किसानों के लिए बड़ी खबर! इन 3 फसलों की खेती पर मिल रही है बंपर सब्सिडी, जानिए कैसे उठाए लाभ

किसानों के लिए बड़ी खबर! इन 3 फसलों की खेती पर मिल रही है बंपर सब्सिडी, जानिए कैसे उठाए लाभ
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सरकार द्वारा किसानों की आय को बढ़ाने के उद्देश्य से कई लाभदायक योजनाएं शुरू की गई हैं। इन योजनाओं में से एक है एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना, जिसके तहत किसानों को फलों की खेती के लिए सब्सिडी प्रदान की जा रही है। यह योजना पपीता, स्ट्रॉबेरी और ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अनुदान प्रदान करती है।

जो किसान इन फलों की खेती करना चाहते हैं, वे इस योजना के तहत उपलब्ध सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। कई राज्यों के किसान रबी फसलों के साथ ही मौसमी फलों की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। पपीता, स्ट्रॉबेरी और ड्रैगन फ्रूट की बाजार में मांग बढ़ती जा रही है। इन फलों की खेती से किसान बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

आज आपको पपीता, स्ट्रॉबेरी व ड्रेगन फ्रूट की खेती पर कितनी सब्सिडी मिलेगी, इसके लिए आपको कैसे आवेदन करना होगा, आवेदन के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी और इन फलों की खेती से आप कितनी कमाई कर सकते हैं आदि बातों की जानकारी दे रहे हैं।

पीता की खेती पर कितनी मिलेगी सब्सिडी

राज्य सरकार द्वारा पपीते की खेती के लिए किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इस योजना के तहत, एक हेक्टेयर पर पपीते की खेती की लागत को 60,000 रुपये माना गया है और इसमें से किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। इस प्रकार, किसान इस योजना के अंतर्गत पपीते की खेती के लिए 45,000 रुपये की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।

स्ट्रॉबेरी और ड्रेगन फ्रूट की खेती के लिए कितना मिलेगा अनुदान

सरकार द्वारा स्ट्रॉबेरी और ड्रेगन फ्रूट की खेती के लिए 40 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जा रही है। सरकार ने स्ट्रॉबेरी की खेती की लागत को 1,25,000 रुपये माना है, जिस पर किसानों को 40 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। इस तरह, किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा। वैसे ही, ड्रेगन फ्रूट की खेती की लागत भी 1,25,000 रुपये तय की गई है, जिस पर किसानों को 40 प्रतिशत यानी 50,000 रुपये का अनुदान उपलब्ध होगा।

पपीता की खेती से कितना हो सकता है लाभ

ज्यादातर, एक पेड़ से 25 से 30 पपीते उत्पन्न होते हैं, जिनका वजन 50-60 किलो तक होता है। पपीते का बाजार में किलोग्राम दर 40 से 50 रुपए होता है। अनुमान के अनुसार, यदि पपीते 25 से 30 रुपए किलोग्राम में बेचे जाते हैं, तो एक पेड़ से औसतन 1500 रुपए की कमाई हो सकती है। यदि किसान ने 100 पेड़ लगाए हैं, तो उन्हें औसतन 1,50,000 रुपए की कमाई हो सकती है।

स्ट्रॉबेरी की खेती से कितना हो सकता है मुनाफा

अगर स्ट्रॉबेरी की खेती को सही तरीके से किया जाए, तो यह काफी अच्छा मुनाफा दे सकती है। अनुमान के अनुसार, एक एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती में लगभग 2-3 लाख रुपए का खर्च आता है। जब उत्पादन होता है, तो इस खर्च को निकालकर 5-6 लाख रुपए का मुनाफा हो सकता है। इस तरह, एक सीजन में स्ट्रॉबेरी से 80 से 100 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है, जिससे करीब 6 लाख से 12 लाख रुपए की कमाई हो सकती है।

ड्रेगन फ्रूट की खेती से कितना हो सकता है फायदा

यदि आप ड्रेगन फ्रूट की खेती करते हैं तो इससे भी आपको अच्छा फायदा मिल सकता है। एक एकड़ में इसकी खेती की शुरुआती लागत करीब ढाई से तीन लाख रुपए तक आती है। इसका पेड़ 25 साल तक पैदावार देता है। इसकी खेती से प्रति एकड़ 10 टन के करीब ड्रेगन फ्रूट की पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इसे बाजार में बेचने पर आपको करीब 6 से 7 लाख रुपए की कमाई हो सकती है।

आवेदन के लिए किन दस्तावेजों की होगी आवश्यक दस्तावेज

यदि आप एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत पपीता, स्ट्रॉबेरी व ड्रेगन फ्रूट की खेती के लिए सब्सिडी हेतु आवेदन करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए कुछ दस्तावेजों (documents) की आवश्यकता होगी। वे दस्तावेज इस प्रकार से हैं-

किसान का भू स्वामित्व प्रमाण-पत्र

स्थाई निवासी प्रमाण-पत्र

लाभार्थी के पास सिंचाई के साधन के दस्तावेज

आधार कार्ड एवं आधार लिंक मोबाइल नंबर

बैंकपास बुक की कॉपी

आवेदक की पासपोर्ट साइज फोटो

लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र, यदि लागू होता है।

पपीता, स्ट्रॉबेरी और ड्रेगन फ्रूट की खेती के लिए कैसे करना होगा आवेदन

यदि आप बिहार से हैं तो इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। बिहार सरकार की ओर से ही राज्य के किसानों के लिए यह योजना चलाई जा रही है। आप पपीता, स्ट्रॅबेरी और ड्रेगन फ्रूट की खेती के लिए सरकार से सब्सिडी का लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो आप इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।

राज्य के किसान इस योजना की आधिकारिक वेबसाइट https://horticulture.bihar.gov.in/ पर जाकर इसके लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। वहीं इस योजना की अधिक जानकारी के लिए आप अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

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