयात पर निर्भर है. मंत्री ने कहा, ‘दिसंबर 2027 तक देश को दालों में आत्मनिर्भर बन जाना चाहिए. हम जनवरी 2028 से एक किलो दाल भी आयात नहीं करेंगे.’

उन्होंने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), किसान उत्पादक संगठनों (FPO) और प्रगतिशील किसानों से मंच के बारे में जागरूकता फैलाने और किसानों को इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करने की अपील की.

उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य में दो गुना से अधिक की वृद्धि के दम पर पिछले 10 सालों में दालों का उत्पादन 2013-14 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 1.92 करोड़ टन से बढ़कर 2022-23 में 2.605 करोड़ टन हो गया है. हालांकि, दालों का घरेलू उत्पादन अब भी खपत से कम है और आयात पर निर्भर है. इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री अश्‍व‍िनी चौबे भी उपस्थित रहे.

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