पशुओं के लिए अजोला घास: उदयपुर में सस्ते में पौष्टिक चारा कैसे तैयार करें

उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के डॉक्टर लोकेश गुप्ता ने बताया की अजोला घास को पशुओं के लिए ड्राइफ्रूट कहा जाता है.

पशुओं के लिए अजोला घास: उदयपुर में सस्ते में पौष्टिक चारा कैसे तैयार करें
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पशुओं के लिए सबसे अच्छा चारा तैयार करने का नया तरीक उदयपुर में प्रकट हुआ है, जिसे "अजोला घास" कहा जाता है। यह घास पशुओं के लिए एक पौष्टिक ड्राईफ्रूट के रूप में जानी जाती है और किसानों के लिए सस्ते में खेतों पर तैयार की जा सकती है। इस लेख में, हम आपको अजोला घास की खेती और तैयारी के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

अजोला घास क्या है? अजोला घास एक जलीय फर्न है जो पानी की सतह पर उगता है। यह घास हरी खाद के रूप में उगाई जाती है और पशुओं के लिए एक उत्कृष्ट चारा मानी जाती है। अजोला को गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी, और अन्य पशुओं को खिलाया जा सकता है क्योंकि इसमें 25 से 30 प्रतिशत प्रोटीन होता है, जो अन्य चारों के तुलना में काफी अधिक है।

अजोला की खेती कैसे करें: अजोला की खेती को किसान सस्ते में किसी भी खाली जगह पर कर सकते हैं। निम्नलिखित तरीके से आप अजोला घास की खेती कर सकते हैं:

1. आवश्यक सामग्री:

· 60 फुट लंबी, 10 फीट चौड़ी, और 2 फीट गहरी क्यारी

· 120 गेज की सिलपुटिन शीट

· 100 किलो उपजाऊ खेत की मिट्टी

· 15 लीटर पानीपशुओं के लिए अजोला घास: उदयपुर में सस्ते में पौष्टिक चारा कैसे तैयार करें

· 5-7 किलो पुराने गोबर

· 500 लीटर पानी

कम लागत में पौष्टिक चारा, पशुओं के लिए लाभदायक

उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के डॉक्टर लोकेश गुप्ता ने बताया की अजोला घास को पशुओं के लिए ड्राइफ्रूट कहा जाता है. इसे हरे चारे के रूप में पशुओं को खिलाया जाता है. क्योंकि अजोला में 25 से 30 प्रतिशत प्रोट्रीन पाया जाता है. यह दूसरे अन्य किसी भी चारे की तुलना में काफी ज्यादा है. इस घास को गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी, सभी तरह के पशुओं को खिला सकते हैं.

ऐसे तैयार करें अजोला

अजोला घास को किसान किसी भी खाली जगह में पैदा कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले किसी छायादार जगह पर 60 फुट लंबी, 10 फीट चौड़ी और दो फीट गहरी क्यारि तैयार की जाती हैं. इन क्यारियों में कम से कम 120 गेज की सिलपुटिन शीट लगाई जाती है. इसके बाद क्यारी में करीब 100 किलो उपजाऊ खेत की मिट्टी बिछाई जाती है.

फिर 15 लीटर पानी में 5-7 किलो पुराने गोबर को मिलाकर घोल तैयार किया जाता है. इसके बाद क्यारी में करीब 500 लीटर पानी से भरना होता है. पानी की गहराई 12-15 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए. मिट्टी और गोबर खाद को इस पानी में अच्छे से मिलाया जाता है.इसके बाद इसे आसानी से तैयार किया जाता है

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