सिरसा में अशोक की राह कठिन, रणजीत और कांडा बंधुओं से खटास बनेगी चुनौती

सिरसा में अशोक की राह कठिन, रणजीत और कांडा बंधुओं से खटास बनेगी चुनौती
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सिरसा | आप छोड़कर 54 दिन पहले भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर ने सिरसा से टिकट ले यह तो जता दिया कि भाजपा हाईकमान में उन्होंने पैठ है। जब यहां प्रत्याशी के रूप में तंवर की बात आती है तो चुनौती दोगुनी हो जाती है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए तंवर के सिरसा के नेताओं से सियासी रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं।

जिसमें बात चाहे सिरसा, ऐलनाबाद से चुनाव लड़ने वाले कांडा बंधुओं की हो या फिर कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह की। जो रानियां से आजाद उम्मीदवार के रूप में जीतकर हरियाणा सरकार में मंत्री बने हुए हैं। रणजीत तो तंवर के इतने विरोधी माने जाते हैं कि वर्ष 2019 में हुए विस चुनाव में रानियां से कांग्रेस की टिकट कटवाने का आरोप भी रणजीत ने कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे अशोक पर लगाया था। फिर रणजीत ने कांग्रेस छोड़ दी थी, रानियां से आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर जीते।

ऐसे में तंवर को रानियां से वोट लेने के लिए रणजीत सिंह को मनाना पड़ेगा। इसके अलावा सिरसा विधायक गोपाल कांडा, उनके भाई भाजपा नेता गोबिंद कांडा से भी तंवर का तालमेल ठीक नहीं है। जहां तंवर ने ऐलनाबाद उप चुनाव में कांडा के खिलाफ इनेलो के अभय सिंह को समर्थन देने की घोषणा की थी। हुड्डा राज में सिरसा और रतिया के कार्यक्रम में तंवर और कांडा के बीच बहसबाजी और अनदेखी हो चुकी है।

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