गेहूं की (MSP) न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद को लेकर बड़ी खबर, इस रेट पर किसानों का MSP पंजीयन होगा शुरू

गेहूं की (MSP) न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद को लेकर बड़ी खबर, इस रेट पर किसानों का MSP पंजीयन होगा शुरू
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गेहूं की (MSP) न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद को लेकर बड़ी खबर, इस रेट पर किसानों का MSP पंजीयन होगा शुरू

Khet Khajana, New Delhi: MSP पंजीयन गेहूं की खरीद पर MSP पंजीयन की नई प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसमें किसानों को अपनी जमीन का सिकमीनामा अनुबंध तैयार करके प्रस्तुत करना होगा। इससे बिचौलियों का खात्मा होगा और किसानों को उचित दाम मिलेंगे।

गेहूं की खरीद पर MSP पंजीयन की नई प्रक्रिया का उद्देश्य यह है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचने के लिए आसानी से पंजीकृत हो सकें। इसके लिए राज्य सरकार ने रबी फसल विपणन सीजन 2024 से गेहूं की खरीद के लिए सिकमीनामा अनुबंध को अनिवार्य कर दिया है।

सिकमीनामा अनुबंध क्या है? सिकमीनामा अनुबंध वह है जिसमें भूमि स्वामी और बटाईदार किसान अपनी जमीन के उपयोग और फसल के बांटवारे के बारे में लिखित रूप में सहमत होते हैं। इसमें जमीन का क्षेत्रफल, फसल का प्रकार, बटाई का अनुपात, उपार्जन का तरीका, आदि जानकारी शामिल होती है। इस अनुबंध को मध्यप्रदेश भू-बटाईदार के हितों के संरक्षण अधिनियम 2016 के अनुसार निर्धारित प्रपत्र में तैयार किया जाता है।

सिकमीनामा अनुबंध कैसे करें? सिकमीनामा अनुबंध करने के लिए भूमि स्वामी और बटाईदार किसानों को तीन मूल प्रतियों में अनुबंध पत्र बनाना होगा। इनमें से एक प्रति पटवारी को देनी होगी, जो उसे राजस्व अभिलेखों से मिलाकर पंजी में दर्ज करेगा। दूसरी प्रति तहसीलदार या नायब तहसीलदार को देनी होगी, जो उसे अभिप्रमाणित करके अपने न्यायालय में रखेगा। तीसरी प्रति भूमि स्वामी को वापस दी जाएगी, जिसे वह बटाईदार को देगा।

बटाईदार किसान को इस प्रति को सहकारी समितियों में स्थापित पंजीयन केंद्र पर जमा करना होगा। वहां पर कम्प्यूटर ऑपरेटर द्वारा उसका पंजीयन कर दिया जाएगा। इसके बाद तहसीलदार या नायब तहसीलदार द्वारा रखी प्रति से मिलान करके उसका सत्यापन किया जाएगा। सत्यापन होने के बाद ही किसान अपनी फसल को MSP पर बेच सकेगा।

MSP पंजीयन के फायदे MSP पंजीयन के नए नियमों से किसानों को कई फायदे होंगे। इनमें से कुछ हैं:

किसानों को अपनी जमीन का सही हिस्सा मिलेगा।

किसानों को बिचौलियों का शिकार नहीं होना पड़ेगा।

किसानों को उचित दाम मिलेंगे।

किसानों को अपनी फसल का विक्रय करने के लिए आसानी से पंजीकृत हो सकेंगे।

किसानों को अपनी फसल का विक्रय करने के लिए अपने गांव से दूर नहीं जाना पड़ेगा।

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